Pakistan Election Nawaz Sharif Political Journey Explained | PM Modi – India | नवाज शरीफ, जिनके बर्थडे पर लाहौर गए थे मोदी: कारगिल जंग का विरोध किया तो दुश्मन बनी सेना; चौथी बार PM बनने की रेस में


49 मिनट पहले

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24 दिसंबर 2015 की रात, जब पाकिस्तान के 21 करोड़ लोग सोए तो उन्हें भनक तक नहीं थी कि अगले दिन पड़ोस से अचानक एक मेहमान आएगा, जिससे पूरी दुनिया की निगाहें उनके मुल्क पर टिक जाएंगी। 25 दिसंबर को शाम 4 बजकर 20 मिनट पर लाहौर के अल्लामा इकबाल एयरपोर्ट पर भारतीय वायुसेना का बोइंग 737 विमान लैंड करता है।

इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे। ऐसा मौका 10 साल बाद आया था, जब पाकिस्तान की सरजमीं पर भारत का प्रधानमंत्री पहुंचा था। उन्हें रिसीव करने के लिए सारे प्रोटोकॉल तोड़ खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ एयरपोर्ट पहुंचे। इस दिन उनका जन्मदिन भी था। 2013 में जब नवाज प्रधानमंत्री बने तभी पाकिस्तान में इस बात की चर्चा तेज थी कि वे भारत से रिश्ते सुधारने की कोशिश करेंगे।

ऐसा न करने के लिए सेना ने इमरान के जरिए उनके खिलाफ 6 महीने का प्रदर्शन भी कराया था। मोदी से मुलाकात के डेढ़ साल बाद ही जुलाई 2017 में नवाज को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा। वो भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल गए फिर देश छोड़ा। नवाज के लिए ये नया नहीं था। वो पहले भी 2 बार PM की कुर्सी गंवा चुके थे।

तस्वीर 2015 की है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ लाहौर में गले मिल रहे हैं।

तस्वीर 2015 की है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ लाहौर में गले मिल रहे हैं।

74 साल के नवाज अब चौथी बार प्रधानमंत्री बनने की रेस में हैं। सियासत के गलियारों में अफवाह है कि इस बार नवाज को फौज का साथ है। क्या पाकिस्तान के कमबैक किंग नवाज चौथी बार PM बन पाएंगे ? स्टोरी में पढ़िए उनकी सियासत का सफर…

पिता मियां मोहम्मद ने भुट्टो से बदला लेने के लिए राजनीति में उतारे थे बेटे
शरीफ परिवार की गिनती पाकिस्तान के अहम सियासी खानदानों में होती है। हालांकि, एक वक्त ऐसा भी था जब नवाज के पिता मियां मोहम्मद नवाज ने राजनीति में आने से इनकार कर दिया था। मियां मोहम्मद बंटवारे से पहले ही भारत से जाकर लाहौर में बस गए थे। उनकी रेलवे स्टेशन के पास ही लोहे की भट्टी थी। कुछ सालों में ही उन्होंने स्टील का कारोबार शुरू किया और स्टील कंपनियां खड़ी कर दीं। जल्द ही वे लाहौर के जाने-माने परिवारों में से एक हो गए।

इसी दौरान जनरल जिया उल हक ने मियां मोहम्मद को राजनीति में आने का न्योता भिजवाया। इसे उन्होंने ठुकरा दिया। 1972 में जुल्फिकार अली भुट्टो ने पाकिस्तान में बड़े उद्योगों का राष्ट्रीयकरण करना शुरू कर दिया। इसकी चपेट में शरीफ परिवार की स्टील कंपनियां भी आईं। मियां मोहम्मद किसी भी तरह अपनी कंपनियां वापस हासिल करना चाहते थे।

नतीजा ये हुआ कि उन्होंने जिया उल हक की बात मान ली और अपने बेटों नवाज शरीफ और शाहबाज को राजनीति में उतारने के लिए तैयार हो गए। उधर, जनरल जिया उल हक भुट्टो खानदान का दबदबा घटाने के लिए किसी दूसरे ताकतवर परिवार की खोज में थे।

मियां ने बेटों को राजनीति में उतारने की शर्त रखी कि पहले उन्हें सियासत की ट्रेनिंग दी जाएगी। 1976 में नवाज शरीफ ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग जॉइन की। पहले जनरल जिया उल हक ने उन्हें राज्य की सियासत में उतारा। 1980 में नवाज को पंजाब का वित्त मंत्री नियुक्त कर दिया गया, फिर 1985 में पंजाब का मुख्यमंत्री बना दिया गया। जिया उल हक की मौत तक शरीफ परिवार मिलिट्री का हिमायती था।

नवाज शरीफ अपनी पत्नी कुलसूम और बेटी मरियम के साथ।

नवाज शरीफ अपनी पत्नी कुलसूम और बेटी मरियम के साथ।

1990 में मुस्लिम लीग बंटी तो नवाज शरीफ को मिली अपनी पार्टी
1988 में पाकिस्तान के आम चुनाव में नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग सेना के समर्थन वाले गठबंधन इस्लामी जमहूरी इत्तेहाद (IJI) में शामिल थी। ये चुनाव बेनजीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) ने जीता था। हालांकि, बहुमत नहीं होने और सेना की दखलंदाजी के चलते सरकार टिक नहीं पाई। IJI की तरफ से नवाज शरीफ विपक्ष के नेता बनकर उभरे।

1990 में पाकिस्तान मुस्लिम लीग पार्टी दो हिस्सों में बंट गई। इसमें से एक हिस्सा नवाज शरीफ को मिला। इसे PML-N नाम दिया गया। जो नवाज शरीफ की पार्टी है।

नवाज शरीफ ने पहली बार 1990 में सत्ता संभाली थी, लेकिन तीन साल बाद भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण PM पद गंवाना पड़ा। 1990 के आम चुनावों में नवाज शरीफ की PML-N सत्ता में आई और पहली बार नवाज शरीफ प्रधानमंत्री बने। ये एक ऐसी सरकार थी जिसे राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान और सेना का समर्थन था।

सेना और राष्ट्रपति नवाज शरीफ को कठपुतली की तरह चलाना चाहते थे। शुरुआत में ऐसा हुआ भी। मुश्किल तब शुरू हुई जब नवाज ने स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू कर दिया। फिर नवाज ने संवैधानिक संशोधन करके राष्ट्रपति की ताकत कम करने का प्रयास किया, जो सेना और राष्ट्रपति को पसंद नहीं आया।

जब राष्ट्रपति ने पहली बार बर्खास्त की नवाज शरीफ की सरकार
17 अप्रैल, 1993 को सेना और नवाज के बीच रस्साकशी चरम पर पहुंच गई। नवाज ने नेशनल टेलीविजन पर कहा- मैं आत्मसमर्पण नहीं करूंगा, न इस्तीफा दूंगा, न संसद भंग करूंगा और न ही तानाशाही स्वीकार करूंगा। इसके अगले ही दिन राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने अपनी शक्ति का उपयोग करते हुए नवाज शरीफ सरकार को बर्खास्त कर दिया।

दूसरी बार वे 1997 में फिर PM बने। कुछ वक्त बाद ही उनका सेना से टकराव शुरू हो गया। अगले ही साल पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षण किया। 1998 में जब उनकी सरकार कमजोर पड़ने लगी, तो उन्होंने पाकिस्तान में शरिया लागू करने की कोशिश की। वो नेशनल असेंबली में बिल ले आए। हालांकि वो पास नहीं हुआ।

1993 में नवाज शरीफ के पोस्टर के साथ उनके समर्थक।

1993 में नवाज शरीफ के पोस्टर के साथ उनके समर्थक।

कारगिल जंग का विरोध किया तो सेना ने तख्तापलट कर दिया
1999 में उन्हीं के प्रधानमंत्री रहते हुए कारगिल का युद्ध हुआ। इसके बारे में उन्होंने कहा था- मुझे इस बात की भनक तक नहीं थी कि सेना ने कारगिल में हमला कर दिया। मेरा तख्तापलट इसलिए हुआ क्योंकि मैं जंग के खिलाफ था। मेरी सत्ता में दो-दो बार भारत के प्रधानमंत्री पाकिस्तान आए थे।

कारगिल जंग के अगले साल ही परवेज मुशर्रफ ने राष्ट्रपति बनने के लिए उनका तख्तापलट कर दिया। बात 12 अक्टूबर 1999 की है। नवाज शरीफ को लगने लगा था कि परवेज मुशर्रफ उनको पद से हटा सकते हैं।

मुशर्रफ श्रीलंका दौरे पर गए थे। इस दौरान उनको खबर मिली कि उन्हें रिटायरमेंट प्लान देकर पद से हटाया जा रहा है। मुशर्रफ ने प्लेन से ही नवाज सरकार को बर्खास्त कर दिया। सेना ने नवाज सहित सभी मंत्रियों को गिरफ्तार कर लिया।

साल 2000 में नवाज शरीफ और उनके परिवार को देश से निर्वासित कर सऊदी अरब भेज दिया गया। वो दस साल पाकिस्तान से बाहर रहे।

2006 में नवाज शरीफ मतभेद भुलाकर बेनजीर के करीब आए
2006 आते-आते नवाज को यह एहसास होने लगा था कि अब उन्हें मतभेदों को भुलाकर बेनजीर भुट्टो से राजनीतिक करीबी बढ़ानी चाहिए। इस वक्त तक बेनजीर भी कुछ ऐसा ही चाह रही थीं। दोनों नेता लंदन में मिले और एक चार्टर पर हस्ताक्षर किए। चार्टर में लिखा था कि दोनों पार्टियां सेना को एक-दूसरे के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देंगी, लेकिन 27 दिसंबर 2007 को बेनजीर की हत्या हो गई।

2008 से 2013 तक नवाज PPP के साथ गठबंधन की सरकार में रहे। इस दौरान वो परवेज मुशर्रफ के खिलाफ महाभियोग लेकर आए और उन्हें इस्तीफा देने पर मजबूर किया। 2010 में पाकिस्तान में 18वां संशोधन बिल पास हुआ। इसके तहत प्रधानमंत्री बनने पर 2 बार की लिमिट को हटा दिया गया।

इससे नवाज शरीफ को 2013 के चुनाव में फिर से प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला। 2013 में एक बार फिर से सत्ता में आने के बाद नवाज शरीफ सरकार के पास खुद को स्थापित करने के लिए पूरा समय और शक्ति थी। हालांकि, वह इस बार भी खुद को स्थापित नहीं कर सके। इसकी वजह थी मशहूर पनामा लीक्स।

जेल में थे, जब पत्नी की मौत हुई
2016 में पनामा लीक्स घोटाले में नवाज शरीफ और उनके परिवार के लोगों का भी नाम सामने आया। इसके बाद ये माना गया कि नवाज का राजनीतिक करियर एक तरह से खत्म हो गया है।

जून 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने नवाज को भ्रष्ट मानकर प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। सालभर बाद एक और मामले में कोर्ट ने नवाज के राजनीतिक जीवन पर विराम लगाते हुए राजनीति में भाग लेने या कोई भी सार्वजनिक पद संभालने पर उम्रभर के लिए पाबंदी लगा दी।

2018 में नवाज को बेटी मरियम समेत एक और मामले में 10 साल की सजा सुना दी गई। मरियम को नवाज का उत्तराधिकारी भी माना जाता है। इस वक्त नवाज लंदन में अपनी बीमार पत्नी के साथ थे। उन्होंने घोषणा कर कहा कि वो वापस लौटेंगे और कोर्ट का सामना करेंगे।

पाकिस्तान आने के बाद नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम को गिरफ्तार कर लिया गया। नवाज को जेल में उनकी बीमार पत्नी कुलसूम से फोन पर बात करने तक का मौका नहीं दिया गया। कुलसूम की मौत से पहले उनसे बात कराने के लिए नवाज ने जेल के अधिकारियों से खूब आरजू की, लेकिन उनकी एक न सुनी गई। नवाज जब जेल में थे, तभी उन्हें खबर मिली कि उनकी पत्नी कुलसूम नवाज की मौत हो गई।

2018 के आम चुनाव में उनकी पार्टी चुनाव हार गई। इमरान की सरकार बनने के बाद नवाज बीमारी के इलाज के लिए लंदन चले गए और 4 साल बाद चुनाव से 4 महीने पहले वापस लौटे। पाकिस्तान चुनाव के वो सबसे अहम किरदार हैं।

पत्नी कुलसूम की मौत पर जेल से रिहा होने के बाद नवाज शरीफ।

पत्नी कुलसूम की मौत पर जेल से रिहा होने के बाद नवाज शरीफ।

क्या पाकिस्तान में फिर नवाज शरीफ की सरकार बनेगी?
पाकिस्तान में आर्मी जिसे चाहती है, उसी की सरकार बनती है। इमरान को भी सेना ही सत्ता में लाई और जब मतभेद बढ़े तो उन्हें हटाया भी। 10 अगस्त को खुद नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ​ ने कहा था- नवाज शरीफ पाकिस्तान आएंगे​​​​ और प्रधानमंत्री बनेंगे।

नवाज पर लगे प्रतिबंधों को हटवाने के लिए शाहबाज ने पहले ही पाकिस्तान के कानूनों में बदलाव करवा दिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक लंदन से लौटने के बाद नवाज शरीफ ने चुनाव होने के बावजूद बहुत कम रैलियां की हैं। जबकि बिलावल भुट्टो ने पूरे पाकिस्तान का दौरा किया। नवाज की पार्टी PML-N काफी आश्वस्त दिखाई दे रही है। माना जा रहा है कि सेना उनका साथ देगी। ​​

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