US wanted to postpone the formation of QUAD; Jaipur Literature Festival news | खुलासा- QUAD का गठन टालना चाहता था अमेरिका: ईरान के खिलाफ चीन का साथ चाहिए था, इसलिए भारत पर भी दबाव डाला था


1 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में क्वाड से जुड़े टॉपिक पर चर्चा के दौरान अपनी बात रखते पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन। - Dainik Bhaskar

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में क्वाड से जुड़े टॉपिक पर चर्चा के दौरान अपनी बात रखते पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन।

भारत के पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन ने दावा किया है कि अमेरिका क्वाड के गठन को टालना चाहता था। सरन ने कहा- उस वक्त तत्कालीन PM मनमोहन सिंह की जापान यात्रा से पहले अमेरिकी अधिकारी ने मुझे फोन करके कहा था कि PM मनमोहन जापान के PM शिंजो आबे के सामने यह मुद्दा न उठाएं।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पूर्व विदेश सचिव ने बताया कि उस वक्त ईरान और नॉर्थ कोरिया के न्यूक्लियर प्रोग्राम्स को लेकर अमेरिका UNSC में चीन का साथ चाहता था। लेकिन क्वाड बनाने को लेकर जारी खबरों और चर्चाओं पर चीन और रूस दोनों नाखुश थे। ऐसे में अमेरिका ने क्वाड को टालने की कोशिश की थी।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में क्वाड से जुड़े टॉपिक पर चर्चा के दौरान पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन और एरिक गार्सेटी के अलावा कई दूसरे अधिकारी मौजूद थे।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में क्वाड से जुड़े टॉपिक पर चर्चा के दौरान पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन और एरिक गार्सेटी के अलावा कई दूसरे अधिकारी मौजूद थे।

अमेरिका ने कहा था- यह वक्त क्वाड के गठन के लिए सही नहीं
तत्कालीन विदेश सचिव ने अमेरिका की मांग पर उनसे कहा था कि जापान आपका अहम साझेदार है। ऐसे में क्वाड को लेकर अपनी चिंता आप खुद उनसे जाहिर क्यों नहीं करते। अमेरिका ने ही भारत को क्वाड के लिए मनाया था तो अब आप खुद इससे पीछे क्यों हट रहे हैं।

इस पर अमेरिका ने जवाब दिया था- यह वक्त क्वाड के गठन के लिए सही नहीं है। हमें ईरान के परमाणु मिशन के खिलाफ UNSC में चीन की जरूरत है। हम क्वाड से पीछे नहीं हट रहे, लेकिन इसे कुछ समय के लिए इंतजार करना होगा।

पूर्व विदेश सचिव बोले- चीन वो सीमेंट जिसने क्वाड को जोड़कर रखा
पूर्व विदेश सचिव ने आगे कहा- मुझे पूरा भरोसा है कि चीन ही वो सीमेंट है जिसने क्वाड को जोड़कर रखा है। शुरुआत में बीजिंग ने कहा था कि क्वाड समुद्र की लहरों में एक रोए के जैसा है। लेकिन अब वो ऐसा नहीं मानते होंगे। अब यह सिर्फ चीन के खिलाफ नहीं है। यह इंडो पैसेफिक में शक्ति का संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रहा है।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में क्वाड से जुड़ी इस चर्चा में भारत में मौजूद अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी भी शामिल थे। एरिक ने श्याम सरन के इन दावों को लेकर सीधे तौर पर कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि एरिक ने कहा- हमारा आज हमारे कल से ज्यादा अहम है। राष्ट्रपति बाइडेन ने कार्यकाल संभालते ही सबसे पहले क्वाड बैठक की थी।

तस्वीर 2023 में जापान की राजधानी टोक्यो में हुए क्वाड समिट की है।

तस्वीर 2023 में जापान की राजधानी टोक्यो में हुए क्वाड समिट की है।

गार्सेटी ने कहा- यह एक अहम कदम था। इतिहास दिलचस्प हो सकता है, लेकिन हमारा आज भविष्य का आधार होगा, जो ज्यादा अहम है। दरअसल, साल 2004 में हिंद महासागर में भयानक सुनामी आई थी। इस दौरान इमरजेंसी सर्विसेज और मानवीय मदद के लिए भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने मिलकर सुनामी कोर ग्रुप बनाया था। माना जाता है कि यहीं से क्वाड गठबंधन की नींव पड़ी।

क्वाड को एशिया का नाटो कहता है चीन
क्वाड यानी क्वाड्रीलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग। इसका गठन 2007 में हुआ था। हालांकि, तब यह आगे नहीं बढ़ पाया। इसकी प्रमुख वजह QUAD को लेकर चीन का कड़ा विरोध रही। चीन क्वाड को एशिया का नाटो कहता आया है। इसी वजह से शुरुआत में भारत ने इसे लेकर हिचकिचाहट भी दिखाई थी।

चीनी विरोध की वजह से ही ऑस्ट्रेलिया भी 2010 में QUAD से हट गया था, हालांकि, वह बाद में फिर इससे जुड़ गया। 2017 में भारत-अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने चीन को काउंटर करने के लिए इस गठबंधन को पुनर्जीवित किया।

भारत के लिए क्यों जरूरी है QUAD?
माना जाता है कि QUAD रणनीतिक तौर पर चीन के आर्थिक और सैन्य उभार को काउंटर करता है। इसलिए ये गठबंधन भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण बन जाता है।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन का भारत के साथ लंबे समय से सीमा विवाद रहा है, ऐसे में अगर सीमा पर उसकी आक्रामकता ज्यादा बढ़ती है, तो इस कम्युनिस्ट देश को रोकने के लिए भारत QUAD के अन्य देशों की मदद ले सकता है। साथ ही QUAD में अपना कद बढ़ाकर भारत चीनी मनमानियों पर अंकुश लगाते हुए एशिया में शक्ति संतुलन भी कायम कर सकता है।

खबरें और भी हैं…



Source link

Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *