6 मिनट पहले
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US सेंट्रल कमांड ने यमन पर किए गए हमले की यह तस्वीरें जारी की।
अमेरिका और ब्रिटेन की सेना ने साथ मिलकर शनिवार देर रात को यमन पर हमला कर दिया। BBC के मुताबिक सैनिकों ने हूती विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाके पर हमला किया। अमेरिकी एयरफोर्स के हवाले से बताया गया कि हमले 36 ठिकानों पर किए गए। इनमें हथियार रखने की जगह, मिसाइल, एयर डिफेंस सिस्टम और रडार से जुड़ी साइट शामिल हैं।
दरअसल, हूती विद्रोही लगातार लाल सागर में जहाजों को निशाना बना रहे हैं। इसके खिलाफ अमेरिका और ब्रिटेन कार्रवाई कर रहे हैं। दोनों देशों का यह तीसरा जॉइंट ऑपरेशन है। इसके पहले अमेरिका और ब्रिटेन ने 28 जनवरी और 11 जनवरी को यमन पर हमला किया था। वहीं, 11 जनवरी से अब तक अमेरिका 9 बार यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों को निशाना बना चुका है।
अमेरिकी सेनाओं ने लगातार दूसरे दिन खाड़ी देश पर हमला किया है। 3 जनवरी को अमेरिका ने इराक-सीरिया में 85 ईरानी ठिकानों को तबाह किया था। इन हमलों में इराक के 16 और सीरिया में 18 लोगों की मौत हुई। इराक ने दावा किया कि मरने वालों में आम नागरिक भी शामिल हैं। वहीं, सीरियाई मीडिया के मुताबिक अमेरिका स्ट्राइक में नागरिकों और सैनिकों की मौत हुई।
फुटेज यमन में हमले करने जा रहे अमेरिकी एयरफोर्स के RAF टायफून एयरक्राफ्ट की है।
हमले में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा की भी सेनाएं
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक यमन में किए गए हमलों में अमेरिका और ब्रिटेन की सेना के साथ ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा और नीदरलैंड की सेनाएं भी थीं। यमन में यह अटैक विमानों, जहाज़ों और एक पनडुब्बी के जरिए यमन की राजधानी सना, सदा और धमार शहरों के साथ-साथ होदेइदाह प्रांत में किए गए।
व्यापार बाधित न हो इसलिए हूती विद्रोहियों को रोकना जरूरी
अमेरिका और ब्रिटेन ने एक बयान जारी कर कहा- हूती विद्रोहियों के हमलों के चलते लाल सागर से गुजरने वाले 2 हजार जहाजों को अपना रास्ता बदलना पड़ा।
इस समुद्री रास्ते से जहाज दुनियाभर में सामना का इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट करते हैं। करीब 15% शिपिंग ट्रैफिक इस रास्ते पर होता है। हूती विद्रोहियों के हमलों से यूरोप और एशिया के बीच मुख्य मार्ग पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार को समस्याओं का सामना करना पड़ा है। इस समस्या को खत्म करने और व्यापार को बचाने के लिए हूती विद्रोहियों को रोकना जरूरी है।
दरअसल, इजराइल-हमास जंग के चलते हूती विद्रोहियों ने गाजा का समर्थन करने के लिए लाल सागर में जहाजों पर हमले शुरू किए हैं। हूती लाल सागर के शिपिंग मार्गों को निशाना बना रहे हैं।
हूती विद्रोहियों पर हमले करने के लिए उड़ान भरता अमेरिकी जेट।
हूतियों के हमलों से भारत पर भी असर
23 दिसंबर 2023 को लाल सागर में MV Saibaba जहाज पर भी हमला हुआ था। यह जहाज भारत आ रहा था और इसमें सवार ऑपरेटिव टीम के सभी 25 लोग भारतीय थे। इस पर गैबॉन का झंडा लगा था। हमले के बाद इस ट्रेड रूट की सुरक्षा के लिए भारत ने अपने 5 वॉरशिप उतार दिए। इसके पहले 19 दिसंबर को हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में एक कार्गो शिप गैलेक्सी लीडर को हाईजैक कर लिया था। यह जहाज तुर्किये से भारत आ रहा था। हूती विद्रोहियों ने इसे इजराइली जहाज समझ कर हाईजैक किया था।
प्रोफेसर अरुण कुमार बताते हैं कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी व्यापार के समुद्री मार्ग की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। अमेरिका, चीन, भारत सहित कई देश एक साथ नजर आ रहे हैं।
भारत का 80% व्यापार समुद्री रास्ते से होता है। वहीं 90% ईंधन भी समुद्री मार्ग से ही आता है। अगर समुद्री रास्ते में कोई सीधे हमला करेगा तो भारत के कारोबार पर असर पड़ेगा। देश की सप्लाई चेन बिगड़ जाएगी।
यह वीडियो 19 दिसंबर को हूती संगठन ने जारी किया था, इसमें उसके लड़ाके जहाज को हाइजैक करते नजर आ रहे हैं।
कौन हैं हूती विद्रोही
- साल 2014 में यमन में गृह युद्ध शुरू हुआ। इसकी जड़ शिया-सुन्नी विवाद है। कार्नेजी मिडल ईस्ट सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों समुदायों में हमेशा से विवाद था जो 2011 में अरब क्रांति की शुरुआत से गृह युद्ध में बदल गया। 2014 में शिया विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
- इस सरकार का नेतृत्व राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी कर रहे थे। हादी ने अरब क्रांति के बाद लंबे समय से सत्ता पर काबिज पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह से फरवरी 2012 में सत्ता छीनी थी। हादी देश में बदलाव के बीच स्थिरता लाने के लिए जूझ रहे थे। उसी समय सेना दो फाड़ हो गई और अलगाववादी हूती दक्षिण में लामबंद हो गए।
- अरब देशों में दबदबा बनाने की होड़ में ईरान और सउदी भी इस गृह युद्ध में कूद पड़े। एक तरफ हूती विद्रोहियों को शिया बहुल देश ईरान का समर्थन मिला। तो सरकार को सुन्नी बहुल देश सउदी अरब का।
- देखते ही देखते हूती के नाम से मशहूर विद्रोहियों ने देश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2015 में हालात ये हो गए थे कि विद्रोहियों ने पूरी सरकार को निर्वासन में जाने पर मजबूर कर दिया था।
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अमेरिका ने 3 जनवरी को इराक और सीरिया में 85 ईरानी ठिकानों पर हमला किया। ये अटैक 5 दिन पहले जॉर्डन-सीरिया बॉर्डर पर ड्रोन हमले में तीन सैनिकों की मौत के जवाब में किया गया।न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अमेरिकी सेना ने कहा- हमारे लड़ाकू विमानों ने शनिवार सुबह इराक और सीरिया में ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड (IRGC) और उनके समर्थिन वाल मिलिशिया गुटों के 85 ठिकानों पर जवाबी हवाई हमले किए। इस दौरान 7 जगहों (4 सीरिया, 3 इराक) पर मिसाइलें दागी गईं। इसमें H-1 स्ट्रैटजिक बॉम्बर्स से कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, रॉकेट, मिसाइल और ड्रोन स्टोरेज साइट के साथ-साथ इंटेलिसजेंस ठिकानों को निशाना बनाया। पढ़ें पूरी खबर…