नई दिल्ली5 मिनट पहले
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ये फोटो 20 फरवरी 1999 की है। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ तब भारत के PM अटल बिहारी वाजपेयी को रिसीव करने वाघा बॉर्डर गए थे।
पूर्व पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ ने 28 मई को अपनी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) की मीटिंग में कहा था कि 1999 में उनके और तत्कालीन भारतीय पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के बीच हुआ लाहौर समझौता पाकिस्तान ने तोड़ा था। ये हमारी गलती थी। इसके दो महीने बाद ही करगिल युद्ध हुआ था।
इस बयान को लेकर गुरुवार को भारत ने कहा कि लगता है हमारे पड़ोसियों में सही और निष्पक्ष नजरिया पैदा हो रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा पाकिस्तान जानता है कि इस मुद्दे पर हमारी क्या राय है। मुझे इसे दोहराने की जरूरत नहीं है। अब हम देख रहे हैं कि पाकिस्तान में भी इसे लेकर निष्पक्ष नजरिया आ रहा है।
लाहौर समझौते में क्या था
शरीफ और वाजपेयी ने 21 फरवरी 1999 को लाहौर डिक्लेरेशन (लाहौर समझौते) पर साइन किए थे। यह दो पड़ोसियों के बीच एक शांति समझौता है, जिसमें शांति और सुरक्षा बनाए रखने और दोनों देशों के बीच पीपल-टु-पीपल कॉन्टैक्ट को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया था।
इस एग्रीमेंट में भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और स्थायित्व बनाए रखने की कोशिश करने की बात कही गई थी। समझौते को बड़ा कदम माना गया था। इसके कुछ महीनों बाद ही पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के कारगिल में घुसपैठ की, जिससे कारगिल जंग हुई।
कारगिल युद्ध के समय शरीफ प्रधानमंत्री थे, मुशर्रफ आर्मी चीफ
पाकिस्तान के तब आर्मी चीफ रहे परवेज मुशर्रफ ने अपनी सेना को खुफिया तरीके से मार्च 1999 में जम्मू कश्मीर के कारगिल जिले में घुसपैठ का आदेश दिया था। भारत को जब इस घुसपैठ का पता चला तो बड़े पैमाने पर युद्ध छिड़ गया। नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री रहते भारत ने युद्ध जीत लिया था।
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