कोच्चि23 घंटे पहलेलेखक: केपी सेथुनाथ
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केरल के सबसे बड़े कैथोलिक चर्च के प्रशासनिक संगठन चंगनासेरी आर्चडेयोस ने पाला और कंजिरापल्ली में युवाओं से मिलने की शुरुआत कर दी है।
मध्य केरल में ईसाई आबादी लगातार घट रही है। इसकी बड़ी वजह है- इस समुदाय के युवाओं का अच्छी पढ़ाई के लिए देश के बाहर जाना और अच्छा जॉब मिलते ही वहीं ठहर जाना। पासपोर्ट ऑफिस के आंकड़े बताते हैं कि साल 2023 में 45,139 क्रिश्चियन यूथ ने केरल छोड़ा। इनमें ज्यादातर कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, आयरलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका में बस गए। जबकि 2016 में यह आंकड़ा 18,428 ही था। जो गए, उनमें ज्यादातर नहीं लौटे।
3 क्रिश्चियन बहुल जिले वीरान हुए
घर छोड़ने के इस ट्रेंड ने क्रिश्चियन बहुल तीन जिलों कोट्टायम, इडुक्की और पथानमथिट्टा को युवाओं से लगभग वीरान कर दिया है। यहां अकेले रह रहे माता-पिता की संख्या अब ज्यादा है। इसलिए युवाओं के पलायन को रोकने और आबादी असंतुलन से निपटने के लिए अब चर्च आगे आए हैं। वे युवाओं की घर वापसी और उन्हें यहीं रोकने की योजना बना रहे हैं।
राज्य के सबसे बड़े कैथोलिक चर्च के प्रशासनिक संगठन चंगनासेरी आर्चडेयोस ने पाला और कंजिरापल्ली क्षेत्रों से इसकी शुरुआत कर दी है।
इनका लक्ष्य ये बताना पलायन एकमात्र विकल्प नहीं
संगठन इन इलाकों में घर-घर जाकर ईसाई युवाओं के बिजनेस के प्रति रुझान को बारीकी से समझ रहा है। ताकि जून में होने वाले हैकाथॉन में इनके लिए निवेशक और भविष्य के लिए टिकाऊ बिजनेस मॉडल ला सके। चंगनासेरी महाधर्मप्रांत के जनरल जेम्स पालाक्कल विकार ने बताया कि इस हैकाथॉन में मध्यस्थ की भूमिका निभाएगा और युवाओं को उनके मनपसंद का उद्यम स्थापित करने में मदद करेगा।
उसने दुनिया में बस रहे ईसाइयों को भी निमंत्रण भेजा है, ताकि उन्हें अच्छे अवसर का तोहफा देकर उनकी घर वापसी करा सकें। जेम्स के मुताबिक हमारा फोस नई पीढ़ी को यह बताना है कि पलायन एकमात्र विकल्प नहीं है।
युवा घट रहे, 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग बढ़े
केरल से युवाओं के पलायन ने राज्य की जनसांख्यिकी को भी बदला है। यहां अब 60 साल से अधिक उम्र के लोग ज्यादा है। 2011 की जनगणना के अनुसार केरल में हिंदू 54.7%, मुस्लिम 26.6% और ईसाई 18.4% हैं। सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज के डॉ. केसी जकारिया बताते हैं कि 2001-2011 तक तीनों धर्मों में आबादी बढ़ी, लेकिन 14 में से 4 जिलों में ईसाइयों की आबादी घटी।
पहले खाड़ी देशों से लौट आते थे, अब नहीं लौटते
तिरुवनंतपुरम स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट के संस्थापक डॉ. इरुदरयराजन के मुताबिक केरल में पलायन का ट्रेंड बीते 10 साल में बदला है। पहले युवा खाड़ी देश जाते थे, लेकिन जरूरत पड़ने पर या कुछ सालों पर लौट भी आते थे। अब यूथ पढ़ाई के लिए ऐसे देश चुन रहे हैं, जहां जॉब की संभावना ज्यादा हो। साथ ही, वो स्थाई माइग्रेशन पर जोर दे रहे हैं।