Iran atom bomb | UN nuclear inspector and expert David Albright | 5 महीने में 12 एटम बम बना सकता है ईरान: एक्सपर्ट का दावा- तेहरान के पास 1 महीने में 5 बम बनाने का यूरेनियम मौजूद


वॉशिंगटन45 मिनट पहले

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ईरान ने कुछ वक्त पहले कहा था कि उसके पास बैलिस्टिक मिसाइल की पूरी यूनिट मौजूद है। (फाइल) - Dainik Bhaskar

ईरान ने कुछ वक्त पहले कहा था कि उसके पास बैलिस्टिक मिसाइल की पूरी यूनिट मौजूद है। (फाइल)

UN के न्यूक्लियर इन्सपेक्टर और एक्सपर्ट डेविड अल्ब्राइट ने ईरान के एटमी प्रोग्राम को लेकर बड़ा दावा किया। अल्ब्राइट ने कहा- इस वक्त ईरान सबसे बड़ा खतरा है। उसके पास एटम बम बनाने की न सिर्फ टेक्नोलॉजी मौजूद है, बल्कि इसके लिए यूरेनियम भी मौजूद है।

डेविड ने आगे कहा- जरूरत पड़ने पर ईरान कुछ हफ्तों में पहला बम तैयार कर सकता है। वो चाहे तो 5 महीने में 12 बम बना सकता है। इसकी जानकारी दुनिया के ज्यादातर देशों के पास पहुंच चुकी है।

फोटो 2018 की है। तब इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने अफसरों को ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम की जानकारी दी थी। इस दौरान उन्होंने ईरान के साइंटिस्ट मोहसिन फखरीजदेह की फोटो भी दिखाई थी। बाद में मोहसिन की हत्या कर दी गई थी। यह खबर न्यूयॉर्क टाइम्स ने दी थी।

फोटो 2018 की है। तब इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने अफसरों को ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम की जानकारी दी थी। इस दौरान उन्होंने ईरान के साइंटिस्ट मोहसिन फखरीजदेह की फोटो भी दिखाई थी। बाद में मोहसिन की हत्या कर दी गई थी। यह खबर न्यूयॉर्क टाइम्स ने दी थी।

यूरेनियम भी मौजूद

  • अमेरिका के साइंस और इंटरनेशनल सिक्योरिटी इंस्टीट्यूट के लिए तैयार की गई रिपोर्ट में अल्ब्राइट ने कई अहम खुलासे किए हैं। उनके मुताबिक- एटमी हथियार बनाने के लिए वेपन ग्रेड यूरेनियम की जरूरत होती है। मेरी जानकारी के मुताबिक, ईरान के पास एक महीने में ही 6 बम बनाने के लिए लायक यूरेनियम मौजूद है। इसके अलावा अगर वो चाहे तो पांच महीने में यह संख्या 12 कर सकता है।
  • इस रिपोर्ट के मुताबिक- मिसाइल टेक्नोलॉजी और ड्रोन के मामले में भी तेहरान काफी आगे निकल चुका है। यही वजह है कि हम उसको लेकर अब कई दावे कर सकते हैं। उसके पास टेक्नोलॉजी और रिसोर्स दोनों हैं।
तस्वीर इजराइल की नातांज न्यूक्लियर फैसिलिटी की है। माना जाता है कि इसी फैसिलिटी में ईरान का न्यूक्लियर वेपन प्लांट है।

तस्वीर इजराइल की नातांज न्यूक्लियर फैसिलिटी की है। माना जाता है कि इसी फैसिलिटी में ईरान का न्यूक्लियर वेपन प्लांट है।

कमियां भी जल्द दूर हो जाएंगी

  • इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी अथॉरिटी यानी IAEA के मुताबिक- मॉडर्न न्यूक्लियर वेपन्स बनाने के लिए यूरेनियम 90% एनरिच या कहें प्योर होना चाहिए। इस वक्त ईरान के पास यह कैपेसिटी करीब 83.7% है।
  • डेविड कहते हैं- यह आंकड़ा ऑफिशियल है और इसके मायने ये हुए कि वर्ल्ड की दूसरी मिलिट्री पॉवर्स की तरह ईरान भी सुपररिच यूरेनियम हासिल करने की बिल्कुल कगार पर खड़ा है। हो सकता है वो बहुत जल्द इसका ऐलान भी कर दे।
  • कुछ दिन पहले ब्रिटेन के डिफेंस सेक्रेटरी ग्रांट शेप्स ने भी यही बात कही थी, जो अब अल्ब्राइट कह रहे हैं। हालांकि, ये दोनों ही मानते हैं कि ईरान को अब भी कंस्ट्रक्शन साइट और मटैरियल टेक्नोलॉजी पर कुछ काम करने की जरूरत है।
  • अल्ब्राइट ने कहा- इजराइल और हमास के बीच जंग चल रही है। ईरान सरकार हमास, हूती विद्रोहियों और हिजबुल्लाह को लगातार सपोर्ट कर रही है। उन्हें पैसा और हथियार दे रही है। कुल मिलाकर ये दुनिया एक बहुत बड़े खतरे की तरफ बढ़ रही है। ये थर्ड वर्ल्ड वॉर के संकेत हैं।
ईरान के सर्वोच्च धर्मगुरू खामनेई कई बार खुले तौर पर कह चुके हैं कि ईरान को

ईरान के सर्वोच्च धर्मगुरू खामनेई कई बार खुले तौर पर कह चुके हैं कि ईरान को

अमेरिका ने भी यही दावा किया था

  • अक्टूबर 2023 में अमेरिका ने दावा किया था कि ईरान कुछ ही हफ्ते में एटमी हथियार बना सकता है। अमेरिकी डिफेंस मिनिस्ट्री ने स्ट्रैटेजी फॉर काउंटरिंग वेपन्स ऑफ मास डिस्ट्रक्शन रिपोर्ट 2023 में कहा था- ईरान के पास रिकॉर्ड समय में हथियार बनाने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा और तकनीकी जानकारी है।
  • रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ईरान बेहद कम समय में एटमी हथियार बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री बना सकता है। ईरान ने यूरेनियम को 60 प्रतिशत कर एनरिच कर लिया है। मिडिल ईस्ट का यह देश परमाणु हथियार के लिए अब 83.7 % प्योर यूरेनियम का उत्पादन कर रहा है। हथियार बनाने की कैपिसिटी के लिए 90% प्योर यूरेनियम पार्टिकल्स की जरूरत होती है।

डील और नो-डील में फंसा मामला

  • करीब 23 साल से ईरान एटमी ताकत हासिल करने की कोशिश कर रहा है। 2015 में ईरान की चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका के साथ एटमी कार्यक्रम बंद करने को लेकर एक डील हुई थी। ये समझौता इसलिए हुआ था क्योंकि पश्चिम देशों को डर था कि ईरान परमाणु हथियार बना सकता है या फिर वो ऐसा देश बन सकता है जिसके पास परमाणु हथियार भले ही ना हों, लेकिन इन्हें बनाने की सारी क्षमताएं हों और कभी भी उनका इस्तेमाल कर सके।
  • 2010 में ईरान को रोकने के लिए UN सिक्योरिटी काउंसिल, यूरोपीय यूनियन और अमेरिका ने पाबंदियां लगाई थीं। इनमें से ज्यादातर अब भी जारी हैं। 2015 में ईरान का इन शक्तियों से समझौता हुआ। करीब पांच साल तक ईरान को राहत मिलती रही। जनवरी 2020 में तब के अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने समझौता रद्द कर दिया और ईरान पर सख्त प्रतिबंध लगाए। इसके बाद बाइडेन आए तो ईरान पर नर्म रुख अपनाया।

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