4 मिनट पहले
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सुनीता विलियम्स गुरुवार रात 11:03 बजे स्पेस स्टेशन पहुंची। इस दौरान उन्होंने डांस करके अपनी खुशी जाहिर की।
बोइंग के स्पेसक्राफ्ट से तीसरी बार अंतरिक्ष यात्रा पर गईं भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचते ही डांस करती नजर आईं। यहां उन्होंने दूसरे सभी एस्ट्रोनॉट्स को गले से लगा लिया।
सुनीता के ISS पहुंचने का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें उनके स्पेस स्टेशन पहुंचने पर एक घंटी बजती सुनाई देती है। दरअसल, ये ISS की परंपरा है कि जब भी वहां कोई नया अंतरिक्ष यात्री पहुंचता है, तो बाकी एस्ट्रोनॉट्स घंटी बजाकर उसका स्वागत करते हैं।
सुनीत विलियम्स ने ISS के सदस्यों को अपना दूसरा परिवार बताया। उन्होंने कहा, “ISS मेरे लिए दूसरे घर जैसा है।” साथ ही उन्होंने शानदार स्वागत के लिए सभी एस्ट्रोनॉट्स को धन्यवाद भी कहा।
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने ISS में मौजूद एस्ट्रोनॉट्स को गले से लगाया।
लॉन्चिंग के 26 घंटे बाद ISS पहुंचा स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट
भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर का स्पेसक्राफ्ट लॉन्चिंग के 26 घंटे बाद गुरुवार रात 11:03 बजे स्पेस स्टेशन पहुंचा था। इसे गुरुवार रात 9:45 बजे पहुंचना था, लेकिन रिएक्शन कंट्रोल थ्रस्टर में आई परेशानी के कारण पहली कोशिश में यह डॉक नहीं कर पाया। हालांकि दूसरे प्रयास में स्पेसक्राफ्ट को स्पेस स्टेशन से डॉक कराने में सफलता मिली।
दोनों एस्ट्रोनॉट्स बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष में जाने वाले पहले एस्ट्रोनॉट बन गए हैं। बोइंग का स्टारलाइनर मिशन बुधवार 5 जून को भारतीय समयानुसार रात 8:22 बजे लॉन्च हुआ था। फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से ULA के एटलस V रॉकेट से लॉन्च किया गया था।
विल्मोर और विलियम्स स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट और उसके सब सिस्टम का टेस्ट करने के लिए करीब एक हफ्ते तक स्पेस स्टेशन में रहेंगे। बोइंग के स्पेसक्राफ्ट SUV-स्टारलाइनर को डिजाइन करने में सुनीता ने भी मदद की थी। इस स्पेसक्राफ्ट में 7 क्रू सदस्य सवार हो सकते हैं। स्पेसक्राफ्ट बनने के बाद सुनीता विलियम्स ने ही इसका नाम कैलिप्सो रखा था।
मिशन सफल हुआ तो नासा के पास पहली बार 2 स्पेसक्राफ्ट होंगे
इस मिशन के सफल होने पर इतिहास में पहली बार अमेरिका के पास एस्ट्रोनॉट को स्पेस में भेजने के लिए 2 स्पेसक्राफ्ट हो जाएंगे। अभी अमेरिका के पास इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स का ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट ही है। नासा ने साल 2014 में स्पेसएक्स और बोइंग को स्पेसक्राफ्ट बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया था। स्पेसएक्स 4 साल पहले ही इसे बना चुकी है।
9 पॉइंट में जानें स्टारलाइन का पृथ्वी से स्पेस स्टेशन और वापस पृथ्वी पर आने का सफर
- एटलस V रॉकेट लॉन्च हुआ। 15 मिनट बाद इसने स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट को रिलीज किया। स्पेसक्राफ्ट के इंजन फायर हुए और ये स्पेस स्टेशन की लगभग 24 घंटे की यात्रा के लिए कक्षा में स्थापित हो गया।
- स्टारलाइनर हार्मनी मॉड्यूल के आगे वाले पोर्ट पर डॉक हुआ। अपने स्टे के दौरान क्रू स्टारलाइनर के अंदर जाएगा, हैच बंद करेगा और दिखाएगा कि भविष्य में मलबे के साथ टकराव के रिस्क जैसी स्थिति में स्पेसक्राफ्ट सुरक्षित आश्रय के रूप में काम कर सकता है।
- विल्मोर और विलियम्स पृथ्वी पर लौटने से पहले लगभग एक हफ्ते तक एक्सपेडिशन 71 क्रू के साथ रहेंगे और काम करेंगे। अनडॉकिंग के बाद, स्टारलाइनर के मैनुअल पायलटिंग का आकलन होगा। चालक दल अनडॉकिंग से लेकर लैंडिंग तक करीब 6 घंटे बिताएगा।
- पृथ्वी के वायुमंडल में रीएंट्री के दौरान, स्पेसक्राफ्ट 28,000 Km/घंटे की गति से धीमा होना शुरू हो जाएगा। इस दौरान क्रू 3.5 g तक भार महसूस कर सकता है। रीएंट्री के बाद पैराशूट सिस्टम की सुरक्षा के लिए स्पेसक्राफ्ट की आगे लगी हीट शील्ड को हटा दिया जाएगा।
- दो ड्रैग और तीन मुख्य पैराशूट स्टारलाइनर की गति को और धीमा कर देंगे। बेस हीट शील्ड डुअल एयरबैग सिस्टम को एक्सपोज करते हुए डिप्लॉय हो जाएगी। 6 प्राइमरी एयरबैग कैप्सूल के बेस पर डिप्लॉय होंगे। ये लैंडिंग के दौरान कुशन की तरह काम करेंगी।
- लैंडिंग के दौरान स्पेसक्राफ्ट की गति करीब 6 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी। संभावित लैंडिंग स्थानों में एरिजोना का विलकॉक्स और यूटा का डगवे प्रोविंग ग्राउंड शामिल है। कैलिफोर्निया में एडवर्ड्स एयरफोर्स बेस एक इमरजेंसी लैंडिंग साइट के रूप में उपलब्ध है।
- टचडाउन के बाद, चालक दल पैराशूट हटाएगा, स्पेसक्राफ्ट की बिजली बंद करेगा और मिशन कंट्रोल लैंडिंग और रिकवरी टीमों से सैटेलाइट फोन कॉल के जरिए संपर्क करेगा। रिकवरी टीम स्टारलाइनर के चारों ओर एक टेंट लगाएगी और स्पेसक्राफ्ट में ठंडी हवा पंप करेगी।
- स्टारलाइनर का हैच खुलने और, लैंडिंग के एक घंटे से भी कम समय बीतने के बाद, दोनों एस्ट्रोनॉट्स हेल्थ चेक के लिए मेडिकल व्हीकल में जाएंगे। फिर नासा के विमान तक पहुंचने के लिए हेलिकॉप्टर में उड़ान भरेंगे। ये विमान उन्हें ह्यूस्टन के एलिंगटन फील्ड लेकर जाएगा।
- लैंडिंग और सक्सेसफुल रिकवरी के बाद, नासा स्पेस स्टेशन पर मिशनों के लिए एक ऑपरेशनल क्रू सिस्टम के रूप में स्पेसक्राफ्ट को सर्टिफाई करने का काम पूरा करेगा। सर्टिफिकेशन के बाद मिशन्स की शुरुआत 2025 में होने की उम्मीद है।
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