Pakistan SCO Meeting PM Narendra Modi Invitation Update | Islamabad | पाकिस्तान ने SCO बैठक के लिए मोदी को न्योता भेजा: PM मोदी शामिल होंगे या नहीं, इस पर भारत ने कहा था- अटकलबाजी न लगाएं


इस्लामाबाद3 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
पाकिस्तान रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इससे पहले कहा था कि पाकिस्तान निश्चित तौर पर भारत के पीएम मोदी को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित करेगा। - Dainik Bhaskar

पाकिस्तान रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इससे पहले कहा था कि पाकिस्तान निश्चित तौर पर भारत के पीएम मोदी को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित करेगा।

पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अक्टूबर में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) से जुड़ी एक बैठक में शामिल होने के लिए आधिकारिक तौर पर आमंत्रित किया है। SCO के काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (CHG) की बैठक 15-16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में होगी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा कि बैठक में भाग लेने के लिए सदस्य देशों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा गया है। इसी के तहत भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी न्योता भेजा गया है।

प्रवक्ता बलूच ने कहा कि कुछ देशों ने पहले ही बैठक में शामिल होने की पुष्टि कर दी है। किस देश ने आमंत्रण स्वीकार किया है, इस बारे में सही वक्त पर जानकारी दी जाएगी। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बीते मंगलवार को कहा था कि पाकिस्तान निश्चित तौर पर पीएम मोदी को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए न्योता भेजेगा।

भारत के साथ संबंधों के बारे में पूछे जाने पर पाकिस्तानी प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान का भारत के साथ सीधा द्विपक्षीय व्यापार नहीं है।

भारत के साथ संबंधों के बारे में पूछे जाने पर पाकिस्तानी प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान का भारत के साथ सीधा द्विपक्षीय व्यापार नहीं है।

भारत ने अटकलबाजी न लगाने को कहा था
भारत ने पहले उन मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया था जिनमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान में होने वाले आगामी SCO शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे।

विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा, “हमने देखा है कि ऐसी खबरें चल रही हैं कि PM पाकिस्तान में SCO बैठक में भाग नहीं लेंगे या उनके बदले विदेश मंत्री पाकिस्तान में भाग लेंगे।हम साफ करना चाहते हैं कि विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं है। इससे जुड़ी किसी अटकलबाजी से बचा जाए।”

SCO में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। यह संगठन मध्य एशिया में शांति और सभी देशों के बीच सहयोग बनाए रखने के लिए बनाया गया है। पाकिस्तान, चीन रूस भी इसके मेंबर हैं।

SCO भारत को आतंकवाद से लड़ाई और सिक्योरिटी से जुड़े मुद्दे पर अपनी बात मजबूती से रखने के लिए एक मजबूत मंच उपलब्ध कराता है।

4 जुलाई को SCO शिखर सम्मेलन के वर्चुअल बैठक में शहबाज शरीफ शामिल हुए थे।

4 जुलाई को SCO शिखर सम्मेलन के वर्चुअल बैठक में शहबाज शरीफ शामिल हुए थे।

जुलाई में SCO समिट में शामिल नहीं हुए थे PM मोदी
इस साल 3-4 जुलाई को कजाकिस्तान में हुए SCO समिट में PM मोदी शामिल नहीं हुए थे। उनकी जगह विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। पिछले साल किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक ने SCO की CHG बैठक होस्ट की थी। इसमें भी पीएम मोदी नहीं जा पाए थे। उनकी जगह विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हुए थे।

भारत ने पिछले साल वर्चुअल मोड में 4 जुलाई को SCO शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी। इसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ऑनलाइन हिस्सा लिया था। इससे पहले मई 2023 में पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी गोवा में SCO विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए भारत आए थे।

तस्वीर 2015 की है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरप्राइज विजिट पर पाकिस्तान के लाहौर पहुंचे थे।

तस्वीर 2015 की है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरप्राइज विजिट पर पाकिस्तान के लाहौर पहुंचे थे।

9 साल पहले सरप्राइज विजिट पर PAK पहुंचे PM मोदी
प्रधानमंत्री मोदी आखिरी बार साल 2015 में एक सरप्राइज विजिट पर लाहौर पहुंचे थे। तब उन्होंने पाकिस्तान के PM नवाज शरीफ से मुलाकात की थी। इसके बाद दिसंबर 2015 में भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी पाकिस्तान दौरे पर गई थीं।

उनके इस दौरे के बाद से भारत के किसी भी प्रधानमंत्री या मंत्री ने पाकिस्तान की यात्रा नहीं की है। 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया। तब से दोनों देशों के बीच कोई हाई-लेवल बैठक नहीं हुई है।

भारत के लिए क्यों जरूरी है SCO?
SCO मध्य एशिया में शांति और सभी देशों के बीच सहयोग बनाए रखने के लिए बनाया गया संगठन है। पाकिस्तान, चीन रूस भी इसके मेंबर हैं। SCO भारत को आतंकवाद से लड़ाई और सिक्योरिटी से जुड़े मुद्दे पर अपनी बात मजबूती से रखने के लिए एक मजबूत मंच उपलब्ध कराता है।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, SCO को लेकर भारत की तीन प्रमुख पॉलिसी हैं:

  • रूस से संबंध मजबूत करना
  • पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान के दबदबे पर लगाम और जवाब देना
  • सेंट्रल एशियाई देशों के साथ सहयोग बढ़ाना
  • SCO से जुड़ने में भारत का एक प्रमुख लक्ष्य इसके सेंट्रल एशियाई रिपब्लिक यानी CARs के 4 सदस्यों- कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान से आर्थिक संबंध मजबूत करना है।
  • इन देशों के साथ कनेक्टिविटी की कमी और चीन के इस इलाके में दबदबे की वजह से भारत के लिए ऐसा करने में मुश्किलें आती रही हैं।
  • 2017 में SCO से जुड़ने के बाद इन सेंट्रल एशियाई देशों के साथ भारत के व्यापार में तेजी आई है। 2017-18 में भारत का इन चार देशों से व्यापार 11 हजार करोड़ रुपए का था, जो 2019-20 में बढ़कर 21 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया।
  • इस दौरान भारतीय सरकारी और प्राइवेट कंपनियों ने इन देशों में गोल्ड माइनिंग, यूरेनियम, बिजली और एग्रो-प्रोसेसिंग यूनिट्स में निवेश भी किया।
  • सेंट्रल एशिया में दुनिया के कच्चे तेल और गैस का करीब 45% भंडार मौजूद है, जिसका उपयोग ही नहीं हुआ है। इसलिए भी ये देश भारत की एनर्जी जरूरतों को पूरा करने के लिए आने वालों सालों में अहम हैं।
  • भारत की नजरें SCO के ताजा सम्मेलन के दौरान इन सेंट्रल एशियाई देशों के साथ अपने संबंध और मजबूत करने पर रहेंगी।

बांग्लादेश में निर्मित स्थितियों के कारण उससे हमारे संबंधों के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। ऐसे में यह पूछने का सही समय है कि पाकिस्तान के साथ हमारे हमेशा से ही खराब संबंधों की स्थिति क्या है? पूरी खबर पढ़ें…

खबरें और भी हैं…



Disclaimer:* The following news is sourced directly from our news feed, and we do not exert control over its content. We cannot be held responsible for the accuracy or validity of any information presented in this news article.

Source link

Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *