Bhaskar Opinion on Uniform Civil Code Bill in Uttarakhand | भास्कर ओपिनियन- कानून: समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में पहला कदम


15 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर

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समान नागरिक संहिता विधेयक यानी यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड बिल उत्तराखण्ड विधानसभा में पेश कर दिया गया है। दरअसल, यह एक प्रयोग है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां यह विधेयक पारित होने के बाद समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी। इस प्रयोग के सफल होते ही यह अन्य भाजपा शासित राज्यों और हो सकता है फिर केंद्र में भी लागू किया जाए।

विपक्ष हालांकि इस विधेयक का विरोध तो नहीं कर पा रहा है लेकिन तरह-तरह के सवाल उसकी तरफ़ से ज़रूर पूछे जा रहे हैं। कुछ मुस्लिम नेता और उनसे जुड़े राजनीतिक दल ज़रूर इस पर कड़ी आपत्ति जता रहे हैं।

आख़िर ये समान नागरिक संहिता क्या है और इसका असर किस पर, कैसा पड़ेगा?
वैसे ज़्यादातर देशों में दो तरह के क़ानून होते हैं। आपराधिक या क्रिमिनल क़ानून और सिविल क़ानून। क्रिमिनल क़ानून में चोरी, लूट, मार-पीट, डकैती, हत्या जैसे आपराधिक मामलों की सुनवाई की जाती है। इसमें सभी धर्मों या समुदायों के लिए एक ही तरह के कोर्ट, प्रोसेस और सजा का प्रावधान होता है।

सिविल क़ानून कई मायनों में भिन्न है। इसमें शादी, ब्याह और संपत्ति से जुड़े मामले आते हैं। हमारे देश में अलग- अलग धर्मों में शादी, परिवार और संपत्ति से जुड़े मामलों में अलग-अलग रीति- रिवाज, संस्कृति और परम्पराओं का ख़ास महत्व है।

अलग धर्मों या समुदायों से जुड़े क़ानून भी अलग होते हैं। इन्हें पर्सनल लॉ कहते हैं। जैसे मुस्लिमों में शादी भी और संपत्ति का भी बँटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक़ होता है। हिंदुओं में शादी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत होती है। इसी तरह ईसाई और सिखों के लिए भी अलग पर्सनल लॉ है।

यूनिफार्म सिविल कोड के लागू होने से सभी तरह के पर्सनल लॉ ख़त्म हो जाएँगे और सभी धर्मों, समुदायों के लिए समान क़ानून हो जाएगा। यानी भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए निजी मामलों में भी एक जैसा क़ानून हो जाएगा, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय का हो।

फरवरी 2024 के पहले हफ्ते में उत्तराखंड सरकार की यूसीसी विशेषज्ञ समिति ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंपी थी। इस समिति की अध्यक्ष जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई थीं।

फरवरी 2024 के पहले हफ्ते में उत्तराखंड सरकार की यूसीसी विशेषज्ञ समिति ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंपी थी। इस समिति की अध्यक्ष जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई थीं।

अभी पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम व्यक्ति चार शादियाँ कर सकता है लेकिन हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करना अपराध है। यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड के ज़रिए इन सब मामलों में एक ही क़ानून बन जाएगा जो सभी लोगों पर समान रूप से लागू होगा।

इसके तहत शादी, संपत्ति, तलाक़, उत्तराधिकार और दत्तक ग्रहण या गोद लेने जैसे मामलों में एक ही क़ानून लागू होगा। ऐसा माना जा रहा है कि उत्तराखंड के बाद यह क़ानून मध्यप्रदेश और गुजरात में भी लागू किया जाएगा।



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