PM Modi Sheikh Hasina | Bangladesh PM Sheikh Hasina India Visit Update | भारत आईं शेख हसीना, मोदी ने रेड कार्पेट वेलकम दिया: तीस्ता नदी पर चर्चा करेंगे, इस पर चीन की मदद से बैराज बनाएगा बांग्लादेश


3 मिनट पहले

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राष्ट्रपति भवन में PM मोदी से मुलाकात करतीं बांग्लादेशी PM शेख हसीना। - Dainik Bhaskar

राष्ट्रपति भवन में PM मोदी से मुलाकात करतीं बांग्लादेशी PM शेख हसीना।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत दौरे का आज दूसरा दिन है। शनिवार को राष्ट्रपति भवन में PM मोदी ने उनका स्वागत किया। इसके बाद उन्हें सेरिमोनियल वेलकम दिया गया। PM हसीना से राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी।

देश में तीसरी बार मोदी सरकार बनने के बाद, किसी राष्ट्राध्यक्ष का ये पहला भारत दौरा है। अपनी इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री शेख हसीना, PM नरेंद्र मोदी के अलावा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मुलाकात करेंगी।

शेख हसीना जुलाई में चीन के दौरे पर जाने वाली हैं, लेकिन इससे पहले वे स्टेट विजिट पर भारत आई हैं। पिछले 15 दिन में यह दूसरी बार है जब शेख हसीना भारत दौरे पर हैं। इससे पहले वह 9 जून को PM मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए नई दिल्ली आई थीं। बांग्लादेश भारत की ‘नेबर फर्स्ट’ नीति के तहत एक महत्वपूर्ण साझेदार है।

शेख हसीना को राष्ट्रपति भवन में सेरिमोनियल वेलकम दिया गया।

शेख हसीना को राष्ट्रपति भवन में सेरिमोनियल वेलकम दिया गया।

PM मोदी और शेख हसीना ने एक-दूसरे के देशों के डेलिगेशन से मुलाकात की।

PM मोदी और शेख हसीना ने एक-दूसरे के देशों के डेलिगेशन से मुलाकात की।

तीस्ता जल समझौते पर बातचीत की कोशिश
रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों नेता गंगा जल बंटवारा संधि को दोबारा शुरू करने पर बातचीत कर सकते हैं। दरअसल, भारत ने 1975 में गंगा नदी पर फरक्का बांध का निर्माण किया था, जिस पर बांग्लादेश ने नाराजगी जताई थी। इसके बाद दोनों देशों के बीच 1996 में गंगा जल बंटवारा संधि हुई थी। यह संधि सिर्फ 30 सालों के लिए थी, जो साल खत्म होने वाली है।

इसके अलावा बांग्लादेश, भारत से तीस्ता मास्टर प्लान को लेकर भी बातचीत कर सकता है। तीस्ता मास्टर प्लान के तहत बांग्लादेश बाढ़ और मिट्टी के कटाव पर रोक लगाने के साथ गर्मियों में जल संकट की समस्या से निपटना चाहता है।

इसके साथ ही बांग्लादेश तीस्ता पर एक विशाल बैराज का निर्माण कर इसके पानी को एक सीमित इलाके में कैद करना चाहता है। इस प्रोजेक्ट के लिए चीन बांग्लादेश को 1 अरब डॉलर की रकम सस्ते कर्ज पर देने के लिए तैयार हो गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि कि चीन लंबे समय से तीस्ता मास्टर प्लान के लिए बांग्लादेश को कर्ज देने की कोशिश कर रहा है मगर भारत की नाराजगी की वजह से ये डील नहीं हो पाई है। उम्मीद जताई जा रही है कि शेख हसीना इस दौरे पर कोई रास्ता तलाशने की कोशिश करेंगी।

लंबे समय से अटका है जल बंटवारा समझौता
बांग्लादेश के लिए भारत की सहमति के बिना तीस्ता मास्टर प्लान पर काम करना इतना आसान नहीं होगा। दरअसल इसके लिए बांग्लादेश को भारत के साथ तीस्ता नदी जल बंटवारा समझौता करना होगा।

साल 2011 में जब कांग्रेस की सरकार थी तब भारत, तीस्ता नदी जल समझौता पर दस्तखत करने को तैयार हो गया था। लेकिन ममता बनर्जी की नाराजगी की वजह से मनमोहन सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे।

साल 2014 में नरेंद्र मोदी के PM के एक साल बाद वे बंगाल की CM ममता बनर्जी के साथ बांग्लादेश गए। इस दौरान दोनों नेताओं ने बांग्लादेश को तीस्ता के बंटवारे पर एक सहमति का यकीन दिलाया था। लेकिन 9 साल बीतने के बावजूद अब तक तीस्ता नदी जल समझौते का समाधान नहीं निकल पाया है।

क्यों नहीं हो रहा तीस्ता जल बंटवारा समझौता
भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे को लेकर कई सालों से विवाद है। 414 किमी लंबी तीस्ता नदी हिमालय से निकलती है और सिक्किम के रास्ते भारत में प्रवेश करती है। इसके बाद ये पश्चिम बंगाल से गुजरते हुए बांग्लादेश पहुंचती हैं, जहां पर वह असम से आई ब्रह्मपुत्र नदी में मिल जाती है। बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र नदी को जमुना कहा जाता है।

तीस्ता नदी की 83% यात्रा भारत में और 17% यात्रा बांग्लादेश में होती है। इस दौरान सिक्किम, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश तीनों क्षेत्रों में रहने वाले करीब 1 करोड़ लोगों की पानी से जुड़ी जरुरतें ये नदी पूरा करती है।

बंग्लादेश तीस्ता का 50 फीसदी पानी पर अधिकार चाहता है। जबकि भारत खुद नदी के 55 फीसदी पानी का इस्तेमाल करना चाहता है। जानकारों के मुताबिक अगर तीस्ता नदी जल समझौता होता है तो पश्चिम बंगाल नदी के पानी का मनमुताबिक इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। यही वजह है कि ममता बनर्जी इसे टालती रही है।

तीस्ता मास्टर प्लान चीन के मिलने से भारत को क्या नुकसान?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत नहीं चाहता कि तीस्ता मास्टर प्लान प्रोजेक्ट चीन को मिले। इसकी वजह रणनीतिक और सुरक्षा से जुड़ी वजहें हैं। दरअसल चीन को मिले अधिकांश प्रोजेक्ट वहां की सरकारी कंपनियों को मिलते हैं। ऐसे में भारत को डर है कि वो जल प्रवाह से जुड़ा डेटा और नदी से जुड़ी कई जानकारी चीनी सरकार को दे सकते हैं।

इसके साथ ही यदि चीन को तीस्ता प्रोजेक्ट मिल जाता है तो उसकी लोगों की उपस्थिति भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर जिसे ‘चिकन नेक’ भी कहा जाता है, उसके करीब होगी। सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास भारत-तिब्बत-भूटान ट्राई-जंक्शन है। ये जगह भारत को शेष पूर्वोत्तर भारत से जोड़ती है।

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