लखनऊ2 मिनट पहलेलेखक: देवांशु तिवारी
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जुर्म के कई चेहरे होते हैं। कुछ आंखों के सामने नजर आते हैं, तो कुछ परदे के पीछे से चाल चलते हैं। माफिया विजय मिश्रा भी राजनीति के मुखौटे तले अपराध की जड़े फैला रहा था। जो उसे चुनौती देता, उसे रास्ते से हटाने के लिए वह पूरी ताकत झोंक देता। भले ही वह राज्य सरकार का मंत्री ही क्यों न हो…
विजय मिश्रा की सपा से वफादारी कहीं-न-कहीं मायावती को चोट