न्यूयॉर्क3 मिनट पहले
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अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भारतीय चुनाव की अमेरिकी रिपोर्ट्स पर एक हफ्ते में दो बार साफाई दी।
अमेरिकी मीडिया लगातार भारत में हो रहे चुनाव को मुसलमानों के खिलाफ बता रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने 19 मई को एक रिपोर्ट पब्लिश की थी, जिसमें कहा गया था कि भारत में रह रहे मुस्लिम परिवारों को दरकिनार कर दिया गया है। वहां उनकी पहचान तक पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
इस पर सोमवार ( 20 मई) को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने सफाई देते हुए भारत की धार्मिक स्वतंत्रता की तारीफ की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि हम इन रिपोर्ट्स को सिरे से खारिज करते हैं। अमेरिका दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करने के लिए हमेश तैयार रहता है। हमें इसके लिए भारत समेत कई अन्य देशों का साथ मिला है।
इस दौरान अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपनी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया, जिसमें बताया गया था कि भारत में मुसलमानों का दमन हो रहा है।
अमेरिका ने भारत की धार्मिक स्वतंत्रता की तारीफ की।
लोकसभा चुनाव शुरू होने के बाद से लगातार छप रही भारत विरोधी खबरें
हफ्तेभर में यह दूसरी बार है जब अमेरिका की तरफ से ऐसा बयान दिया गया है। इससे पहले 17 मई को व्हाइट हाउस ने कहा था कि दुनिया में भारत से ज्यादा जीवंत लोकतंत्र कहीं और नहीं हैं। भारतीयों के वोट देने और सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की क्षमता तारीफ के काबिल है।
भारत में लोकसभा चुनाव शुरू होने के बाद से अमेरिकी मीडिया लगातार देश के खिलाफ खबर छाप रहा है। वे भारत में धर्मनिरपेक्ष ढांचे को खतरा बता रहा है। ज्यादातर मीडिया हाउस का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी तीसरी बार सत्ता में वापस आते है तो देश में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा बढ़ जाएगी। साथ ही भारत सरकार मुसलमानों को दरकिनार कर देगी।
एक नजर अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स पर…
न्यूयॉर्क टाइम्स ने 19 मई को एक आर्टिकल में लिखा था- भारत में मुसलमान अपनी पहचान छुप रहे हैं, वे लोग डरे हुए हैं।
अमेरिकी न्यूज चैनल FOX ने 20 मई को लिखा था- अयोध्या में मुसलमानों को लगातार डराया जा रहा है।
अमेरिकी न्यूज चैनल CNN ने बॉलीवुड पर चुनाव में BJP का साथ देने का आरोप लगाया है।
CNBC ने चुनाव को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है।
CBS ने मोदी के चुनाव प्रचार को मुस्लिम विरोधी बताया है।
मोदी बोले- देश में किसी भी समुदाय का दमन नहीं हो रहा है
वही, इन रिपोर्ट्स को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खारिज कर चुके हैं। चुनाव प्रचार और इंटरव्यूज के दौरान PM ये कह चुके हैं कि देश में किसी भी समुदाय का दमन नहीं हो रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत में अल्पसंख्यकों पर जुल्म की खबरें बेतुकी हैं, और जनता को इनसे दूर रहना चाहिए।
दूसरी तरफ प्रधानमंत्री के इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल ने एक रिपोर्ट में बताया कि 1950 से 2015 तक भारत में मुस्लिम आबादी 43.15% तक बढ़ी हैं। इसके उलट, इसी दौरान हिन्दूओं की आबादी में 7.82% की गिरावट देखी गई है।
‘भारत से चुनाव प्रक्रिया में सुधार की मांग की’
इससे पहले 17 मई को व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बताया था कि अमेरिका भारत में हो रहे चुनाव को करीब से देख रहा है। वे प्रक्रिया में लगातार सुधार की मांग कर रहे हैं। किर्बी ने कहा था कि भारत में 96 करोड़ लोग वोटिंग प्रक्रिया का हिस्सा बन रहे हैं, जो 2,660 रजिस्टर्ड पार्टियों के कैंडिडेट को चुनने वाले हैं।
भारतीय हजारों उम्मीदवारों में से 545 संसद सदस्यों का चुनाव कर रहे हैं, जिसके के लिए 10 लाख से ज्यादा पोलिंग स्टेशन हैं। व्हाइट हाउस का ये बयान तब सामने आया था जब ग्लोबल मीडिया भारत में हो रहे चुनाव को लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहा है। चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
‘भारत के लोकतंत्र में खामियां’
इससे पहले फरवरी में ब्रिटिश अखबार द इकोनॉमिस्ट ने भी एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। इसमें कहा गया था कि भारत के लोकतंत्र में खामियां हैं। 167 देशों में लोकतंत्र की रैंकिंग के साथ छपी इस रिपोर्ट में भारत को 41वां स्थान मिला था।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कुछ खामियों के साथ लोकतंत्र मौजूद है। भारत के स्कोर में बड़ी गिरावट साल 2019 में दर्ज की गई थी। हालांकि, इसके बाद से देश का स्कोर लगातार बेहतर हुआ है।
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