26 मिनट पहलेलेखक: वीरेंद्र मिश्र
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क्राइम पेट्रोल, वेब सीरीज हाफ सीए और चूना के जरिए अपनी एक एक अलग पहचान बना चुके एक्टर ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी को पहली बार फिल्म ‘बारह बाई बारह’ में लीड भूमिका निभाने का मौका मिला है। पिछले हफ्ते रिलीज हुई इस फिल्म में एक्टर ने बनारस के मणिकर्णिका घाट पर मृतकों की तस्वीर खींचने वाले युवक की भूमिका निभाई है। हाल ही में दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने अपने एजुकेशन का खर्चा दैनिक भास्कर का अखबार बांट कर निकाला था। और, पहली कमाई अपनी मां को दी थी।
एक्टर ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी की फिल्म ‘बारह बाई बारह’ 40 से ज्यादा फिल्म फेस्टिवल में सराही जाने के बाद थिएटर में रिलीज हुई है। इस फिल्म में ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी के काम को खूब सराहा जा रहा है। एक्टर ने बातचीत के दौरान एक्टिंग के प्रति अपने रुझान के बारे में बात की।
सबको लग रहा था इंजीनियर बनेगा
मेरी पैदाइश रीवा के पास एक गांव की है। पिता जी रोजी रोटी के बंदोबस्त में भोपाल में आ गए। उस समय मैं ढाई- तीन साल का था। मेरी परवरिश और पढ़ाई -लिखाई भोपाल में ही हुई। 10th तक नंबर बहुत अच्छे आते थे। मैथ में 100 में से 90 नंबर आते थे। सबको लग रहा था कि अब तो इंजीनियर ही बनेगा। उस समय यह समझ में नहीं आता है कि करना क्या है?
रैंकिंग हुई तब लगा कि एक्टर बनना है
10th के बाद मुझे लगा कि जो पढ़ रहा हूं वो मुझे पसंद नहीं। कॉलेज में लगने लगा कि फिजिक्स और कमेस्ट्री की पढ़ाई मेरे लिए बहुत मुश्किल है। कॉलेज में मेरे सीनियर्स रैंकिंग कर थे। कोई कहता था कि बंदर बनकर अपना परिचय दो, तो कोई कुछ और कहता था। पता नहीं क्यों यह सब चीजें इन्जॉय करने लगा। जिसको लोग तमाशा कह रहे थे उससे मेरी पहचान बनने लगी। मुझे खुद यह समझ में आने लगा कि ऐसी चीज है जिसमें मैं खुश रह सकता हूं।
घर वाले इंस्टीट्यूट की फीस अफोर्ड नहीं कर सकते थे
मेरे पेरेंट्स ज्यादा शिक्षित नहीं हैं। उनकी चाहत थी कि बेटा डॉक्टर या फिर इंजीनियर बनें। क्योंकि आस – पास के माहौल में यही सब देखे होते हैं। लेकिन मेरे पेरेंट्स को लग रहा था कि जो मैं करूंगा, ठीक ही करूंगा। मैं अपने एजुकेशन का खर्चा खुद ही चला रहा था। क्योंकि उस समय वे इतने सक्षम नहीं थे। कि मेरे एजुकेशन का खर्चा उठा सके। इस बीच मैंने मन बना लिया कि पूना एफटीआई जाकर एक्टिंग में डिप्लोमा लूंगा। लेकिन इंस्टीट्यूट की फीस बहुत ज्यादा थी। वो घर वाले अफोर्ड नहीं कर सकते थे। पहले मैंने पूना में जॉब ढूंढा उसके बाद एफटीआई ज्वाइन किया।
टीचर्स ने पहले से आगाह कर दिया था
एफटीआई में पूरे इंडिया से सिर्फ 20 लोगों का ही सलेक्शन होता है। टीचर्स आपको पहले से आगाह करते रहते हैं कि मुंबई में आप का कोई इंतजार नहीं कर रहा है। इस माइंड सेट से बिल्कुल भी ना जाए, वरना आपको निराशा मिल सकती है। मुझे भी एफटीआई का नाम लेकर लोगों से मिलने में बहुत ही अटपटा सा लगता था। जब लोग ऑडिशन के बाद पूछते थे तब मुझे बताने में अच्छा लगता था।
क्राइम पेट्रोल से हुई शुरुआत
ज्यादातर ऑडिशन में नॉट फिट का ही जवाब मिलता था। ऑडिशन की लाइन में मुझसे भी ज्यादा हैंडसम और अच्छे कपड़े पहले लोग खड़े रहते थे। मुझे लगता था कि इनको तो फिल्मों में होना चाहिए। मुझे लगा कि खुद को बदलना चाहिए, लेकिन वह नकली होता। पहला मौका क्राइम पेट्रोल में मिला और छोटे से सीन से शुरुआत हुई। लेकिन एक ऐसा वक्त आया कि क्राइम पेट्रोल से पहचान बनी।
अक्षय कुमार की फिल्म से मिली पहचान
अक्षय कुमार के साथ फिल्म ‘गब्बर इज बैक’’ में एक सीन किया था। हॉस्पिटल के अंदर एक सीक्वेंस था जिसमें मेरी पत्नी की पहले ही मृत्यु हो गई है और मुझसे पैसे भरवाए जा रहे हैं। वह सीन काफी वायरल हुआ। इस सीन से मुझे बहुत पहचान मिली।
पहली कमाई मां को दिया
पहली बार एक्टिंग में क्राइम पेट्रोल में काम करने का ढाई हजार रुपए मिला था । वह पैसे तो वैसे ही खर्च हो गए। लेकिन अपनी जिंदगी की पहली कमाई अपनी मां को दिया था। भोपाल में जब पढ़ाई कर रहा था तब उस समय भास्कर अखबार बांटा करता था। मुझे महीने के 450 रुपए मिलते थे। पहली कमाई अपनी माता जी को दिए थे।
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