5 मिनट पहले
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तस्वीर राष्ट्रपति मुइज्जु के पहले संसद संबोधन की है।
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु ने सोमवार को एक बार फिर भारत विरोध रुख दोहराया। उन्होंने भारत का नाम लिए बिना कहा कि किसी भी देश को मालदीव की संप्रभुता में हस्तक्षेप करने या उसे कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
मुइज्जु ने कहा- भारत के साथ हुई बातचीत में तय हो गया है कि उनके सभी 80 भारतीय सैनिक 10 मई तक भारत लौट जाएंगे। देश में भारत के तीन एविएशन प्लेटफॉर्म हैं। इसमें से एक पर मौजूद सैनिक 10 मार्च तक भारत लौटेंगे। इसके बाद दो और प्लेटफॉर्म पर मौजूद भारतीय सैनिक 10 मई तक अपने देश चले जाएंगे।
उन्होंने कहा- मालदीव भारत के साथ पानी पर रिसर्च करने वाले एग्रीमेंट को भी रिन्यू नहीं करेगा। हम किसी भी देश को हमारी संप्रभुता में हस्तक्षेप करने या उसे कमजोर करने की अनुमति नहीं देंगे।
भारतीय सैनिकों की वापसी को लेकर दिसंबर 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु के बीच दुबई में क्लाइमेट समिट के दौरान बातचीत हुई थी।
2 विपक्षी पार्टियों ने संबोधन का विरोध किया
मालदीव की मुख्य विपक्षी पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) और डेमोक्रेट ने मुइज्जु के इस संबोधन का विरोध किया है। MDP वही पार्टी है जो राष्ट्रपति मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग ला रही है। MDP) के पास संसद में बहुमत है। उसने महाभियोग के लिए जरूरी सांसदों का समर्थन लिखित तौर पर हासिल कर लिया है। इसके एक सांसद ने नाम न बताने की शर्त पर कहा- हम कुछ और सांसदों से बातचीत के बाद महाभियोग लाने की तारीख पर फैसला करेंगे। अब तक MDP और डेमोक्रेटिक पार्टी के कुल 34 सांसद हमारे साथ हैं।
मुइज्जु के खिलाफ महाभियोग क्यों…
विपक्ष की नाराजगी मुइज्जु के तानाशाही रवैये को लेकर बढ़ गई है। दरअसल, प्रेसिडेंट ने अली हुसैन को गृह मंत्री नॉमिनेट किया है। विपक्ष इसके सख्त खिलाफ है। इसके अलावा घसाम मामून को रक्षा मंत्री चुना गया है। इन दोनों ही नामों को लेकर विपक्ष और यहां तक कि सत्ता पक्ष के कई सांसद नाराज हैं।
फुटेज 28 जनवरी 2024 की है। मालदीव की संसद में विपक्ष और सत्ताधारी पार्टी के सांसद कैबिनेट मिनिस्टर्स के अप्रूवल को लेकर भिड़ गए थे।
मालदीव में क्या कर रहे भारतीय सैनिक
मालदीव में करीब 80 भारतीय सैनिक हैं। ये दो हेलिकॉप्टर और एक एयरक्राफ्ट का ऑपरेशन संभालते हैं। आमतौर पर इनका इस्तेमाल रेस्क्यू या सरकारी कामों में किया जाता है।
भारत अपने पड़ोसी देश मालदीव को डिफेंस समेत कई दूसरे क्षेत्र में लंबे समय से सहयोग करता रहा है। नवंबर 1988 में चुनी हुई राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम की सरकार को तख्तापलट से बचाने के लिए भारतीय सेना मालदीव घुसी थी। तब से दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध हैं। लेकिन नवंबर 2023 में मुइज्जु के सत्ता संभालने के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया, जो बढ़ता जा रहा है।
मालदीव में 2021 में शुरू हुआ ‘इंडिया आउट’ कैम्पेन
2018 की बात है। चीन के करीबी और PPM के नेता राष्ट्रपति अब्दुल्लाह यामीन राष्ट्रपति चुनाव हार जाते हैं। बाद में उन्हें हवालेबाजी और एक अरब डॉलर के सरकारी धन का दुरुपयोग करने का दोषी पाया गया। 2019 में यामीन को पांच साल की सजा हुई। नए राष्ट्रपति बने इब्राहिम मोहम्मद सोलिह, जो ‘इंडिया फर्स्ट’ की पॉलिसी पर चलते थे।
कोरोना के चलते यामीन की जेल की सजा को नजरबंदी में बदल दिया गया। नवंबर 2021 में यामीन के खिलाफ लगे सारे आरोप खारिज कर दिए गए और 30 नवंबर को रिहा कर दिया गया। इसके बाद उनका दोबारा राजनीति में आने का रास्ता भी साफ हो गया। इसके बाद वह चुनाव प्रचार में जुट गए और अक्सर अपने भाषणों में लोगों से अपील करने लगे कि अपने घरों की दीवारों पर ‘इंडिया आउट’ लिखें।
इसके बाद ही मालदीव में विपक्षी दलों ने ‘इंडिया आउट’ अभियान शुरू कर दिया। उनकी मांग थी कि भारतीय सुरक्षा बल के जवान मालदीव छोड़ें। ‘इंडिया आउट’ ने मालदीव में भारत के इन सैनिकों की मौजूदगी की भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और उनकी उपस्थिति को देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया।