Market cap of 9 out of top 10 companies decreased by ₹4.74 lakh crore, RIL, HDFC Bank biggest losers | टॉप-10 कंपनियों में से 9 का मार्केट-कैप ₹4.74 लाख-करोड़ घटा: रिलायंस इंडस्ट्रीज टॉप लूजर रही, इसकी वैल्यू ₹1.88 लाख करोड़ घटकर ₹18.76 लाख करोड़ रह गई


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मुंबई2 घंटे पहले

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पिछले हफ्ते के कारोबार में देश की टॉप-10 कंपनियों में से 9 का कंबाइन मार्केट कैपिटलाइजेशन 4.74 लाख करोड़ रुपए घटा है। इनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज को पिछले हफ्ते सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। इसका मार्केट कैप ₹1.88 लाख करोड़ घटकर 18.76 लाख करोड़ रह गया है।

वहीं HDFC बैंक का मार्केट कैप ₹72 हजार करोड़ घटकर 12.64 लाख करोड़ पर आ गया है। भारती एयरटेल का मार्केट कैप ₹53 हजार करोड़ घटकर 9.34 लाख करोड़ रह गया है।

इसके अलावा ICICI बैंक, LIC, HUL, ITC, TCS और SBI की मार्केट वैल्यू भी घटी है। हालांकि, सिर्फ इंफोसिस की मार्केट वैल्यू बढ़ी है। इंफोसिस का मार्केट कैप ₹4,629 करोड़ बढ़कर ₹7.96 लाख करोड़ हो गया है।

पिछले सप्ताह सेंसेक्स में 4.53% की गिरावट रही पिछले पूरे कारोबारी सप्ताह में सेंसेक्स में 4.53% यानी 3,883 अंकों की तेजी रही थी। वहीं ईरान-इजराइल में जंग की आशंका के बीच हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन 4 अक्टूबर को सेंसेक्स 808 अंक (0.98%) की गिरावट के साथ 81,688 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 200 अंक (0.93%) की गिरावट रही, ये 25,049 के स्तर पर बंद हुआ।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है? मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटस नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।

मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।

मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)

मार्केट कैप कैसे काम आता है? किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।

कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है? मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।



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