2 मिनट पहले
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अफगानिस्तान में 2021 में तालिबान के आने के बाद महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ी है।
अफगानिस्तान में तालिबान ने बुधवार को 14 महिलाओं सहित 63 लोगों को सार्वजनिक जगहों पर ले जाकर कोड़े मारे हैं। न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक, इन लोगों को समलैंगिकता, चोरी और अनैतिक संबंध बनाने का दोषी पाया गया था। महिलाओं को एक सार्वजनिक स्टेडियम में कोड़े मारे गए हैं। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने इस सजा की निंदा की है। इसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों के खिलाफ बताया है।
तालिबान समलैंगिकता को इस्लाम के खिलाफ मानता है। उसने सरी पुल प्रांत में स्टेडियम में पहले लोगों को इकट्ठा किया था फिर कोड़े मारे। तालिबान लोगों को इस्लाम के रास्ते पर चलने को कहता है। साथ ही लोगों से ऐसा न करने पर सजा भुगतने की धमकी देता है।
तालिबान ने पहले सार्वजनिक स्टेडियम में लोगों को इकट्ठा किया फिर कोड़े मारे। (फाइल)
अफगानिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने नही सुना आरोपियों का पक्ष
अफगानिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पहले मामले में सुनवाई की। इस दौरान आरोपियों को अपना पक्ष रखने के लिए ज्यादा उचित समय नही दिया गया, न ही आरोपियों की बात सुनी और सीधे फैसला दे दिया।
इतना ही नहीं तालिबान ने एक व्यक्ति को स्टेडियम में हजारों लोगों के सामने पहले उसे पीटा और फिर फांसी पर लटका दिया। उस व्यक्ति पर हत्या में शामिल होने का आरोप था पर कोर्ट ने उसका पक्ष नहीं सुना और अपना फैसला दे दिया।
‘गुनहगारों को सरेआम सजा मिले’
अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद 2022 में सुप्रीम लीडर हैबातुल्लाह अखुंदजादा ने एक घोषणा की थी। इसमें सभी जजों को आदेश दिए थे कि गुनहगारों को सरेआम सजा मिलनी चाहिए।
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से सरेआम सजा देने का चलन वापस लौटा।
24 नवंबर 2022 को तालिबान ने फुटबॉल स्टेडियम में हजारों की भीड़ के सामने 12 लोगों को नैतिक अपराधों का आरोपी बताकर पीटा था। इन 12 लोगों में 3 महिलाएं भी शामिल थीं। तालिबानी अधिकारी के मुताबिक इन लोगों पर चोरी, एडल्टरी और गे सेक्स के आरोप लगे थे।
फिर नवंबर 2022 में ऐसा दूसरी बार हुआ जिसमें 19 लोगों को सरेआम सजा दी गई थी। नुरिस्तान प्रोविंस में एक महिला को म्यूजिक सुनने के आरोप में पीटा गया था। तालिबान के मुताबिक, ये सारी सजाएं शरिया कानून के मुताबिक दी थी।
2022 में अफगानिस्तान के फुटबॉल स्टेडियम में हजारों की भीड़ के सामने 12 लोगों को नैतिक अपराधों का आरोपी बताते हुए पीटा गया था।
जानिए, क्या है अफगानिस्तान का शरिया कानून
तालिबान ने अफगानिस्तान को ओवरटेक करने के बाद की प्रेस कांफ्रेंस में इशारा कर दिया था कि देश के काफी सारे मसलों पर शरिया कानून लागू होगा। दरअसल शरिया इस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए एक लीगल सिस्टम की तरह है। जिसमें रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर कई तरह के बड़े मसलों पर कानून हैं।
शरिया का जिक्र इस्लाम की पवित्र किताब कुरान के साथ-साथ पैगंबर मुहम्मद के उपदेशों सुन्ना और हदीस में भी है। इन कानूनों के तहत आने वाले गुनाहों को सीधे भगवान की खिलाफत करना समझा जाता है। शरिया कानून में जिंदगी जीने का रास्ता बताया गया है।
थोड़ा सा चेहरा दिख रहा था, तालिबान ने बाल्ख इलाके में यूनिवर्सिटी जाने देने से मना कर दिया था।
शरिया के उल्लंघन पर मिलती है कड़ी सजा
सभी मुसलमानों से उम्मीद की जाती है कि वो इन्हीं कानूनों के हिसाब से अपनी जिंदगी जिएंगे। एक मुसलमान के दैनिक जीवन के हर पहलू, यानी उसे कब क्या करना है और क्या नहीं करना है का रास्ता शरिया कानून है। शरिया में पारिवारिक, वित्त और व्यवसाय से जुड़े कानून शामिल हैं। शराब पीना, नशीली दवाओं का इस्तेमाल करना या तस्करी करना यहां शरिया कानून के तहत सबसे बड़े अपराधों में से एक है।
जब कोई शख्स इस कानून को तोड़ता है तो उसे ईश्वर के खिलाफ किया गया अपराध माना जाता है। यही वजह है कि यहां इन अपराधों में कड़ी सजा के नियम हैं।
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