PM Narendra Modi Russia Visit Vs US; Donald Lu | India US Relations | अमेरिकी संसद में उठा मोदी के रूस दौरे का मुद्दा: अधिकारी बोले- हम टाइमिंग और संदेश से निराश, कोई डिफेंस डील नहीं कर पाए भारत-रूस


कुछ ही क्षण पहले

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PM मोदी 8 जुलाई को 5 साल बाद रूस के दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन को गले लगाया था। - Dainik Bhaskar

PM मोदी 8 जुलाई को 5 साल बाद रूस के दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन को गले लगाया था।

अमेरिका ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा पर नाराजगी जताई है। अमेरिका ने कहा कि मोदी की इस यात्रा की टाइमिंग और उससे जो संदेश दिया गया, वह बेहद निराशाजनक था। दरअसल, PM मोदी 8 जुलाई को जब रूस गए थे, उसी वक्त नाटो देशों की बैठक भी चल रही थी।

विदेश मामलों पर बनी अमेरिका की संसदीय कमेटी ने बुधवार को इस मुद्दे पर चर्चा की। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के अधिकारी डोनाल्ड लू ने कहा, “हम इस मामले में भारतीय अधिकारियों से संपर्क में हैं। मोदी के मॉस्को दौरे पर अमेरिका बारीकी से नजर बनाए हुए था। दोनों देशों के बीच कोई अहम रक्षा समझौता नहीं हुआ। न ही उन्होंने तकनीक साझा करने पर कोई खास चर्चा की।”

अमेरिकी अधिकारी ने बैठक में कहा, “PM मोदी ने पुतिन के सामने लाइव टीवी पर कहा कि जंग के मैदान में समस्या का हल नहीं निकाला जा सकता। मोदी ने जंग में बच्चों के मरने पर भी दुख जताया था।” व्हाइट हाउस ने भी भारत और रूस के बीच रक्षा समझौता नहीं होने की सराहना की।

वहीं रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य जो विल्सन ने यूक्रेन में बच्चों के अस्पताल पर हमले के दिन मोदी के पुतिन को गले लगाने पर हैरानी जताई। इससे पहले मोदी के दौरे पर अमेरिकी राजदूत के बयान को लेकर 19 जुलाई को विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया सामने आई थी।

भारत ने कहा था- हमें अपने फैसले लेने की आजादी
मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि भारत भी दूसरे देशों की तरह ही अपनी रणनीतिक आजादी को महत्व देता है। अमेरिकी राजदूत को अपनी राय रखने का अधिकार है। ठीक उसी तरह हमारे भी अपने और अलग विचार हो सकते हैं।

जायसवाल ने कहा था, “अमेरिका के साथ हमारी दोस्ती हमें एक-दूसरे के नजरिये का सम्मान करने की आजादी देती है। इसमें हम एक दूसरे के कई मुद्दों पर सहमत भी हो सकते हैं और असहमत भी।”

अमेरिकी राजदूत ने कहा था- दोस्ती को हल्के में न लें
भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने करीब 15 दिन पहले नई दिल्ली में एक डिफेंस कॉन्क्लेव को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच संबंध काफी गहरे और मजबूत हैं मगर ये उतना भी मजबूत नहीं है कि इसे हल्के में लिया जाए।

अमेरिकी राजदूत ने ये भी कहा था कि भारत अपनी रणनीतिक आजादी को पसंद करता है लेकिन जंग के मैदान में इसका कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा था कि अब दुनिया आपस में जुड़ी हुई है। अब कोई युद्ध दूर नहीं है, इसलिए हमें न सिर्फ शांति के लिए खड़ा होना होगा बल्कि अशांति पैदा करने वाले देशों पर कार्रवाई भी करनी होगी।

अमेरिकी राजदूत ने कहा था कि यह ऐसी बात है जिसे अमेरिका और भारत को मिलकर समझना होगा। हम दोनों के लिए यह याद रखना जरूरी है कि हम इस रिश्ते में जैसा निवेश करेंगे, हमें वैसा ही परिणाम मिलेगा।

अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत-अमेरिका के बीच दोस्ती इतनी भी मजबूत नहीं है कि इसे हल्के में लिया जाए।

अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत-अमेरिका के बीच दोस्ती इतनी भी मजबूत नहीं है कि इसे हल्के में लिया जाए।

अमेरिकी राजदूत बोले- दोनों देशों को भरोसेमंद साथी की जरूरत
अमेरिकी राजदूत ने ये भी कहा था कि वह इस कार्यक्रम में भाषण देने नहीं आए हैं, बल्कि वह यहां सुनने, सीखने और साझा मूल्यों को याद दिलाने के लिए पहुंचे हैं। उन्होंने भारत-अमेरिका के संबंधों पर जोर देते हुए कहा कि भारत, अमेरिका के साथ अपना भविष्य देखता है और अमेरिका भी भारत के साथ अपना भविष्य देखता है।

अमेरिकी राजनयिक की इस टिप्पणी को हाल ही में पीएम मोदी की रूस यात्रा से जोड़कर देखा गया था। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी महीने 8 जुलाई को रूस दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थी।

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