If you are sad, don’t keep quiet, talk openly… It is important to support without thinking about right or wrong; this will help you face challenging times strongly | दु:ख है तो चुप न रहें, खुलकर बात करें…: सही-गलत न सोचकर साथ देना जरूरी है; इससे चुनौतीपूर्ण वक्त का सामना मजबूती से कर पाएंगे


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वॉशिंगटन3 मिनट पहले

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अमेरिकी संस्कृति में माना जाता है कि दुःख ऐसी चीज है जिसे आप भूल सकते हैं। शोक अवकाश के लिए कानून नहीं है। परिवार के सदस्य की मृत्यु पर 5 दिन छुट्टी मिलती है, क्या यह काफी है…’ वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार कोडी डेलिस्ट्रेटी कहते हैं, ‘पश्चिमी सामाजिक मानदंड हमें इस भावना को निजी रखना और चुप रहना सिखाते हैं।

जब मां का निधन हुआ, तो हमने 5 दिन घर व्यवस्थित नहीं किया था, पिता काम पर और मैं कॉलेज जाने को तैयार नहीं था। दु:ख हर व्यक्ति पर समान असर नहीं करता।’ अपनी किताब ‘द ग्रीफ क्योर’ में डेलिस्ट्रेटी ने दु:ख पर खुलकर बात करने की जरूरत व अहमियत पर फोकस किया है, पढ़िए…

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अपने मन में बेवजह की धारणाएं न पालें, बात करने के मौके तलाशते रहें… दूसरों को भी प्रेरित करें

‘कोई भी व्यक्ति कभी भी दर्द को साथ लेकर जीना नहीं चाहता है, लेकिन अमेरिका में दुःख के बीच मौन रहना गहराई से पैठ कर गया है। यहां तक कि 20वीं शताब्दी की शुरुआत में भी शोक के कपड़े पहनने और काले बॉर्डर वाले कागज पर शोक पत्र लिखा जाता था। अब भी बहुत कुछ नहीं बदला है। ताजा उदाहरण मेरे पड़ोस का है। मैं उनके करीब हूं।

कुछ दिन पहले पता चला कि उनके माता-पिता को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, तो मैं मुश्किल से शब्द खोज पाया। मेरी पहली प्रतिक्रिया थी, कहीं कुछ कहना ज्यादा तो नहीं होगा..? धारणा यह है कि दु:ख पर चर्चा करने से हिचकिचाते हैं। अपनी किताब पर स्टडी करते समय मैं अनजान शहरों में दूसरों से बात करने के मौके तलाशता था।

अक्सर अपनी मां के निधन के बारे में खुलकर बात करता था। इसके नतीजे चौंकाने वाले थे। अजनबी सहज होने लगे थे। मेरे शोक के बारे में सुनकर कई लोगों को लगा कि वे भी अपने अनुभवों के बारे में बात कर सकते हैं।

एक महिला ने बताया- उनके पति नहीं रहे। वो दोबारा रिश्ता जोड़ना चाहती हैं, पर अपराधबोध में हैं। वहीं एक युवा ने बताया कि हाल में उसके भाई का निधन हुआ, सुबह सबसे पहले व रात में आखिरी बार उसी के बारे में सोचता है। हमें यह समझने की जरूरत है कि साथी भी बातचीत करना चाहते हैं, बस एक कोशिश जरूरी है।

स्टडी के दौरान पता चला कि बीते कुछ वर्षों में अमेरिका में सामाजिक लगाव और विश्वास में गिरावट आई है, जिससे जुड़ाव और भी मुश्किल हो गया है। प्यू रिसर्च के अनुसार सिर्फ 54% अमेरिकी वयस्क स्थानीय समुदाय से जुड़ाव महसूस करते हैं। युवा पीढ़ी के लिए यह संख्या और कम है।

इस समस्या को दूर करने के लिए हमें लोगों को उनके दु:ख के बारे में खुलकर बात करने के लिए प्रेरित करना होगा। अगर परवाह करने की भावना से इस बारे में पूछते हैं, तो कोई बुराई नहीं है। क्योंकि दुःख में किसी की मदद करना उन्हें अलग-थलग करना नहीं है। बल्कि साथ रहने और उनके लिए मौजूद होने के बारे में हैं। इससे दु:ख या मुश्किल पलों का सामना बेहतर तरीके से कर सकेंगे।’

– कोडी डेलिस्ट्रेटी

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