Starliner space station return, sunita williams | सुनीता विलियम्स का स्पेस क्राफ्ट आज वापस आएगा: दोनों एस्ट्रोनॉट अभी स्पेस स्टेशन पर ही रहेंगे; सवाल-जवाब में जानिए सुनीता स्पेस में कैसे फंसीं


4 मिनट पहले

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6 अटेम्प्ट के बाद 5 जून को स्पेस के लिए लॉन्च हुआ बोइंग स्टारलाइनर कैप्सूल। - Dainik Bhaskar

6 अटेम्प्ट के बाद 5 जून को स्पेस के लिए लॉन्च हुआ बोइंग स्टारलाइनर कैप्सूल।

एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुश विलमोर को स्पेस स्टेशन ले जाने वाला स्पेस क्राफ्ट आज धरती पर वापस आएगा। दोनों एस्ट्रोनॉट अभी स्पेस स्टेशन में ही रहेंगे। वे यहां 3 महीने से फंसे हुए हैं। उन्हें 5 जून 2024 को महज 8 दिनों के मिशन पर भेजा गया था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में खराबी के चलते वो धरती पर वापस नहीं आ सके। अब अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने कहा है कि दोनों की वापसी में फरवरी 2025 तक का वक्त लग सकता है।

सुनीता और उनके साथी बुश को लेने के लिए NASA अलग से मिशन भेजा जाएगा।

सुनीता स्पेस में कैसे फंसीं, इलॉन मस्क का स्पेसक्राफ्ट उन्हें अभी वापस क्यों नहीं ला सकता, 8 महीने स्पेस में रहने से क्या खतरा है, जानिएं इन सवालों के जवाब…

सवाल: सुनीता विलियम्स स्पेस में कब गई थीं और उन्हें कब वापस आना था? जवाब: 5 जून 2024 को सुनीता स्टारलाइनर नाम के स्पेसक्राफ्ट में सवार होकर स्पेस मिशन पर गई थीं। ये अमेरिकी एयरक्राफ्ट कंपनी बोइंग और नासा का संयुक्त ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ है। इसमें सुनीता, स्पेसक्राफ्ट की पायलट थीं। उनके साथ गए बुश विलमोर इस मिशन के कमांडर थे। दोनों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 8 दिन रुकने के बाद वापस पृथ्वी पर आना था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी दिक्कतों और हीलियम गैस के रिसाव के चलते सुनीता वहीं फंसी हैं।

सवाल: सुनीता और विलमोर को स्पेस स्टेशन पर क्यों भेजा गया था? जवाब: बोइंग की तरफ से कहा गया था कि ये लॉन्च, नासा और बोइंग के स्टारलाइनर क्रू फ्लाइट टेस्ट की शुरुआत है। लॉन्च के समय बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी के प्रेसिडेंट और CEO टेड कोलबर्ट ने इसे स्पेस रिसर्च के नए युग की शानदार शुरुआत बताया था।

इस मिशन का मुख्य उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाकर वापस लाने की क्षमता साबित करना था। एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन पर 8 दिन में रिसर्च और कई एक्सपेरिमेंट भी करने थे। सुनीता और विलमोर पहले एस्ट्रोनॉट्स हैं जो एटलस-वी रॉकेट के जरिए स्पेस ट्रैवेल पर भेजे गए। इस मिशन के दौरान उन्हें स्पेसक्राफ्ट को मैन्युअली उड़ाना था। फ्लाइट टेस्ट से जुड़े कई तरह के ऑब्जेक्टिव भी पूरे करने थे।

सवाल: सुनीता के स्पेस क्राफ्ट के साथ क्या दिक्कत हुई जिसके चलते वह स्पेस में फंस गई? जवाब: लॉन्च से पहले और बाद में स्पेसक्राफ्ट में लगातार दिक्कतें आईं…

  • 5 जून को जब स्पेसक्राफ्ट लॉन्च करने की कोशिश की गई तो ऐन वक्त पर इसके कंप्यूटर में कुछ खराबी आ गई थी। पहली कोशिश बेकार गई। दूसरी बार में इसे लॉन्च किया गया। इसके पहले 6 मई को भी लॉन्च की कोशिश हुई, लेकिन लॉन्च से ठीक दो घंटे पहले रॉकेट की ऊपरी स्टेज में एक प्रेशर वॉल्व में दिक्कत होने के चलते लॉन्च की उल्टी गिनती रोक दी गई थी।
  • 5 जून को लॉन्च के पहले ही स्पेसक्राफ्ट में ऑक्सीडाइजर का फ्लो कंट्रोल करने वाले एक वॉल्व में गड़बड़ी आ गई थी। ऑक्सीडाइजर मतलब ऐसे केमिकल जो रॉकेट के फ्यूल को जलाने के लिए जरूरी होते हैं। ऑक्सीडाइजर की मदद से जब रॉकेट का फ्यूल जलता है तभी रॉकेट अपना रास्ता बदल पाते हैं। लॉन्च के पहले ही वॉल्व से भिनभिनाहट जैसी आवाज आ रही थी।
  • नासा ने ये भी कहा था कि स्पेसक्राफ्ट के सर्विस मॉड्यूल के थ्रस्टर में एक छोटा सा हीलियम लीक है। एक स्पेसक्राफ्ट में कई थ्रस्टर होते हैं। इनकी मदद से स्पेसक्राफ्ट अपना रास्ता और स्पीड बदलता है। वहीं हीलियम गैस होने की वजह से रॉकेट पर दबाव बनता है। उसका ढांचा मजबूत बना रहता है, जिससे रॉकेट को अपनी फ्लाइट में मदद मिलती है।
  • ब्रिटिश न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक लॉन्च के बाद 25 दिनों में स्पेसक्राफ्ट के कैप्सूल में 5 हीलियम लीक हुए। 5 थ्रस्टर्स काम करना बंद कर चुके थे। इसके अलावा एक प्रॉपेलेंट वॉल्व पूरी तरह बंद नहीं किया जा सका। स्पेस में मौजूद क्रू और अमेरिका के ह्यूस्टन में बैठे मिशन के मैनेजर मिलकर भी इसे ठीक नहीं कर पा रहे हैं।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर। तस्वीर 9 जुलाई 2024 की है।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर। तस्वीर 9 जुलाई 2024 की है।

सवाल: नासा ने सुनीता और विलमोर को वापस लाने के लिए अब तक क्या किया है? जवाब: नासा और बोइंग ने विलमोर और सुनीता विलियम्स को धरती पर वापस लाने की कोशिश में 1 लाख से ज्यादा कंप्यूटर मॉडल सिमुलेशन किए हैं। सिमुलेशन का शाब्दिक अर्थ नकल या दिखावा होता है। इन 1 लाख कंप्यूटर सिमुलेशन में यह देखा गया है कि स्पेसक्राफ्ट को स्पेस स्टेशन से अन-डॉक करने, पृथ्वी के वायुमंडल में आने और फिर जमीन पर लैंड करने का सबसे सही मौका और तरीका क्या हो सकता है।

कई और तरह के टेस्ट किए गए हैं। जैसे- सभी 27 थ्रस्टर के टेस्ट हुए हैं। यह भी टेस्ट किया गया है कि स्पेस स्टेशन से अनडॉक करते समय (यानी स्पेसक्राफ्ट के वहां से उड़ान भरते समय), फ्री फ्लाई यानी धरती की तरफ आते समय और धरती पर लैंड करते समय सभी थ्रस्टर कैसे काम करेंगे। इसके अलावा स्पेसक्राफ्ट के हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर वगैरह की जांच की गई है।

टेस्ट के बाद बोइंग ने कहा है कि 28 में से 27 रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम (RCS) थ्रस्टर्स पूरी तरह ठीक हैं और अब वापस काम करने के लिए तैयार हैं। प्रोपल्शन सिस्टम और हीलियम गैस का लेवल भी ठीक है। नासा का कहना है कि कोई जल्दबाजी करने के बजाय उसका फोकस एस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षित वापसी पर है।

सवाल: सुनीता को वापस धरती पर लाने के लिए अभी कोई स्पेसक्राफ्ट नहीं भेजा जा सकता? जवाब: NASA का कहना है कि सुनीता और विलमोर की वापसी फरवरी 2025 तक टाली जा सकती है। इस तरह 5 जून से फरवरी 2025 तक सुनीता को स्पेस स्टेशन पर 8 महीने से ज्यादा का समय लग सकता है।

असल में सितंबर में स्पेस स्टेशन पर स्पेसएक्स का एक एयरक्राफ्ट लॉन्च किया जाने वाला है। यह स्टारलाइनर को स्पेस में छोड़े जाने के बाद बचे अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट के लिए बचे खाली पार्किंग स्पॉट पर खड़ा हो जाएगा। इसमें 4 की बजाय 2 ही एस्ट्रोनॉट्स स्पेस स्टेशन पर भेजे जाएंगे। खाली जगहें सुनीता और विलमोर के लिए रहेंगी, लेकिन फिर भी उन्हें फरवरी तक स्पेस स्टेशन पर ही रहना होगा। इसकी वजह ये है कि स्पेस स्टेशन के मिशन कम से कम 6 महीने या साल भर तक भी चलते हैं। यह स्पेसक्राफ्ट भी वहां फरवरी तक रुकेगा।

अभी तक सुनीता और विलमोर के लिए अलग से कोई ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट भेजने का नहीं सोचा गया है, तो कुल मिलाकर अगर स्टारलाइनर उड़ान नहीं भरता है तो ड्रैगन से सुनीता की पृथ्वी पर वापसी फरवरी में ही हो सकती है।

सवाल: इतने लंबे समय में सुनीता को स्पेस स्टेशन पर रहने से क्या खतरे हो सकते हैं? जवाब: 8 महीने का समय स्पेस स्टेशन पर रहने के लिए एक लंबा वक्त है। नासा का कहना है कि सुनीता और विलमोर वहां फंसे जरूर हैं लेकिन वहां खाने-पीने की कोई कमी नहीं है। कई काम भी हैं जो दोनों एस्ट्रोनॉट्स कर सकते हैं। हालांकि, इतने लंबे समय में कई बार एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस के खतरनाक रेडिएशन, जीरो ग्रैविटी में रहने के प्रभाव और मनोवैज्ञानिक समस्याएं हो सकती हैं।

सवाल: स्पेस स्टेशन में रेडिएशन से सुनीता को क्या खतरा हो सकता है? जवाब: इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को करीब 1 लाख 26 हजार करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है। ये एक सुसज्जित लैबोरेटरी है, जिसमें रहने की जगह, बेडरूम और एक्सरसाइज के लिए जिम तक है। फिर भी पृथ्वी के बाहर ये सारी चीजें एक कृत्रिम वातावरण में हैं, जहां रहना हमेशा मुश्किलों से भरा होता है

स्पेस स्टेशन, पृथ्वी की सतह से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर एक ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है। पृथ्वी पर हमको पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड और ओजोन गैस की परत सूरज के खतरनाक अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन से बचा लेती है, लेकिन वहां ऑर्बिट में घूमते समय स्पेस स्टेशन ऐसे पॉइंट से भी गुजरता है जहां सूरज का रेडिएशन पृथ्वी की तुलना में 30 गुना तक ज्यादा है। स्पेस स्टेशन एक हफ्ते में उतना रेडिएशन झेलता है जितना हम धरती पर एक साल में झेलते हैं।

ये कितना खतरनाक है, इसे ऐसे समझिए कि रेडिएशन मापने की इकाई मिली-सीवर्ट (mSv) है। 1 मिली-सीवर्ट लगभग उतना ही रेडिएशन है जितना चेस्ट के 3 एक्स-रे करवाने पर निकलता है। जबकि एस्ट्रोनॉट्स स्पेस में 50 से 20,000 मिली-सीवर्ट तक का रेडिएशन झेलते हैं। ये करीब 150 से 6 हजार चेस्ट एक्स-रे के रेडिएशन जितना है। इतने रेडिएशन से कैंसर होने का बड़ा खतरा हो सकता है, शरीर के टिशू और नर्वस सिस्टम खराब हो सकता है।

सवाल: जीरो ग्रैविटी में रहने से क्या समस्याएं हो सकती हैं? जवाब: अंतरिक्ष में दूसरा सबसे बड़ा खतरा जीरो ग्रैविटी है। हम जमीन पर चलने पर थकते क्यों हैं? क्योंकि हमारी हड्डियों और मांसपेशियों को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ काम करना पड़ता है। इस काम के चलते हमारे शरीर की लगातार एक्सरसाइज होती रहती है। जीरो या बहुत कम ग्रैविटी में हमारे शरीर पर कोई जोर नहीं पड़ता। इससे हड्डियों और मांसपेशियों को नुकसान होता है।

जानकारों के मुताबिक, हड्डियों के टिशू हर महीने 1।5% तक डैमेज हो सकते हैं। खास तौर पर रीढ़, कूल्हे और जांघ की हड्डियां प्रभावित हो सकती हैं। शरीर पर कोई मेहनत न होने के चलते दिल की एक्टिविटी भी कमजोर पड़ सकती है। हमारा शरीर के ज्यादातर हिस्से में लिक्विड है। बचपन में साइंस की किताब में पढ़ा होगा कि शरीर 70% पानी से बना है। ग्रैविटी न होने से इस लिक्विड का बैलेंस बिगड़ सकता है। इससे एस्ट्रोनॉट्स के शरीर पर सूजन आ जाती है। स्वाद और गंध, यहां तक कि उनकी स्पीच भी प्रभावित होती है।

सवाल: क्या सुनीता और उनके साथी को मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी हो सकती हैं? जवाब: हां, सुनीता और उनके साथी विलमोर को मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी हो सकती हैं। असल में ये दोनों लोग सिर्फ 8 दिनों के लिए घर छोड़कर स्पेस में गए थे। वहां जाने के बाद अब उन्हें अप्रत्याशित रूप से 8 महीने या उससे ज्यादा समय तक रुकना पड़ रहा है। जिस स्पेसक्राफ्ट से आए हैं, उसमें भी हीलियम लीक जैसी दिक्कतें हैं। अभी यह भी नहीं पता है कि वापसी किस स्पेसक्राफ्ट से करनी है, ऐसे में मानसिक स्थिति पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक ही है।

सवाल: क्या इससे पहले कभी एस्ट्रोनॉट्स का स्पेस पर रहने का समय अचानक बढ़ाया गया है? जवाब: हां, ऐसा पहली बार नहीं है। नासा के एस्ट्रोनॉट फ्रैंक रुबियो और उनके साथ दो रूसी साथियों को अंतरिक्ष में एक साल से ज़्यादा समय बिताना पड़ा, क्योंकि उनका सोयुज स्पेसक्राफ्ट स्पेस में डेबरीस (सैटेलाइट्स का कबाड़) से टकरा गया था। इसके चलते स्पेसक्राफ्ट का कूलेंट लीक हो गया, बीते साल सिंतबर में उन्हें वापस लाने के लिए दूसरा रूसी स्पेसक्राफ्ट भेजा गया।

सुनीता के अलावा अभी स्पेस स्टेशन पर 4 और अमेरिकी एस्ट्रोनॉट्स और तीन रूसी एस्ट्रोनॉट्स मौजूद हैं। इन सभी के लिए इसी सप्ताह एक स्पेसक्राफ्ट खाना और कपड़े लेकर गया था। अगले कुछ महीनों में और सप्लाई की जाएगी।

जब सुनीता और विलमोर गए थे तब वो इंस्ट्रूमेंट्स के लिए जगह बनाने के लिए अपने साथ कपड़ों का सूटकेस नहीं ले गए थे। उन्होंने वहां मौजूद एस्ट्रोनॉट्स के कपड़ों से काम चलाया था। हालांकि, अभी तक बीते महीने सिर्फ सिर्फ एक बार सुनीता ने मीडिया से बात की थी, उन्होंने कहा था कि वह स्पेसक्राफ्ट की मरम्मत और रिसर्च में व्यस्त हैं। बढ़ाए गए टाइम को लेकर उनका कोई सार्वजनिक बयान नहीं आया है।



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