नई दिल्ली/तेहान27 मिनट पहले
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ईरान ने कुल 28 देशों के नागरिकों के लिए वीजा फ्री पॉलिसी लागू की है। (फाइल)
ईरान ने इंडियन टूरिस्ट्स के लिए वीजा फ्री फैसेलिटी शुरू कर दी है। नई दिल्ली में ईरान की एंबैसी ने मंगलवार को एक बयान में यह जानकारी दी। इस वीजा फ्री ट्रैवल में कुछ शर्तें भी रहेंगी। मसलन, इस वीजा फ्री ट्रैवल में टूरिस्ट सिर्फ 15 दिन ही ईरान में रुक सकेगा। दूसरी बात यह है कि इसका फायदा सिर्फ उन टूरिस्ट्स को मिलेगा जो एयर ट्रैवल यानी हवाई मार्ग से ईरान जाएंगे।
एटमी प्रोग्राम बंद न करने की वजह से ईरान पर पश्चिमी देशों ने तमाम तरह की सख्त पाबंदियां लगा रखी हैं। इसका सीधा असर उसके एक्सपोर्ट्स पर पड़ रहा है। खस्ताहाल इकोनॉमी को सहारा देने के लिए ईरान ने 28 देशों के टूरिस्ट के लिए वीजा फ्री टूरिज्म का ऐलान दिसंबर 2023 में किया था।
एटमी प्रोग्राम बंद न करने की वजह से ईरान पर पश्चिमी देशों ने तमाम तरह की सख्त पाबंदियां लगा रखी हैं। इसका सीधा असर उसके एक्सपोर्ट्स पर पड़ रहा है। (फाइल)
ईरान की फ्री वीजा पॉलिसी
- नई दिल्ली में ईरान की एंबैसी की तरफ से जारी बयान में कहा गया- भारतीय पर्यटकों के लिए हम वीजा फ्री पॉलिसी लाए हैं। इसका फायदा सिर्फ वो टूरिस्ट उठा सकेंगे जो एयर ट्रैवल के जरिए ईरान पहुंचेंगे और जिनका मकसद सिर्फ ईरान घूमना होगा। इसके अलावा वो कितने दिन वहां ठहर सकेंगे, इसके लिए भी रूल्स तय किए गए हैं।
- वीजा फ्री पॉलिसी के मुताबिक, कोई भी टूरिस्ट ईरान में 15 दिन ही ठहर सकेगा और इस टाइम पीरिएड को बढ़ाया नहीं जा सकेगा। यह वीजा छह महीने में सिर्फ एक बार लिया जा सकेगा। अगर कोई टूरिस्ट 15 दिन से ज्यादा ठहरना चाहता है या 6 महीने में एक से ज्यादा बार ईरान आना चाहता है तो उसे दूसरी कैटेगरीज का वीजा लेना होगा।
तस्वीर 3 जुलाई 2023 की है। फॉरेन टूरिस्ट्स का एक ग्रुप ईरान के याज्द शहर में मौजूद विंड कैचर्स हब को देखने गया था।
सऊदी और ईरान एक राह पर
- ईरान पर तो तमाम तरह की पाबंदियां हैं, लेकिन सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) भी कट्टर इस्लामी नियमों में ढील देकर मुल्क को टूरिज्म हब बनाना चाहते हैं और इसके लिए सऊदी में कई तरह के बदलाव देखे जा रहे हैं। हाल ही में वहां 70 साल बाद पहला लिकर स्टोर यानी शराब की दुकान खोली गई थी। हालांकि, शुरुआत में यहां सिर्फ फॉरेन डिप्लोमैट्स ही खरीदारी कर सकेंगे।
- दूसरी तरफ, ईरान ने भारत समेत 28 देशों के लिए वीजा फ्री पॉलिसी लागू कर दी है। ईरान के फॉरेन ऑफिस ने नवंबर 2023 में इस तरफ इशारा करते हुए कहा था- पर्शियन गल्फ में जबरदस्त टूरिस्ट स्कोप है और हम इसका इस्तेमाल जरूर करेंगे। इसके लिए पॉलिसी तैयार की जा रही है।
- भारत के अलावा जापान, ब्राजील, मैक्सिको, पेरू, इंडोनेशिया, सिंगापुर, क्यूबा, ट्यूनीशिया और तंजानिया के लोग ईरान की इस वीजा फ्री ट्रैवल पॉलिसी का फायदा उठा सकेंगे।
ईरान सरकार अब सऊदी अरब समेत कई पड़ोसी देशों से रिश्ते सुधारना चाहती है और इसकी झलक साफ तौर पर इस वीजा फ्री पॉलिसी में भी देखने मिलती है। (फाइल)
पड़ोसियों से रिश्ते सुधारने की कोशिश
- ईरान सरकार अब किसी वक्त कट्टर दुश्मन रहे सऊदी अरब समेत कई पड़ोसी देशों से रिश्ते सुधारना चाहती है और इसकी झलक साफ तौर पर इस वीजा फ्री पॉलिसी में भी देखने मिलती है।
- मसलन, इस पॉलिसी में जिन देशों को शामिल किया गया है, उनमें सऊदी अरब, बहरीन, कुवैत, कतर, UAE के अलावा सेंट्रल एशिया के कुछ देशों को भी शामिल किया गया है। प्रेसिडेंट इब्राहिम रईसी ने 2023 में कहा था- पश्चिमी देशों से मुकाबले के लिए पड़ोसी देशों से रिश्ते मजबूत करना बहुत जरूरी है। पिछले साल ही ईरान और सऊदी अरब ने डिप्लोमैटिक रिलेशन बहाल किए थे। ये करीब 7 साल पहले टूट गए थे।
- इसके अलावा UAE और कुवैत जैसे सुन्नी मेजॉरिटी वाले देशों से भी ईरान के रिश्ते काफी खराब थे और अब ये भी करीब-करीब सही रास्ते पर हैं। बहरीन के मामले में भी यही कहा जा सकता है।
ईरान सरकार ने दिसंबर 2023 में कहा था कि वो देश में टूरिज्म को नए सिरे से शुरू करना चाहती है और इसके लिए पॉलिसी तैयार की जा रही है। (फाइल)
एटमी जिद का इकोनॉमी पर असर
- करीब 23 साल से ईरान एटमी ताकत हासिल करने की कोशिश कर रहा है। 2015 में ईरान की चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका के साथ एटमी कार्यक्रम बंद करने को लेकर एक डील हुई थी। ये समझौता इसलिए हुआ था क्योंकि पश्चिम देशों को डर था कि ईरान परमाणु हथियार बना सकता है या फिर वो ऐसा देश बन सकता है जिसके पास परमाणु हथियार भले ही ना हों, लेकिन इन्हें बनाने की सारी क्षमताएं हों और कभी भी उनका इस्तेमाल कर सके।
- 2010 में ईरान को रोकने के लिए UN सिक्योरिटी काउंसिल, यूरोपीय यूनियन और अमेरिका ने पाबंदियां लगाई थीं। इनमें से ज्यादातर अब भी जारी हैं। 2015 में ईरान का इन शक्तियों से समझौता हुआ। करीब पांच साल तक ईरान को राहत मिलती रही। जनवरी 2020 में तब के अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने समझौता रद्द कर दिया और ईरान पर सख्त प्रतिबंध लगाए। इसके बाद बाइडेन आए तो ईरान पर नर्म रुख अपनाया।
- बहरहाल, अब बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन से भी ईरान के रिश्ते काफी खराब हो चुके हैं। इसकी वजह इजराइल और हमास की जंग है। ईरान सरकार न सिर्फ हमास बल्कि यमन के हूती विद्रोहियों और लेबनान के हिजबुल्लाह आतंकी संगठन को खुलेआम मदद दे रही है। इसको लेकर मिडिल ईस्ट की जंग का दायरा अब तेजी से पर्शियन गल्फ और पूरे लाल सागर तक पहुंचने का खतरा है।