Bangladesh PM Sheikh Hasina will visit India today| China Eyes Teesta Development Project In Bangladesh | बांग्लादेश की PM शेख हसीना आज भारत दौरे पर आएंगी: 15 दिन के अंदर दूसरी यात्रा; तीस्ता जल बंटवारे पर हो सकती है बातचीत


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2 मिनट पहले

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तीस्ता मास्टर प्लान प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 1 बिलियन डॉलर है। बांग्लादेश इसके लिए चीन से कर्ज लेने को तैयार हो गया है। - Dainik Bhaskar

तीस्ता मास्टर प्लान प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 1 बिलियन डॉलर है। बांग्लादेश इसके लिए चीन से कर्ज लेने को तैयार हो गया है।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना दो दिन के दौरे पर आज शुक्रवार को भारत आएंगी। देश में तीसरी बार मोदी सरकार बनने के बाद, किसी राष्ट्राध्यक्ष का ये पहला भारत दौरा है। अपनी इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री शेख हसीना, PM नरेंद्र मोदी के अलावा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मुलाकात करेंगी।

शेख हसीना PM मोदी के आमंत्रण पर 15 दिनों के भीतर दूसरी बार भारत आ रही हैं। इससे पहले वह उन कुछ नेताओं में थीं जिन्हें नई कैबिनेट के शपथ ग्रहण में आमंत्रित किया गया था। बांग्लादेश भारत की ‘नेबर फर्स्ट’ नीति के तहत एक महत्वपूर्ण साझेदार है।

शेख हसीना की इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों को और घनिष्ट करना है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक PM मोदी और शेख हसीना की बातचीत के दौरान विभिन्न क्षेत्रों के कई समझौतों पर मुहर लगने की उम्मीद है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाकात की थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाकात की थी।

तीस्ता जल समझौते पर बातचीत की कोशिश
रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों नेता गंगा जल बंटवारा संधि के रिन्यूअल पर भी बातचीत कर सकते हैं। भारत ने 1975 में गंगा नदी पर फरक्का बांध का निर्माण किया था, जिस पर बांग्लादेश ने नाराजगी जताई थी। इसके बाद दोनों देशों ने 1996 में गंगा जल बंटवारा संधि किया था। यह संधि सिर्फ 30 सालों के लिए थी। ये संधि अगले साल खत्म होने वाली है।

इसके अलावा बांग्लादेश, भारत से तीस्ता मास्टर प्लान को लेकर भी बातचीत कर सकता है। तीस्ता मास्टर प्लान के तहत बांग्लादेश बाढ़ और मिट्टी के कटाव पर रोक लगाने के साथ गर्मियों में जल संकट की समस्या से निपटना चाहता है। इसके साथ ही बांग्लादेश तीस्ता पर एक विशाल बैराज का निर्माण कर इसके पानी को एक सीमित इलाके में कैद करना चाहता है। इस प्रोजेक्ट के लिए चीन बांग्लादेश को 1 बिलियन डॉलर की रकम सस्ते कर्ज के तौर पर देने के लिए तैयार हो गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि कि चीन लंबे समय से तीस्ता मास्टर प्लान के लिए बांग्लादेश को कर्ज देने की कोशिश कर रहा है मगर भारत की नाराजगी की वजह से ये डील नहीं हो पाई है। उम्मीद जताई जा रही है कि शेख हसीना इस दौरे पर कोई रास्ता तलाशने की कोशिश करेंगी।

लंबे समय से अटका है जल बंटवारा समझौता
बांग्लादेश के लिए भारत की सहमति के बिना तीस्ता मास्टर प्लान पर काम करना इतना आसान नहीं होगा। दरअसल इसके लिए बांग्लादेश को भारत के साथ तीस्ता नदी जल बंटवारा समझौता करना होगा। हालांकि ये इतना आसान नहीं है। साल 2011 में जब कांग्रेस की सरकार थी तब भारत, तीस्ता नदी जल समझौता पर दस्तखत करने को तैयार हो गया था। लेकिन ममता बनर्जी की नाराजगी की वजह से मनमोहन सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे।

साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी PM बने। एक साल बाद वो बंगाल की CM ममता बनर्जी के साथ बांग्लादेश गए। इस दौरान दोनों नेताओं ने बांग्लादेश को तीस्ता के बंटवारे पर एक सहमति का यकीन दिलाया था। लेकिन 9 साल बीतने के बावजूद अब तक तीस्ता नदी जल समझौते का समाधान नहीं निकल पाया है।

क्यों नहीं हो रहा तीस्ता जल बंटवारा समझौता
भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे को लेकर कई सालों से विवाद है। 414 किमी लंबी तीस्ता नदी हिमालय से निकलती है और सिक्किम के रास्ते भारत में प्रवेश करती है। इसके बाद ये पश्चिम बंगाल से गुजरते हुए बांग्लादेश पहुंचती हैं जहां पर वह असम से आई ब्रम्हपुत्र नदी में मिल जाती है। बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र नदी को जमुना कहा जाता है।

इस लंबी यात्रा के दौरान तीस्ता नदी की 83% यात्रा भारत में और 17% यात्रा बांग्लादेश में होती है। इस दौरान सिक्किम, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश तीनों क्षेत्रों में रहने वाले करीब 1 करोड़ लोगों की पानी से जुड़ी जरुरतें ये नदी पूरा करती है।

बंग्लादेश तीस्ता का 50 फीसदी पानी पर अधिकार चाहता है। जबकि भारत खुद नदी के 55 फीसदी पानी का इस्तेमाल करना चाहता है। जानकारों के मुताबिक अगर तीस्ता नदी जल समझौता होता है तो पश्चिम बंगाल नदी के पानी का मनमुताबिक इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। यही वजह है कि ममता बनर्जी इसे टालती रही है।

तीस्ता मास्टर प्लान चीन के मिलने से भारत को क्या नुकसान?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत नहीं चाहता कि तीस्ता मास्टर प्लान प्रोजेक्ट चीन को मिले। इसकी वजह रणनीतिक और सुरक्षा से जुड़ी वजहें हैं। दरअसल चीन को मिले अधिकांश प्रोजेक्ट वहां की सरकारी कंपनियों को मिलते हैं। ऐसे में भारत को डर है कि वो जल प्रवाह से जुड़ा डेटा और नदी से जुड़ी कई जानकारी चीनी सरकार को दे सकते हैं।

इसके साथ ही यदि चीन को तीस्ता प्रोजेक्ट मिल जाता है तो उसकी लोगों की उपस्थिति भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर जिसे ‘चिकन नेक’ भी कहा जाता है, उसके करीब होगी। सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास भारत-तिब्बत-भूटान ट्राई-जंक्शन है। ये जगह भारत को शेष पूर्वोत्तर भारत से जोड़ती है।

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