Israel Palestine War; Saudi Arabia US On Diplomatic Relations | सऊदी बोला- इजराइल के साथ डिप्लोमैटिक रिश्ते नहीं बनाएंगे: अमेरिका से कहा- इजराइल गाजा में हमले रोके, आजाद फिलिस्तीन को मान्यता दे


8 मिनट पहले

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गाजा की स्थिति को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 5 फरवरी को सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की थी। - Dainik Bhaskar

गाजा की स्थिति को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 5 फरवरी को सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की थी।

सऊदी अरब का कहना है कि जब तक फिलिस्तीन स्वतंत्र राज्य नहीं बन जाता, तब तक सऊदी और इजराइल के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं होंगे।

सऊदी अरब ने यह बात अमेरिका से कहा है। दरअसल, अमेरिका इजराइल-सऊदी रिलेशन शुरू कराने को लेकर तमाम कोशिशें कर रहा है। हालांकि, बुधवार को सऊदी ने साफ कर दिया की जब तक फिलिस्तीनियों को उनके अधिकार नहीं मिल जाते वो इजराइल के साथ संबंध नहीं रखेगा।

सऊदी विदेश मंत्रालय ने कहा- हमने अमेरिका को बता दिया है कि हम इजराइल के साथ राजनयिक संबंध तक तक नहीं शुरू करेंगे जब तक वो गाजा में हो रहे हमले रोक नहीं देता। साथ ही फिलिस्तीनी को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता नहीं दे देता।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन 5 फरवरी को सऊदी की राजधानी रियाद पहुंचे थे। उन्होंने इजराइल-हमास जंग पर क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से बात की थी।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन 5 फरवरी को सऊदी की राजधानी रियाद पहुंचे थे। उन्होंने इजराइल-हमास जंग पर क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से बात की थी।

अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन सऊदी गए थे
एक दिन पहले यानी 6 फरवरी को ही अमेरिका ने कहा था कि इजराइल और सऊदी के बीच राजनयिक संबंध बनाने को लेकर बातचीत करने के लिए राजी हैं। अमेरिका के इस बयान के बाद ही सऊदी ने इजराइल के साथ किसी भी तरह के संबंध बनाने के लिए मना कर दिया है।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 5 फरवरी को रियाद में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की थी। वो गाजा की स्थिति पर चर्चा करने के लिए सऊदी के दौरे पर गए थे।

सऊदी ने इजराइल को मान्यता नहीं दी है
सऊदी अरब ने अब तक इजराइल को एक देश के तौर पर मान्यता नहीं दी है। इसलिए दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक रिलेशन्स नहीं है। सऊदी का कहना है कि वो इजराइल के साथ संबंध सामान्य कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए उसे 2002 के अरब शांति प्रस्ताव की शर्तें माननी होंगी।

2002 में तय हुआ था कि इजराइल को उन सभी क्षेत्रों से अपना कब्जा हटाना होगा जो उसने 1967 की जंग के दौरान किया। फिलिस्तीन को एक आजाद मुल्क मानना होगा। पूर्वी यरूशलम को उसकी राजधानी माननी होगी। इन शर्तों में सभी अरब देशों की सहमति थी।

फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास (बाएं) ने 18 अप्रैल 2023 को सऊदी क्राउन प्रिंस से मुलाकात की थी। दोनों ने आजाद फिलिस्तीन को लेकर बातचीत की थी।

फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास (बाएं) ने 18 अप्रैल 2023 को सऊदी क्राउन प्रिंस से मुलाकात की थी। दोनों ने आजाद फिलिस्तीन को लेकर बातचीत की थी।

2020 में अमेरिका ने अब्राहम अकॉर्ड कराया था
इजराइल सरकार ने हाल ही में माना था कि सऊदी से बैकडोर डिप्लोमैसी के तहत बातचीत जारी है और अमेरिका मीडिएटर का रोल प्ले कर रहा है।

अमेरिकी फॉरेन सेक्रेटरी ने भरोसा दिलाया था कि इस प्रोसेस में फिलिस्तीन के मुद्दों और हितों को ध्यान में रखा जाएगा। तब इजराइल-सऊदी मामलों के एक्सपर्ट सलाम सेजवानी ने कहा था- सितंबर 2020 में अमेरिका ने अब्राहम अकॉर्ड कराया था। ये बहुत बड़ी कामयाबी थी।

अब्राहम अकॉर्ड के वक्त डोनाल्ड ट्रम्प प्रेसिडेंट थे। उस वक्त UAE, बहरीन, मोरक्को और सूडान ने इजराइल को मान्यता दी। आज इजराइल और UAE के बीच डिफेंस और ट्रेड रिलेशन बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं।

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‘गाजा अब दो हिस्सों में बंट चुका है। उत्तरी गाजा और दक्षिणी गाजा। उत्तरी गाजा में हम हमास का सफाया कर रहे हैं और दक्षिण में घायलों की मदद। अगर हमें लगता है कि वहां भी कोई हमास लड़ाका है तो उसे भी मार गिराया जा रहा है।’ 4 नवंबर को इजराइली सेना के प्रवक्ता डेनियल हागरी ने ये बात कही। पढ़ें पूरी खबर…



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