Movie review, Munjya, the film will sometimes scare you and sometimes make you laugh, the concept is new, the visual and sound effects are superb, the direction could have been better | मूवी रिव्यू- मुंज्या: कभी डराएगी तो कभी हंसाएगी फिल्म, कॉन्सेप्ट नया, विजुअल और साउंड इफेक्ट शानदार; स्टोरी पर थोड़ा और काम करना चाहिए था

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13 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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शरवरी वाघ, अभय वर्मा और मोना सिंह स्टारर हॉरर-कॉमेडी फिल्म मुंज्या रिलीज हो गई है। 2 घंटे 3 मिनट की लेंथ वाली इस फिल्म को दैनिक भास्कर ने 5 में से 3.5 स्टार रेटिंग दी है।

फिल्म की कहानी क्या है?
यह फिल्म एक बच्चे मुंज्या के इर्द-गिर्द घूमती है। वो बच्चा अपने से बड़ी उम्र की लड़की से प्यार करता है। जब उसकी मां को यह बात पता चलती है तो वो उसका मुंडन करा देती है। हालांकि उस बच्चे के अंदर अभी भी लड़की के प्रति प्रेम कम नहीं होता है। वो गांव के पास में ही एक जंगल चेतुक वाड़ी मे जाकर काला जादू करने लगता है। वो अपने साथ अपनी बहन को भी ले जाता है।

काला जादू करने के दौरान वो धोखे से अपनी बहन की बलि देना चाहता है, लेकिन ऐसा करने में सफल नहीं होता। बहन के साथ छीना-झपटी में उसे चोट लग जाती है, जिससे उसकी मौत हो जाती है। मौत के बाद वो ब्रह्मराक्षस का रूप ले लेता है।

वो अपनी फैमिली के ब्लडलाइन से जुड़े बिट्टू (अभय वर्मा) को परेशान करने लगता है। अभय अपनी फैमिली फ्रेंड बेला (शरवरी) को चाहता है, लेकिन उसके सामने कभी बोल नहीं पाता। ब्रह्मराक्षस मुंज्या जिस लड़की से प्यार करता था, बेला उसी की फैमिली की नेक्स्ट जेनरेशन है। अब ब्रह्मराक्षस मुंज्या उसे पाने के लिए बिट्टू को अपना मोहरा बनाता है। अब आगे क्या होता है, इसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है?
फिल्म के लीड एक्टर अभय वर्मा ने अच्छा काम किया है। पूरी फिल्म में उन्होंने मासूमियत के साथ अपना रोल निभाया है। उनके फेशियल एक्सप्रेशन कमाल के हैं। शरवरी ने भी अच्छा काम किया है। बिट्टू की मां के रोल में मोना सिंह का किरदार काफी प्रभावशाली है। बीच-बीच में उनकी कॉमिक टाइमिंग आपको हंसने पर मजबूर करेगी। जिस बच्चे ने मुंज्या का रोल निभाया है, उसका भी जिक्र करना जरूरी है।

डायरेक्शन कैसा है?
इस फिल्म को आदित्य सरपोतदार ने डायरेक्ट किया है। वो दर्शकों को अंत तक बांधे रखने में कामयाब हुए हैं। कुछ-कुछ सीन्स आपको काफी डराएंगे। फिल्म के विजुअल इफेक्ट्स, साउंड इफेक्ट्स और सिनेमैटोग्राफी की तारीफ बनती है।हालांकि डायरेक्टर यह बताने मे थोड़ा कन्फ्यूज लगे हैं कि इस फिल्म का असली जॉनर क्या है। कहीं फिल्म डराती है, तो कहीं हंसाती है। जिस सीरियसनेस के साथ फिल्म की शुरुआत होती है, ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि आगे कॉमेडी भी देखने को मिलेगी। मुझे लगता है कि कहानी में थोड़ा और दम होना चाहिए था।

कैसा है म्यूजिक?
इस फिल्म का म्यूजिक भी पॉजिटिव पॉइंट्स में गिना जा सकता है। पार्टी थीम पर बना एक गाना आपको पसंद आ सकता है। गाने के बोल तो याद नहीं रहते लेकिन धुन दिमाग में जरूर गूंज सकता है।

फिल्म का फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं?
कहने को यह फिल्म हॉरर-सुपरनेचुरल थीम पर बनी है, लेकिन बच्चे इसे पसंद कर सकते हैं। अगर आप इन दिनों कुछ अलग कॉन्टेंट देखना चाहते हैं तो फिल्म के लिए जा सकते हैं। फिल्म में कॉमेडी का भी तगड़ा डोज है, इसलिए अगर आप इसे ट्रेडिशनल भूतिया फिल्म सोचकर देखने जाएंगे तो निराशा होगी।



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