पड़ोसी देश बांग्लादेश की कहानी हर गुजरते घंटे के साथ बदल रही है। करीब 2 महीने से चल रहे आरक्षण विरोधी आंदोलन हिंसक होने के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा है। वो सेना के हेलिकॉप्टर से पहले अगरतला पहुंची और वहां से C-130J मिलिट्री वि
.
बांग्लादेश की मौजूदा क्राइसिस में आगे क्या हो सकता है, 10 जरूरी सवालों के जवाब…
सवाल-1: बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना अब क्या करेंगी?
जवाब: शेख हसीना ने ढाका छोड़ने के बाद सीधे भारत की तरफ उड़ान भरी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपी में गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर NSA अजीत डोभाल और शेख हसीना के बीच करीब एक घंटे बातचीत हुई। साथ में भारतीय वायुसेना के वेस्टर्न एयर कमांड एयर मार्शल पीएम सिन्हा भी मौजूद रहे। शेख हसीना को एयरबेस के सेफ हाउस में रखा गया है। उनकी सिक्योरिटी में वायुसेना के गरुण कमांडो तैनात हैं।
इससे पहले शेख हसीना का C-130 ट्रांसपोर्ट विमान यूपी में गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर सोमवार शाम करीब 5.45 बजे लैंड हुआ। एयरबेस के कमांडर संजय चोपड़ा ने शेख हसीना को रिसीव किया। मतलब, यहां उनके उतरने की पहले से तैयारी हो गई थी। हालांकि ये भी कहा जा रहा है कि उनका विमान रीफ्यूलिंग के लिए उतरा है। फिलहाल वायुसेना के अधिकारी इस मसले पर आधिकारिक रूप से कुछ नहीं बोल रहे।
जानकारों का मानना है कि शरण में आने वाले की जान बचाना भारत की नीतियों में शामिल है, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि शेख हसीना लंबे समय तक यहां रुकेंगी। हो सकता है कि उनके हवाई जहाज में ईंधन भरकर उन्हें किसी न्यूट्रल देश भेज दिया जाए। उनके लंदन जाने की सबसे प्रबल संभावना है।
शेख हसीना के बेटे और पूर्व आधिकारिक सलाहकार सजीब वाजेद जॉय ने कहा है कि वे अब राजनीति में वापसी नहीं करेंगी। उन्होंने अपने परिवार की अपील पर अपनी सुरक्षा के लिए देश छोड़ा है। जॉय ने कहा कि उनकी मां इस बात से निराश हैं कि उनकी कड़ी मेहनत और बांग्लादेश को बदलने के बाद भी अल्पसंख्यक उनके खिलाफ उठ खड़े हुए हैं।
सवाल-2: क्या भारत शेख हसीना को शरण देगा?
जवाब: बांग्लादेश में भारत की राजदूत रहीं वीना सीकरी कहती हैं, ‘हो सकता है शेख हसीना ने शरण मांगी ही न हो, सिर्फ भारत के रास्ते का इस्तेमाल किया हो। अगर वह शरण मांगती भी हैं तो जरूरी नहीं है कि उन्हें शरण दी जाए।’
जानकार मानते हैं कि शेख हसीना को शरण न देने की तीन संभावित वजहें हैं-
- बांग्लादेश में माहौल शेख हसीना के खिलाफ तो है ही, वहां एंटी-इंडिया सेंटिमेंट्स भी हैं। शेख हसीना के खिलाफ जमात के लोग हैं, उनकी विपक्षी पार्टियां उनके भारत से रिश्ते को लेकर भी नाखुश रहती हैं। ऐसे में शेख हसीना को शरण देने पर बांग्लादेश में भारत के खिलाफ आक्रोश पनप सकता है।
- भारत इस इलाके की बड़ी शक्ति है, उसने G-20 जैसे फोरम की लीडरशिप की है। शेख हसीना को शरण देना, किसी देश के अंदरूनी मामले में दखल की तरह देखा जा सकता है।
- बांग्लादेश में गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों की संख्या महज 8% है। अभी बांग्लादेश में हिंसा पर आमादा लोगों को विपक्षी दलों के अलावा बांग्लादेश की जमात (धार्मिक कट्टरपंथी समुदाय) और कथित रूप से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का भी सहयोग मिल रहा है। शेख हसीना को भारत में शरण देने पर वहां की हिंसक भीड़, इन अल्पसंख्यकों को निशाना बना सकती है।
सवाल-3: पीएम मोदी और शेख हसीना के बीच रिश्ते कैसे रहे हैं, क्या वो शेख हसीना की मदद करेंगे?
जवाब: विदेशी मामलों और भारत की विदेश नीति के जानकार हर्ष वी पंत के मुताबिक, इस दौर को अगर भारत-बांग्लादेश संबंधों का स्वर्णिम काल कहा जाए तो गलत नहीं होगा। बीते दस सालों में दिल्ली और ढाका के रिश्ते बेहतर हुए हैं, कई बार मुश्किल स्थितियां भी आईं, लेकिन इस रिश्ते पर उनकी आंच नहीं पड़ी। तीस्ता जल समझौते पर पीएम मोदी को बंगाल सरकार के विरोध से जूझना पड़ा, वहीं बांग्लादेश में हसीना को भारत-विरोधी तत्वों का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद दोनों नेताओं ने अपनी साझेदारी को आगे बढ़ाने पर जोर दिया, जो द्विपक्षीय ही नहीं, बल्कि कूटनीति के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है।
8 जुलाई 2024 से शेख हसीना को 4 दिन के दौरे पर चीन में रहना था, लेकिन एक दिन पहले ही वह बांग्लादेश लौट आईं। आते ही उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘तीस्ता नदी प्रोजेक्ट में भारत और चीन दोनों की दिलचस्पी थी, लेकिन मैं चाहती हूं कि इस प्रोजेक्ट को भारत पूरा करे।’
बीते महीने से बांग्लादेश में जारी हिंसा पर भारत ने किसी भी तरह की आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रदर्शनों को लेकर कहा था कि यह बांग्लादेश का घरेलू मामला है। वीना सीकरी कहती हैं, ‘भारत और बांग्लादेश पड़ोसी देश हैं। 4,000 किलोमीटर से ज्यादा लंबी जमीनी सीमा है। भारत, बांग्लादेश के मामले में ज्यादा नहीं उलझेगा। भारत के लिए पहली प्राथमिकता अपनी सीमाओं की सुरक्षा है।
सवाल-4: शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में अब सत्ता कौन संभालेगा?
जवाब: मौजूदा हालात में बांग्लादेश में दो तरीके से सरकार बन सकती है। एक परंपरागत तरीका, दूसरा केयरटेकर सरकार।
परंपरागत तरीका: चीफ जस्टिस बन सकते हैं पीएम
बांग्लादेश की परंपरा कहती है कि जब भी ऐसी स्थिति बनती है, देश के चीफ जस्टिस को देश चलाने की जिम्मेदारी दी जाती है। 1990 में बांग्लादेश के पूर्व सैन्य तानाशाह इरशाद के खिलाफ जन आंदोलन खड़ा हुआ था। तब विपक्षी राजनीतिक दलों ने 6 दिसंबर 1990 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अहमद को सत्ता सौंप दी थी। वे बांग्लादेश के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में सरकार के मुखिया बने।
वर्तमान में बांग्लादेश में राष्ट्रपति पहले से है। ऐसे में आर्मी के जरिए बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शाहबुद्दीन, 65 साल के चीफ जस्टिस ओबैदुल हसन को सरकार का मुखिया चुन सकते हैं। उन्हें 12 सितंबर 2023 को मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है। ओबैदुल हसन सभी विपक्षी दलों को साथ लेकर एक अंतरिम सरकार बना सकते हैं। एक अनुमान ये भी है कि इस सरकार में कोई भी राजनीति दल न होकर बांग्लादेश के रिटायर्ड नौकरशाह, जज, शिक्षाविद और सोशल वर्कर हो सकते हैं।
दूसरा तरीका: केयरटेकर सरकार
बांग्लादेश में नॉन पॉलिटिकल केयरटेकर गवर्नमेंट का कॉन्सेप्ट भी है। साल 1996 और 2008 में बांग्लादेश में चुनी हुई सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर चुकी थी, तब केयरटेकर सरकारों को सत्ता सौंपी गई थी। केयरटेकर सरकार (CTG) के कोई भी सदस्य किसी राजनीतिक दल से नहीं होते हैं। इन्हें चुनाव लड़ने की भी अनुमति नहीं होती है। केयरटेकर सरकार में शामिल लोग मंत्री की तरह काम करते हैं, इन्हें सलाहकार कहा जाता है। ये सरकार राष्ट्रपति को रिपोर्ट करती है।
इस सरकार को 90 दिनों के भीतर चुनाव कराना होता है और 120 दिनों के अंदर जीतने वाली पार्टी को सत्ता सौंपनी होती है।
बांग्लादेश में 14वें संविधान संशोधन से इसे खत्म कर दिया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को पलट कर इसे फिर से बहाल कर दिया था। इस कारण आर्मी चीफ बिना किसी रिस्क के इन दोनों में से किसी भी तरीके को चुनकर सरकार बना सकते हैं।
सवाल-5: वर्तमान में कौन 3 लोग हैं जिनका नाम बांग्लादेश के पीएम पद के लिए आगे चल रहा है?
जवाब: बांग्लादेश के आर्मी चीफ वकार-उज-जमान, राष्ट्रपति के माध्यम से किसी गैर-राजनीतिक व्यक्ति को देश की कमान सौंप सकते हैं। पीएम पद के लिए कई लोगों के नाम चल रहे हैं, लेकिन 3 लोगों के नाम प्रमुख हैं।
- सलाउद्दीन अहमद: ये अर्थशास्त्री हैं। बांग्लादेश के रिजर्व बैंक के गवर्नर रह चुके हैं। सलाउद्दीन का नाम इसलिए ऊपर गिना जा रहा है क्योंकि हाल-फिलहाल देश के आर्थिक हालात ठीक नहीं है। ऐसे में देश और अर्थव्यवस्था को सुधारने वाले लीडर की जरूरत है। इस फ्रेम में सलाउद्दीन परफेक्ट बैठते हैं।
- मेजर जनरल एकेएम नजमुल हसन: ये बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश के पूर्व डायरेक्टर जनरल (डीजी) हैं। नजमुल इस साल 30 जनवरी को ही रिटायर हुए हैं। वह आर्मी इंटेलिजेंस के भी डायरेक्टर रह चुके हैं। जिस तरह से देश में अभी अराजक हालात हैं, उनसे निपटने के लिए रणनीति बनाने में सक्षम हैं। साल 1990 में चटगांव संघर्ष को इन्होंने ही डील किया था।
- डॉ. मंजूर अहमद चौधरी: मंजूर अहमद चौधरी वैज्ञानिक हैं। ये राष्ट्रीय नदी संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। बांग्लादेश परमाणु ऊर्जा आयोग में वैज्ञानिक भी रहे हैं। साथ ही नेताओं के आलोचक रहे हैं। चौधरी ने एक जिले के रिसर्चर को हटाने पर बांग्लादेश के शिक्षा मंत्री और सांसद दीपू मोनी की खुलकर आलोचना की थी। नदी संरक्षण में फेल रहने पर उत्तरी ढाका के मेयर अतीकुल इस्लाम को जेल भेजने की बात कही थी।
सवाल-6: शेख हसीना की सबसे बड़ी विपक्षी पूर्व पीएम खालिदा जिया क्या करेंगी?
जवाब: खालिदा जिया, शेख हसीना के सबसे बड़े विरोधी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की मुखिया हैं। वह बांग्लादेश की 9वीं प्रधानमंत्री रह चुकी हैं। खालिदा जिया इस समय भ्रष्टाचार के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रही हैं। वह बीमार भी हैं।
शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद राष्ट्रपति मोहम्मद सहाबुद्दीन ने अपनी पहली ही मीटिंग में बेगम खालिदा जिया को जेल से रिहा करने का आदेश दिया। यानी आने वाले दिनों में वो बांग्लादेश की राजनीति में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। उनके बेटे ताहिर रहमान पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं, वे इस समय लंदन में हैं।
सवाल-7: बांग्लादेश में हिंसक आंदोलन कब तक थमेगा?
जवाब: कहा जा रहा है कि शेख हसीना के देश छोड़कर भाग जाने से जनता का गुस्सा कम होगा। इस मूवमेंट को भले ही स्टूडेंट्स का आंदोलन कहा जा रहा है, लेकिन इसके बैकग्राउंड में बांग्लादेश की राजनीतिक स्थितियां हैं। बांग्लादेश की कट्टरपंथी जमात और विपक्षी दल इस आंदोलन को हवा दे रहे हैं, ऐसे में जब तक अंतरिम सरकार नहीं बनती और आरक्षण के मामले में कोई फैसला नहीं लिया जाता, तब तक बांग्लादेश में सड़कों पर आंदोलन कर रहे लोग घर नहीं जाने वाले हैं।
सवाल-8: बांग्लादेश से सटे भारत के सीमाई इलाकों में क्या हालात है?
जवाब: चीन, पाकिस्तान जैसे सभी पड़ोसी देशों की तुलना में भारत की बांग्लादेश के साथ सबसे ज्यादा जमीनी सीमा लगती है। पूर्व में भारत के 5 राज्य- असम, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, मेघालय और त्रिपुरा, बांग्लादेश के साथ सीमा साझा करते हैं। पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश के साथ 2217 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है।
बांग्लादेश में हिंसा, आगजनी और राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है। देश की पूर्वी सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी मुख्य रूप से BSF की है। बीते दिनों जब बांग्लादेश में हिंसक आंदोलन शुरू हुआ तो BSF के जवानों की छुट्टियां रद्द कर दी गई थीं। फिलहाल सीमा पर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए BSF ने सभी यूनिट्स के लिए हाई-अलर्ट जारी किया है।
BSF के कार्यवाहक डीजी दलजीत चौधरी सहित कई बड़े अधिकारी कोलकाता पहुंच गए हैं। सैनिकों को 24 घंटे सीमा की निगरानी के आदेश दिए गए हैं। इससे पहले भारत ने अपने नागरिकों को बांग्लादेश न जाने की एडवाइजरी जारी की थी।
Disclaimer:* The following news is sourced directly from our news feed, and we do not exert control over its content. We cannot be held responsible for the accuracy or validity of any information presented in this news article.
Source link