S Jaishankar Pakistan Visit Update Islamabad SCO Summit | पाकिस्तान के PM से मिले विदेशमंत्री जयशंकर: 9 साल बाद किसी भारतीय विदेश मंत्री का पहला दौरा; आज SCO समिट में शामिल होंगे


इस्लामाबादकुछ ही क्षण पहले

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विदेश मंत्री एस जयशंकर पाकिस्तान में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान में हैं। यह उनका पहला पाकिस्तान दौरा है। वे मंगलवार को पड़ोसी देश पहुंचे थे, जहां इस्लामाबाद एयरपोर्ट पर उनका बच्चों और पाकिस्तानी अधिकारियों ने उनका स्वागत किया।

इसके बाद शाम में पीएम शहबाज शरीफ ने SCO नेताओं के लिए डिनर रखा। यहीं पीएम शहबाज और जयशंकर की मुलाकात हुई। पाकिस्तानी पीएम ने आगे आकर हैंड शेक किया। दोनों नेताओं के बीच कुछ देर क्या बातचीत हुई, यह सामने नहीं आई।

जयशंकर आज सुबह 10 बजे ग्रुप लीडर्स के फोटो सेशन में शामिल होंगे। इसके बाद 10:30 बजे से SCO की बैठक शुरू होगी, जो 1 बजे तक चलेगी। इस बैठक के बाद 2 बजे लंच होगा। शाम 4 बजे जयशंकर से पाकिस्तान से भारत के लिए रवाना हो जाएंगे।

भारत से लगभग 9 साल बाद कोई शीर्ष नेता पाकिस्तान के दौरे पर गए हैं।

भारत से लगभग 9 साल बाद कोई शीर्ष नेता पाकिस्तान के दौरे पर गए हैं।

8 साल 10 महीने बाद पाकिस्तान दौरा विदेश मंत्री जयशंकर 8 साल 10 महीने बाद पाकिस्तान जाने वाले भारत के पहले नेता हैं। इसलिए भी ये दौरा खास है। उनसे पहले 25 दिसंबर 2015 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान के दौरे पर गए थे। तब मोदी एक सरप्राइज विजिट पर लाहौर पहुंचे थे।

उन्होंने पाकिस्तान के PM नवाज शरीफ से मुलाकात की थी। उनके इस दौरे के बाद से भारत के किसी भी प्रधानमंत्री या मंत्री ने पाकिस्तान की यात्रा नहीं की है।

मोदी के दौरे के एक साल बाद ही 2016 में 4 आतंकी उरी में भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर में घुस गए थे। इस हमले में भारतीय सेना के 19 जवान शहीद हो गए थे।

तब से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया था। 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते और खराब हो गए। हालांकि इन सब के बावजूद पिछले साल गोवा में SCO देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भारत आए थे।

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गोवा में हुई विदेश मंत्रियों की बैठक में बिलावल और जयशंकर ने हाथ तक नहीं मिलाए थे।

गोवा में हुई विदेश मंत्रियों की बैठक में बिलावल और जयशंकर ने हाथ तक नहीं मिलाए थे।

सवाल 1: SCO कब बना, इसे बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?

जवाब: 1991 में सोवियत यूनियन कई हिस्सों में टूट गया। इसके बाद रूस के पड़ोसी देशों के बीच बाउंड्री तय नहीं होने की वजह से सीमा विवाद शुरू हो गया। ये विवाद जंग का रूप न ले, इसके लिए रूस को एक संगठन बनाने की जरूरत महसूस हुई।

रूस को यह भी डर था कि चीन अपनी सीमा से लगे सोवियत यूनियन के सदस्य रहे छोटे-छोटे देशों की जमीनों पर कब्जा न कर ले। ऐसे में रूस ने 1996 में चीन और पूर्व सोवियत देशों के साथ मिलकर एक संगठन बनाया। इसका ऐलान चीन के शंघाई शहर में हुआ, इसलिए संगठन का नाम- शंघाई फाइव रखा गया। शुरुआत में इस संगठन के 5 सदस्य देशों में रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान शामिल थे।

जब इन देशों के बीच सीमा विवाद सुलझ गए तो इसे एक अंतरराष्ट्रीय संगठन का रूप दिया गया। 2001 में इन पांच देशों के साथ एक और देश उज्बेकिस्तान ने जुड़ने का ऐलान किया, जिसके बाद इसे शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन यानी SCO नाम दिया गया।

सवाल 2: भारत SCO में कब और क्यों शामिल हुआ?

जवाब: SCO बनने के बाद भारत को भी इसमें शामिल होने का न्योता दिया गया था। हालांकि उस समय भारत ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था।

इस बीच चीन ने पाकिस्तान को इस संगठन का सदस्य बनाने की मुहिम शुरू कर दी। इससे रूस को संगठन में चीन के बढ़ते दबदबे का डर लगने लगा। तब जाकर रूस ने भारत को भी इस संगठन में शामिल होने की सलाह दी।

इसके बाद 2017 में भारत इस संगठन का स्थायी सदस्य बना। भारत के इस संगठन में शामिल होने की 5 और वजहें भी हैं…

  • भारत का ट्रेड SCO के सदस्य देशों के साथ बढ़ता जा रहा था, ऐसे में इस संगठन से संबंध बेहतर करने के लिए।
  • सेंट्रल एशिया में अगर भारत को पहुंच बढ़ानी है तो शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन अहम है। इसकी वजह ये है कि इस संगठन में सेंट्रल एशिया के सारे देश एक साथ बैठते हैं।
  • अफगानिस्तान पर अपना पक्ष रखने के लिए भारत के पास कोई दूसरा संगठन नहीं है। अगर भारत को अफगानिस्तान में अपनी भूमिका तय करनी है तो उसे इन सभी देशों के सहयोग की जरूरत है।
  • आतंकवाद और ड्रग्स की समस्या को खत्म करने के लिए भारत को SCO के देशों के सहयोग की जरूरत है।
  • सेंट्रल एशिया के देशों को भी इस संगठन में भारत की जरूरत थी। वो छोटे-छोटे देश नहीं चाहते थे जिससे केवल चीन और रूस ही संगठन में दबदबा बनाए रखें। इसके लिए वो भारत को बैलेंसिंग पावर के तौर पर चाह रहे थे।​​​

सवाल 3: आखिर SCO का मुख्य उद्धेश्य और काम क्या है?

जवाब: SCO देशों ने जब सीमा विवाद को सुलझा लिया तो इसका उद्देश्य बदल गया। अब इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों को तीन तरह के ईविल यानी शैतानों से बचाना था…

  • अलगाववाद
  • आतंकवाद
  • धार्मिक कट्टरपंथ

रूस को लगता था कि उसके आसपास के देशों में कट्टरपंथी सोच न बढ़े। अफगानिस्तान, सऊदी अरब और ईरान के करीब होने की वजह से ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में आतंकी संगठन पनपने भी लगे थे, जैसे- IMU यानी इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान में HUT। ऐसे में SCO के जरिए रूस और चीन ने इन तीन तरह के शैतानों के खिलाफ लड़ाई जारी रखी। इसके अलावा सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास और संबंधों को मजबूत करना भी इस संगठन का मुख्य काम है। सदस्य देशों के बीच ये संगठन राजनीति, व्यापार, इकोनॉमी, साइंस, टेक्नोलॉजी, एनर्जी, पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का काम कर रहा है।

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