4 मिनट पहले
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तस्वीर 10 सितंबर की है। कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो G20 समिट में शामिल होने भारत आए थे।
कनाडा के साथ तनाव के बीच इस बात की पुष्टि हो गई है कि भारत ने कनाडा के चुनाव में कोई दखलंदाजी नहीं की थी। कनाडा की आधिकारिक जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में कनाडा में हुए चुनाव की निगरानी करने वाले सीनियर अधिकारियों को किसी भी तरह से भारत के दखल या प्रभाव की कोई जानकारी नहीं मिली थी।
हालांकि, कनाडाई इंटेलिजेंस एजेंसी ने जांच में पाया कि देश में पिछले 2 चुनावों में चीन ने दखल दिया था। दरअसल, पिछले साल सितंबर में सामने आई रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कनाडा में 2019 और 2021 में हुए 2 संघीय चुनाव में चीन ने दखल दिया था।
इसमें जस्टिन ट्रूडो को जीत दिलाने में मदद की गई थी। चीन ने आरोप खारिज कर दिए थे। इसके बाद विपक्षी नेताओं के दबाव में PM ट्रूडो ने मामले की जांच के लिए कमीशन बनाया था। ट्रूडो आज खुद इस जांच एजेंसी के सामने पेश होंगे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि कनाडा, दूसरे देशों की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में दखल देना भारत सरकार की नीति नहीं है।
भारत ने कहा था- कनाडा हमारे मामलों में दखल देता है
वहीं भारत के विदेश मंत्रालय ने कुछ दिन पहले ही कनाडा के चुनाव में दखल के दावे को खारिज कर दिया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था, “कनाडा के आरोप बेबुनियाद हैं। दूसरे देशों की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में दखल देना भारत सरकार की नीति नहीं है। यह कनाडा ही है जो हमारे आंतरिक मामलों में दखल दे रहा है।”
पिछले साल कनाडा के चुनाव में दखल से जुड़ी जो रिपोर्ट सामने आई थी, उसमें कहा गया था कि चीन ने 2019 के चुनावों में 11 उम्मीदवारों का समर्थन किया था। एक मामले में 2.5 लाख डॉलर से ज्यादा दिए गए थे। BBC के मुताबिक, रिपोर्ट में बताया गया था कि कई चीनी हाई स्कूल छात्रों को लिबरल पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में वोट डालने के लिए मजबूर किया गया था।
चीन पर आरोप- प्रॉक्सी कैंपेन के लिए पैसे दिए गए
मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया था कि 2021 के चुनाव में भी चीनी राजनयिकों और प्रॉक्सी कैंपेन के लिए अघोषित तौर पर पैसे दिए गए थे। चुनावी दखल का ऑपरेशन टोरंटो में चीन के वाणिज्य दूतावास से चलाया जा रहा था।
इसके पीछे का मकसद सांसदों के ऑफिस में अपने लोगों को रखे जाने और नीतियों को प्रभावित करना था। चुनाव में दखल के मामले में भारत और चीन के अलावा रूस का भी नाम था। हालांकि, जांच एजेंसी की रिपोर्ट में फिलहाल रूस को लेकर कुछ नहीं कहा गया है।
2022 में बाली में हुए G20 समिट के दौरान चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग और कनाडाई PM ट्रूडो के बीच बहस हो गई थी।
ट्रूड ने भारत पर लगाया था खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या का आरोप
भारत और कनाडा के बीच तनाव तब शुरू हुआ जब पिछले साल सितंबर में कनाडाई PM जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या करवाने का आरोप लगाया। हालांकि, बाद में ट्रूडो ने खुद कई बार भारत से रिश्ते बनाए रखने की बात कही।
भारत ने कनाडा के आरोपों के खिलाफ एक्शन लेते हुए वहां के लोगों के लिए वीजा सेवाएं भी सस्पेंड कर दी थीं। साथ ही भारत से 41 कनाडाई डिप्लोमैट्स को भी हटा दिया गया था। हालांकि, बाद में डिप्लोमैटिक लेवल पर कई बातचीत हुई और कुछ महीनों बाद वीजा सेवाएं वापस से शुरू कर दी गई थीं।
भारत के विदेश मंत्रालय ने निज्जर मामले में कई बार कनाडा से सबूत भी मांगे। विदेश मंत्री जयशंकर ने कई बार ट्रूडो सरकार पर खालिस्तानी आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगाया था। साथ ही यह भी कहा था कि कनाडा में भारतीय डिप्लोमैट्स को डराया-धमकाया जाता है।
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