India CO2 Increased Levels; NASA Model | Carbon Dioxide Effect | नासा ने बताया- भारत में कैसे फैल रही जहरीली CO2: सुपरकम्प्यूटर सै तैयार हुआ हाई-रिजॉल्यूशन मॉडल, दुनिया भर में कार्बन डाई-ऑक्साइड का बढ़ता प्रभाव दिखाया


6 मिनट पहले

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सुपरकम्प्यूटर से तैयार ये हाई-रिजॉल्यूशन मॉडल नॉर्मल वेदर मॉडल की तुलना में 100 गुना अधिक बेहतर है। - Dainik Bhaskar

सुपरकम्प्यूटर से तैयार ये हाई-रिजॉल्यूशन मॉडल नॉर्मल वेदर मॉडल की तुलना में 100 गुना अधिक बेहतर है।

नासा ने सुपरकंप्यूटर से तैयार हुआ एक नया हाई-रिजॉल्यूशन मॉडल जारी किया है जिसमें पूरी दुनिया में कार्बन डाई ऑक्साइड के लेवल को देखा जा सकता है। इस मॉडल को नासा की साइंटिफिक विज़ुअलाइजेशन स्टूडियो ने तैयार किया है।

इस हाई रिजॉल्यूशन मॉडल को जूम कर कार्बन डाई ऑक्साइड पैदा करने वाले सोर्स जैसे कि पावर प्लांट, आग और बड़े शहरों को देखा जा सकता है। इसके साथ ही ये भी देखा जा सकता है कि कार्बन डाई ऑक्साइड महाद्वीप और महासागरों में कैसे फैलता है।

नॉर्मल मॉडल से 100 गुना बेहतर जानकारी मिली
गोडार्ड अर्थ ऑब्जर्विंग सिस्टम (GEOS) तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया गया यह मॉडल, जनवरी से मार्च 2020 तक कार्बन डाई ऑक्साइड के बढ़ते लेवल की जानकारी देता है। ये हाई-रिजॉल्यूशन मॉडल नॉर्मल वेदर मॉडल की तुलना में 100 गुना अधिक बेहतर है।

इस प्रोजेक्ट से जुड़े क्लाइमेट साइंटिस्ट डॉ लेस्ली ओट ने कहा कि इस मॉडल के जरिए हमने ये जानने की कोशिश की है कि कार्बन डाई ऑक्साइड कहां से आता है और यह धरती को कैसे प्रभावित करता है। इस मॉडल को देखकर आसानी से समझा जा सकता है कि कैसे सब कुछ इन अलग-अलग मौसम पैटर्न्स से जुड़ा हुआ है।

चीन-US में इंडस्ट्री से तो अफ्रीका में आग से बढ़ता है CO2
इस मॉडल को देखने पर साफ पता चलता है कि चीन, अमेरिका और साउथ एशिया में कार्बन डाई ऑक्साइड का अधिकतर उत्सर्जन पावर प्लांट, इंडस्ट्री और गाड़ियों से पैदा होता है। वहीं, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका जैसे देशों में ये आग लगने की वजह से पैदा होता है।

अमेरिका में कार्बन डाई ऑक्साइड का अधिकतर उत्सर्जन पावर प्लांट, इंडस्ट्री और गाड़ियों से पैदा होता है।

अमेरिका में कार्बन डाई ऑक्साइड का अधिकतर उत्सर्जन पावर प्लांट, इंडस्ट्री और गाड़ियों से पैदा होता है।

2023 अब तक का सबसे गर्म साल रहा
इस मॉडल को तब तैयार किया गया है जब दुनिया भर में कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है और इसकी वजह से धरती और गर्म हो रही है। नासा की रिपोर्ट के मुताबिक 1850 में ग्लोबल रिकॉर्ड रखना शुरू करने के बाद से अब तक में 2023 सबसे गर्म साल रहा।

नासा के मुताबाकि 2023 के 12 महीनों में औसत तापमान 14.98 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया। यह 2016 जो कि इससे पहले का सबसे गर्म साल था उससे 0.17 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

नासा के मुताबिक पिछले 174 साल के रिकॉर्ड में 10 सबसे गर्म साल पिछले दशक (2014 से 2013) के दौरान रहे। इसकी वजह वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड का लेवल बढ़ना है।

जरूरत से कहीं अधिक बढ़ा पृथ्वी का तापमान
वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइढ का लेवल साल 1750 में लगभग 278 पार्ट्स प्रति मिलियन था। यह मई 2024 में बढ़कर 427 पार्ट्स प्रति मिलियन हो चुका है। कार्बन डाई ऑक्साईड धरती के तापमान को बरकरार रखने के लिए बेहद जरूरी है लेकिन पिछली सदी में इस गैस में काफी इजाफा हुआ है इसकी वजह से पृथ्वी का जरूरत से कहीं अधिक बढ़ चुका है।

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