1 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
शशि थरूर विद्वान भी हैं। चतुर राजनेता भी और कांग्रेसी भी। विद्वान और चतुराई तक उनका कहा, सोचा सबकुछ ठीक रहता है, लेकिन कांग्रेस होते ही बात बिगड़ जाती है। दरअसल, सालों से कांग्रेस नेताओं को दूसरी पार्टियों, ख़ासकर भाजपा को बैठे-बिठाए मुद्दे परोसने की आदत हो गई है। शशि थरूर भी अक्सर यही करते रहते हैं।
जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल में वे कई बार आ चुके हैं। इस बार भी आए। इस बार उन्होंने फिर भाजपा को एक मुद्दा दे दिया। उन्होंने यहाँ बाक़ायदा प्रेस कान्फ्रेंस बुलाई और कहा- लोकसभा चुनाव में हम लोगों से कहेंगे कि रामलला के बारे में मत सोचिए। यह सोचिए कि आपकी जेब में कितना पैसा है? सोचिए कि क्या आपको रोज़गार मिला? यह भी सोचिए कि आपकी ज़िंदगी बेहतर हुई या नहीं? शशि थरूर के सारे सवाल ठीक हैं और लोगों को इस बारे में विचार ज़रूर करना चाहिए, लेकिन रामलला के बारे में मत सोचिए, इस अकेले सवाल पर भाजपा देशभर में डंका पीट सकती है।
अयोध्या के राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हुई। इसी दिन श्रीराम विग्रह के प्रथम दर्शन भी हुए।
डंका यह कि पौने पाँच सौ साल के अथक संघर्ष के बाद रामलला की अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा हो सकी है और कांग्रेस कह रही है कि रामलला के बारे में मत सोचिए! ये किस दुनिया की बात कर रहे हैं? ये किस दुनिया में रहते हैं? भाजपा इस मुद्दे को तो वहाँ तक ले जा सकती है, जहां तक कांग्रेस ने सोचा भी नहीं होगा। वह कह सकती है कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार होती तो वह रामलला का मंदिर बनने ही नहीं देती। हो सकता है आगे कभी उनकी केंद्र में सरकार आ गई तो वे रामलला के दर्शन तक रुकवा सकते हैं। कुल मिलाकर बात यहाँ तक पहुँच सकती है।
हालाँकि थरूर ने कहा कि हमारी पार्टी हिंदू विरोधी नहीं है। कांग्रेस के अस्सी प्रतिशत नेता, सदस्य हिंदू ही हैं। सही भी है लेकिन जब आप हिंदुओं या हिंदू धर्म के बारे में कुछ भी बोलते हैं तो चीजें गड़बड़ हो जाती है। कहते हैं प्रधानमंत्री कोई पुरोहित थोड़े ही हैं, जो पूजा करने गए थे!
सवाल ये उठता है कि निमंत्रण तो आपको भी मिला था, आप क्यों नहीं गए? फिर जाते या नहीं जाते, कांग्रेस को यह घोषणा करने की क्या ज़रूरत थी कि हम प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं जाएँगे? ठीक है, राजनीति होती है और हुई भी, लेकिन कांग्रेस भी तो राजनीतिक पार्टी ही है! उसे राजनीति करने से किसने रोक रखा है भला? राम मंदिर पर राजनीति करने का आरोप आप भाजपा पर रोज़ लगाइए लेकिन इससे उन लोगों को आप ख़ुश नहीं कर सकते जिनकी पीढ़ियों से रामलला में आस्था है।