लखनऊ4 घंटे पहलेलेखक: देवांशु तिवारी
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कहते हैं अपराधियों की कोई जाति या धर्म नहीं होता। उनकी काली करतूतें ही उनके जरायम की कुंडली खोल कर रख देती हैं। खुद पर लगे दाग को छिपाने के लिए वह भले ही सियासत का चेहरा बन जाएं, लेकिन उनके काले चिट्ठे एक न एक दिन उनकी दुर्गति का कारण बन ही जाते हैं। चकिया के डॉन अतीक अहमद से लेकर गाजीपुर के बाहुबली मुख्तार अंसारी और कानपुर वाले विकास दुबे की कहानियां खुद उनके पतन की दास्तां बयां करती हैं।
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