नई दिल्ली. दुनियाभर में इंटरनेट से पैदा होने वाली चुनौतियों में डीपफेक (DeepFake) सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. वहीं, केंद्र सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (Social Media Platforms) को डीपफेक वाली गलत सूचनाओं की पहचान करनी चाहिए और उन्हें हटाना चाहिए, वर्ना कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए.
हाल ही में एक्टर अक्षय कुमार भी एक डीपफेक स्कैंडल का शिकार हो गए हैं. एक छेड़छाड़ किए गए वीडियो में कुमार सुपरस्टार को एक गेमिंग ऐप का प्रचार करते दिखाया गया है जबकि वास्तव में एक्टर ने कभी भी ऐसी किसी गतिविधि के प्रचार में भाग नहीं लिया है. इससे पहले, इंटरनेट पर रश्मिका मंदाना, नोरा फतेही, कैटरीना कैफ, काजोल और क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर जैसी हस्तियों के डीपफेक वीडियो वायरल हो चुके हैं.
आईटी नियम, 2021 के तहत कार्रवाई करनी होगी
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि गलत सूचना और डीपफेक उन नुकसानों में से हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रत्यक्ष परिणाम हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा, “आईटी नियम, 2021 सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज और प्लेटफॉर्म्स सहित बिचौलियों पर विशिष्ट कानूनी दायित्व डालता है, ताकि सुरक्षित और विश्वसनीय इंटरनेट के प्रति उनकी जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके.”
कार्रवाई न करने पर सेफ हार्बर प्रोटेक्शन खो देंगे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स
आईटी नियम, 2021 में प्रदान किए गए कानूनी दायित्वों का पालन करने में प्लेटफॉर्मों की विफलता के मामले में “वे आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत अपनी सेफ हार्बर प्रोटेक्शन खो देते हैं और किसी भी कानून के तहत प्रदान की गई परिणामी एक्शन या प्रॉसिक्यूशन के लिए उत्तरदायी होंगे. वर्तमान समय में आईटी एक्ट और आईपीसी भी लागू है.”
सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज को चेतावनी
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इन-ऐप यूजर रिपोर्टिंग तथा अन्य माध्यमों के जरिए इन इंटरमीडियरीज को यूजर्स, पीड़ितों या उनकी ओर से किसी भी व्यक्ति को नियम 3(1)(बी) या नियम 3(2)(बी) से संबंधित उल्लंघनों की रिपोर्ट सरल और आसानी से सुलभ तरीके से करने में सक्षम बनाना चाहिए. इंटरमीडियरीज को चेतावनी दी गई है कि नॉन-कंप्लायंस पर आईटी एक्ट की धारा 79(1) के तहत प्रदान की गई लायबलिटी से छूट समाप्त कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश में इंटरनेट खुला, सुरक्षित और विश्वसनीय हो और सभी ‘डिजिटल नागरिकों’ के प्रति जवाबदेह हो.
क्या है Deepfake
बता दें कि दुनिया भर में डीपफेक बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है. डीपफेक शब्द ‘Deep Learning’ और ‘Fake’ के मेल से बना है. डीपफेक टेक्नोलॉजी की मदद से किसी दूसरे की फोटो या वीडियो पर किसी और का चेहरा लगाया जा सकता है और यह बिल्कुल असली जैसा लगता है. इसमें मशीन लर्निंग (ML) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का सहारा लिया जाता है.
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Tags: Artificial Intelligence
FIRST PUBLISHED : February 3, 2024, 18:17 IST
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