4 मिनट पहले
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अगर यह बिल पास हो जाता है तो भारत और अमेरिका के बीच रक्षा, तकनीक, सिविल स्पेस, आर्थिक और मेडिसिन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा।
अमेरिकी संसद में गुरुवार को भारत को जापान, इजराइल, साउथ कोरिया और नाटो सहयोगियों के स्तर पर ही तवज्जो देने की मांग उठाई गई है। इसके अलावा पाकिस्तान अगर भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाता है तो उसके लिए सुरक्षा सहायता बंद करने की भी अपील की गई है।
अमेरिकी सांसद मार्को रूबियो ने इसके लिए संसद में एक बिल पेश किया है। बिल में कहा गया है कि भारत को अमेरिका के प्रमुख सहयोगियों के तौर पर ही तकनीकी सहायता की जाए। इसके अलावा आतंकवाद के खतरे से निपटने में भी साथ दिया जाए। इस बिल को अमेरिका-भारत डिफेंस को-ऑपरेशन एक्ट नाम दिया गया है।
प्रस्ताव पेश करने के बाद अमेरिकी सांसद ने कहा, “कम्युनिस्ट चीन इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। साथ ही वह हमारे क्षेत्रीय सहयोगियों की संप्रभुता का भी उल्लंघन करता रहता है। ऐसे में यह जरूरी है कि अमेरिका भारत जैसे अपने सहयोगियों को चीन से निपटने में मदद करे।”
भारत को दूसरे सहयोगियों जैसा दर्जा देने से जुड़ा बिल अमेरिकी सांसद मार्को रूबियो ने पेश किया है।
रूस से हथियार खरीदने पर नहीं लगेगी पाबंदियां
अगर यह बिल पास होता है तो अमेरिका भारत को अपनी क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए रक्षा, तकनीक और आर्थिक स्तर पर मदद करेगा। इसके अलावा दोनों देशों में मेडिसिन, मिलिट्री और सिविल स्पेस के क्षेत्र में भी को-ऑपरेशन बढ़ेगा।
इसके अलावा रूस से इक्विपमेंट खरीदने पर भारत पर पाबंदियां भी नहीं लगेंगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह पहली बार है जब अमेरिकी संसद में भारत को फोकस में रखकर इस तरह का बिल पेश किया गया है।
भारत को ‘नाटो प्लस’ का दर्जा देने की उठी थी मांग
इससे पहले पिछले साल अमेरिकी संसद में भारत को ‘नाटो प्लस’ का दर्जा देने की भी मांग उठी थी। अमेरिकी संसद की सिलेक्ट कमेटी ने इसकी सिफारिश की थी। भारत को हथियार और टेक्नोलॉजी ट्रासंफर करने में तेजी को उद्देश्य बताकर ‘नाटो प्लस’ का दर्जा देने की कवायद शुरू की गई थी।
कमेटी का मानना था कि चीन ताइवान पर हमला करता है तो सामरिक तौर पर कड़ा जवाब देने के साथ-साथ क्वॉड को भी अपनी भूमिका बढ़ानी होगी। हालांकि, भारत ने स्पष्ट संकेत दिया था कि वह ‘नाटो प्लस’ में शामिल नहीं होना चाहता है। विदेश मंत्री जयशंकर ने साफ किया था कि ‘नाटो प्लस’ के दर्जे के प्रति भारत ज्यादा उत्सुक नहीं है।
क्या है ‘नाटो प्लस’
मूल नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) में 31 सदस्य देश हैं। अमेरिका ने ‘नाटो प्लस’ संगठन बनाया हुआ है। इसमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इजरायल, जापान और दक्षिण कोरिया हैं। इन देशों के साथ अमेरिका के सामरिक संबंध हैं।
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