नई दिल्ली2 मिनट पहले
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सांसद डीके सुरेश, कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार के भाई हैं।
संसद में 1 फरवरी को केंद्र सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया। इस पर रिएक्शन देते हुए कांग्रेस सांसद डीके सुरेश ने कहा कि दक्षिण भारत के साथ अन्याय हो रहा है। उन्होंने दावा किया कि जो पैसा दक्षिण तक पहुंचना चाहिए था, उसे डायवर्ट कर उत्तर भारत में बांटा जा रहा है। अगर इस अन्याय को दूर नहीं किया गया तो दक्षिणी राज्य एक अलग देश बनाने की मांग करने के लिए मजबूर होंगे।
डीके सुरेश के इस बयान पर विवाद बढ़ गया है। BJP ने कांग्रेस पर लगाया ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपनाने का आरोप लगाया है। वहीं, अपने भाई के बचाव में उतरे कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार ने कहा कि उन्होंने केवल जनता की राय व्यक्त की है।
बेंगलुरु ग्रामीण से सांसद सुरेश ने दावा किया कि दक्षिणी राज्यों से लिया जाने वाला टैक्स उत्तर भारत को दिया जा रहा है। साथ ही दक्षिण भारत पर हर मामले में हिंदी थोपी जा रही है। अगर केंद्र कर्नाटक को उसके हिस्से का पैसा दे दे तो यह काफी होगा।
पढ़िए सुरेश ने और क्या कहा…
- हम आज इसकी निंदा नहीं करते हैं, तो आने वाले दिनों में (दक्षिण के लिए) एक अलग देश का प्रस्ताव रखने की जरूरत होगी।
- अगर कोई मौजूदा हालात पर नजर डाले तो उसे दक्षिणी राज्यों का पैसा उत्तर की ओर जाता हुआ नजर आएगा।
- केंद्र कर्नाटक से 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का टैक्स जुटा रहा है, लेकिन बदले में हमें कितना मिल रहा है? हमें इस पर सवाल उठाना चाहिए।
- 16वां वित्त आयोग शुरू होने जा रहा है, अगर ये विसंगतियां नहीं सुधारी जाती तो दक्षिणी राज्यों को आवाज उठानी होगी।
- व्यवसायों और प्रतिष्ठानों के साइनबोर्ड में 60% कन्नड़ का अनिवार्य करने वाले अध्यादेश को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने खारिज कर दिया था। हिंदी को दक्षिण भारत पर थोपा जा रहा है(
सिद्धारमैया बोले-अलग देश की मांग नहीं की जा सकती
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने डीके सुरेश के बयान पर कहा कि दक्षिण भारत के लिए अलग देश की मांग नहीं की जा सकती। संप्रभुता बनी रहनी चाहिए। हालाँकि, उन्होंने कहा कि कर हस्तांतरण को लेकर अन्याय तो हो रहा है।
CM सिद्धारमैया बोले- हम संघवाद पर सहमत हैं। राज्य सरकारें टैक्स देती हैं। यहां से जो कर का पैसा जाता है वह वित्त आयोग हमें बांटता है। इसमें हमारे साथ अन्याय हुआ है।
उन्होंने यह भी कहा कि करों का हस्तांतरण ठीक से नहीं हो रहा है। 14वें वित्त आयोग से 15वें वित्त आयोग तक करों के हस्तांतरण में 1.07% की कमी आई है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान हुआ।