Ab Dilli Dur Nahin Movie Review: हार न मानने की सीख देती है फिल्म… इंस्पिरेशन की कहानी में लव एंगल भारी

मुंबई. Ab Dilli Dur Nahin Movie Review: यूपीएसएसी का एग्जाम देकर आईएएस और आईपीएस बनने का सपना लाखों युवा देखते हैं. लेकिन सबके सपने पूरे कहां होते हैं? सपने पूरे करने के लिए कठोर परिश्रम और लगन के साथ पढ़ना हर किसी के बस की बात थोड़े न है. गांव, कस्बों और छोटे शहरों से हजारों छात्र आईएएस और आईपीएस बनने का सपना लेकर बड़े शहरों में आते हैं. शहर में आते ही वह कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ने का मन बनाते हैं. लेकिन शहर का हवा-पानी और चकाचौंध उनके सपने और कठोर परिश्रम के आगे धीरे-धीरे बड़ा होता जाता है. कई लोग इसमें फंस जाते हैं, तो कोई इससे आगे निकलकर अपने सपनों को पूरा कर लेता है. ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ कुछ ऐसी ही इंस्पायरिंग कहानी को दिखाती है.

‘अब दिल्ली दूर नहीं’ की कहानी

‘अब दिल्ली दूर नहीं’ साल 2006 बैच के आईएएस ऑफिसर गोविंद जयसवाल की लाइफ से इंस्पायर है. उनके पिता रिक्शा चलाते थे. आर्थिक तंगी की वजह से उनकी मां का निधन हो गया था. गोविंद ने 22 साल की उम्र में यूपीएसी का एग्जाम क्वालीफाई किया और आईएएस बने. बात करें फिल्म की तो अभय शुक्ला (इमरान जाहिद) बचपन में झेली हुई जिल्लत की वजह से आईएएस बनने का सपना देखता है. पापा किसान हैं और लोगों के घरों में बर्तन मांजती है. अभय अपने जिले का टॉपर बनता है. एक छोटे से गांव निकलकर शहर में यूपीएससी की तैयारी करने आता है. उसका प्रीलिम्स निकला हुआ और मेंस की तैयारी कर रहा है. इस तैयारी के बीच उसे मकान मालिक की लड़की नियति (श्रुति सोढी) से दिल लगा बैठता है. निधि मेडिकल की पढ़ाई कर रही है और उसे लंदन जाना है.

Ab Dilli Door Nahi Imran Zahid Interview

‘अब दिल्ली दूर नहीं’ में इमरान जाहिद-श्रुति सोढी ने लीड रोल निभाया.

फिल्म में एक एंगल नियति और अभय की लव स्टोरी को भी बखूबी दिखाया गया है. इसके बाद अभय की जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव आता है. आरक्षण जैसे मुद्दे को भी उठाया गया है. प्यार में धोखा मिलता है. अभय यूपीएससी की पढ़ाई छोड़ कोचिंग सेंटर में पढ़ाने का भी विचार करता है. लेकिन अपनी लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति से वह आखिरी अटेंप्ट में यूपीएएसी को क्वालीफाई कर लेता है और आईएएस बनता है. फिल्म के आखिरी में एक ट्विस्ट भी है.

एक्टिंग और डायरेक्शन

‘अब दिल्ली दूर नहीं’ में इमरान जाहिद और श्रुति सोढी ने बेहतरीन अदाकारी दिखाई है. महेश भट्ट ने बतौर मोटिवेशनल स्पीकर कैमियो किया है. बड़े पर्दे पर महेश भट्ट को एक्टिंग करते देखना सुखद है. अन्य कलाकारों ने भी सधी हुई अदाकारी दिखाई है. फिल्म का डायरेक्शन कमल चंद्रा ने किया और इसकी कहानी दिनेश गौतम ने लिखी है. फिल्म ड्युरेशन 95 मिनट की है. फिल्म में थोड़ी रफ्तार है. इंस्पिरेशन कहानी से ज्यादा लव स्टोरी पर फोकस किया गया है. बीच-बीच में पढ़ाई और यूपीएससी के एग्जाम का जिक्र करके इसमें बैलेंस बनाने की कोशिश की गई है. फिल्म के फर्स्ट हाफ में एक सीन से दूसरे सीन के बीच जंप करते हुए बार-बार ब्लैक स्क्रीन का गैप दिखना इसका माइनस प्वाइंट है.

‘अब दिल्ली दूर नहीं’ देखें या नहीं!

यूपीएसएसी एस्पिरेंट्स पर बड़े पर्दे पर कई कहानियां पहले भी हम लोग देख चुके हैं. यह फिल्म उन फिल्मों से थोड़ी अलग और खास है. उन फिल्मों में कॉलेज लाइफ और कैंपस लव का पर ज्यादा फोकस किया गया है. लेकिन ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ में न तो कॉलेज है और न कैंपस. फिर भी एक लव स्टोरी और एस्पिरेंट्स की कहानी है. कुल मिलाकर फिल्म में कोई तड़क भड़क नहीं है. कुछ लाइट मूड के सॉन्ग हैं. यह फिल्म एक मोटिवेशन देती है. इसे आप देख सकते हैं.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

Tags: Mahesh bhatt, Movie review



{*Disclaimer:* The following news is sourced directly from our news feed, and we do not exert control over its content. We cannot be held responsible for the accuracy or validity of any information presented in this news article.}

Source by [author_name]

Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *