Pakistan Kashmir Solidarity Day; Anwaar Ul Haq Kakar, Arif Alvi | IND PAK | पाकिस्तान बोला- कश्मीरियों को सपोर्ट करते रहेंगे: कश्मीर एकजुटता दिवस मनाते हुए राष्ट्रपति ने कहा- 76 सालों से कश्मीरी लोग संघर्ष कर रहे


7 मिनट पहले

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इस्लामाबाद में कश्मीर एकजुटता दिवस के मौके पर रैली का आयोजन किया गया। - Dainik Bhaskar

इस्लामाबाद में कश्मीर एकजुटता दिवस के मौके पर रैली का आयोजन किया गया।

पाकिस्तान का कहना है कि वो कश्मीरियों को सपोर्ट करता रहेगा। दरअसल, आज पाकिस्तान में आज कश्मीर एकजुटता दिवस मनाया गया। इस दौरान केयरटेकर प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकर ने कहा- पिछले 76 सालों में कई कश्मीरियों ने बलिदान दिया है। आज उन्हें श्रद्धांजलि देने का अवसर है।

वहीं, राष्ट्रपति डॉक्टर आरिफ अल्वी ने कहा- कब्जे वाली घाटी के लोग 76 सालों से आजादी के अपने अधिकार को पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

पाकिस्तान 1990 से हर साल 5 फरवरी को कश्मीर एकजुटता दिवस मना रहा है। इसके जरिए वह कथित तौर पर कश्मीर की आजादी के लिए लड़ रहे आतंकियों को क्रांतिकारी बताकर कश्मीर अलगाववाद आंदोलन का समर्थन करता है।

इसकी शुरुआत के साल से ही एंटी-इंडिया ग्रुप्स और लोग इस दिन का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में लोगों को अपना समर्थन करने और हिंसा को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए उन्हें अपने साथ जोड़ने में करते हैं।

केयरटेकर सरकार के मंत्री मुर्तजा सोलांगी (बीच में) और फवाद हसन फवाद (बाएं) ने सोमवार को कश्मीर एकजुटता दिवस के लिए आयोजित एक रैली में हिस्सा लिया।

केयरटेकर सरकार के मंत्री मुर्तजा सोलांगी (बीच में) और फवाद हसन फवाद (बाएं) ने सोमवार को कश्मीर एकजुटता दिवस के लिए आयोजित एक रैली में हिस्सा लिया।

कश्मीरी लोग डर के साये में जी रहे
सरकारी रेडियो पाकिस्तान के मुताबिक, राष्ट्रपति अल्वी ने कहा- UNSC के प्रस्तावों में प्रावधान है कि कश्मीर का समाधान UN के तहत कराए जाने वाले स्वतंत्र और निष्पक्ष जनमत संग्रह के माध्यम से लोगों की इच्छा के अनुसार किया जाएगा। लेकिन अफसोस की बात है कि कश्मीरी लोग इस अधिकार का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।

उन्होंने कहा- भारत ने कश्मीर पर अवैध कब्जा किया है। ये दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्यीकृत क्षेत्रों में से एक है। यानी यहां सेना की मौजूदगी काफी ज्यादा है। कश्मीर के लोग डर के साये में जी रहे हैं।

केयरटेकर विदेश मंत्री भी बोले- भारत का जम्मू-कश्मीर पर अवैध कब्जा
पाकिस्तान की केयरटेकर सरकार के विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने 31 जनवरी को कहा था- भारत ने जम्मू-कश्मीर पर अवैध तरह से कब्जा कर रखा है। हम उन शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने कश्मीर के हित के लिए भारत के अत्याचार के सामने अपनी जान गंवा दी।

उन्होंने कहा था- साउथ एशिया में शांति तभी हो पाएगी जब जम्मू-कश्मीर मसले का हल UNSC के प्रस्तावों और कश्मीरियों की इच्छा के तहत निकाला जाएगा।

ब्राजील की राजधानी ब्रुसेल्स में पाकिस्तानी दूतावास में 31 जनवरी को कश्मीर एकजुटता दिवस मनाया गया। इस दौरान एक प्रदर्शनी के तहत जम्मू-कश्मीर में भारत से उत्पीड़ित लोगों की दुर्दशा को दिखाया गया। केयरटेकर विदेश मंत्री जिलानी ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था।

ब्राजील की राजधानी ब्रुसेल्स में पाकिस्तानी दूतावास में 31 जनवरी को कश्मीर एकजुटता दिवस मनाया गया। इस दौरान एक प्रदर्शनी के तहत जम्मू-कश्मीर में भारत से उत्पीड़ित लोगों की दुर्दशा को दिखाया गया। केयरटेकर विदेश मंत्री जिलानी ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था।

केयरटेकर PM ने कहा था- कश्मीर हमारी नसों में
इससे पहले 14 दिसंबर को पाकिस्तान के केयरटेकर PM अनवार-उल-हक काकड़ ने भी कहा था कि आर्टिकल 370 पर भारत के सुप्रीम कोर्ट का फैसला राजनीति से प्रेरित है। हम कश्मीर के लोगों के लिए नैतिक, राजनीतिक और डिप्लोमैटिक सपोर्ट जारी रखेंगे। घरेलू कानून और न्यायिक फैसलों के जरिए भारत अपने फर्ज से छुटकारा नहीं पा सकता।

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में लेजिस्लेटिव असेंबली के स्पेशल सेशन को संबोधित करते हुए काकड़ ने कहा था- कश्मीर पाकिस्तान की नसों में हैं। पाकिस्तान शब्द ही कश्मीर के बिना अधूरा है। पाकिस्तान और कश्मीर के लोगों में एक खास रिश्ता है। राजनीति से अलग हटकर पूरा पाकिस्तान इस बात का समर्थन करता है कि कश्मीरियों के पास अपने फैसले लेने का हक है।

सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को बरकरार रखा

दरअसल, 11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सरकार के फैसले को बरकरार रखा था। SC ने कहा था कि आर्टिकल 370 अस्थायी था। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। राष्ट्रपति को यहां के फैसले लेने का पूरा अधिकार है। इसके साथ ही राज्य में सितंबर 2024 तक चुनाव कराने का आदेश भी दिया गया है।

केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया था। साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाएं दाखिल हुई थीं। 5 जजों की बेंच ने सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की थी।



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