2 घंटे पहलेलेखक: वीरेंद्र मिश्र
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राजकुमार राव आज अपना 40वां जन्मदिन मना रहे हैं। यह जन्मदिन एक्टर के लिए बहुत खास है। फिल्म ‘स्त्री 2’को जबरदस्त सफलता मिली है। अपने जन्मदिन के अवसर पर राजकुमार राव ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। एक्टर ने बताया कि स्त्री और उनके जन्मदिन का बहुत खास कनेक्शन है। स्त्री उनके ही जन्मदिन पर ही 31 अगस्त 2018 को रिलीज हुई थी। और, इस साल ‘स्त्री 2’ ने उनके जन्मदिन को पहले ही खास बना दिया। बातचीत के दौरान राजकुमार ने जन्मदिन की बचपन से जुड़ी बहुत सारी यादें भी शेयर की।
‘स्त्री 2’ की जबरदस्त कामयाबी के बाद लग रहा है इस बार का जन्मदिन बहुत खास होने वाला है?
मैं तो अपनी अगली फिल्म की तैयारी में लग गया हूं। मुझे लगता है कि जन्मदिन सेट पर ही मनाया जाएगा। कोशिश करूंगा कि एक दिन की छुट्टी मिल जाए तो दोस्तों से मिलने मुंबई आ जाऊंगा। वैसे मैं जन्मदिन वाला इंसान नहीं हूं। मुझे पार्टी का शौक नहीं है। जिन लोगों से प्यार करता हूं उनके साथ घर पर रहना पसंद करता हूं। स्त्री 2 की सफलता से बहुत खुश हैं। पिछली स्त्री जन्मदिन पर ही 31 अगस्त 2018 को रिलीज हुई थी। ऐसा लगता है कि स्त्री और जन्मदिन का कुछ खास कनेक्शन है।
जन्मदिन की बचपन से जुड़ी किस तरह की यादें हैं?
बचपन की बहुत सारी यादें हैं। बचपन में मैंने जन्मदिन को बहुत सेलिब्रेट किया है। मैं जॉइन्ट फैमिली में पला बढ़ा हूं। हम 14 लोग एक साथ रहते थे। हम तीन भाई बहन हैं। मैं सबसे छोटा हूं। घर में ज्यादातर मेरा ही बर्थडे सेलिब्रेट किया जाता था। दोस्तों को बुलाया जाता था। घर में सजावट होती थी। केक काटता था। ऐसी बहुत सारी यादें हैं। सिर्फ जन्मदिन के दिन स्कूल में यूनिफार्म के बजाय घर के कपड़े पहनकर आने की अनुमति थी।
पेरेंट्स का ऐसा कोई गिफ्ट जिसे आप अभी तक संभाल कर रखे हो?
बचपन में तो खिलौने वगैरे मिलते थे। उसे संभालकर अभी तक रखना संभव नहीं है। लेकिन जब मेरी मां इस दुनिया से चली गईं तो उनका पायल मैंने अभी तक संभालकर रखा हुआ है। वह हमेशा मेरी आंखों के सामने रहती है।
स्त्री 2 की सफलता के बाद लोगों के किस तरह के कॉम्प्लीमेंट्स आ रहे हैं?
पूरी इंडस्ट्री से लोगों का बहुत प्यार मिल रहा है। बहुत सारे एक्टर्स और डायरेक्टर्स के कॉल आ रहे हैं। दर्शकों से भी बहुत प्यार मिल रहा है। लोग सोशल मीडिया पर मैसेज कर रहे हैं। लोगों का ऐसा प्यार देखकर मैं भावुक हो जाता हूं। मैं भी उन्हीं गली मोहल्लों में पला बढ़ा हूं। जहां हिंदुस्तान की 80 प्रतिशत रहती है। मैं भी उसी के बीच का एक बच्चा हूं।
आपकी कहानियों का चयन भी आम लोगों से ही जुड़ा रहता है?
मेरी कहानियों का चयन वास्तविकता के करीब होती हैं। ऐसे किरदार मोहल्ले का कोई लड़का भी हो सकता है। जैसे स्त्री 2 में विक्की का जो किरदार है, उससे कोई भी रिलेट कर सकता है। अपने आस-पास लोगों ने ऐसे किरदार देखें हैं। वो बहुत साधारण और प्यारा सा है। एक लड़की के प्यार में हमेशा रहता है। हमेशा उसके चेहरे पर मुस्कुराहट रहती है।
आपको पहली बार किससे और कब प्यार हुआ?
मैंने पत्रलेखा को पहली बार टीवी पर एक एड में देखा था। पहली ही नजर में प्यार हो गया था। मुझे नहीं पता था कि वो कौन लड़की है। नाम तक नहीं पता था। मेरे मन में विचार आया कि कितनी स्वीट लड़की है। काश, इनसे शादी कर पाता।
ऊपर वाले ने मेरी बात सुन ली। डेढ़ महीने बाद हम साथ किसी काम से पूना जा रहे थे। जब बातचीत शुरू हुई तो उन्होंने बताया कि कौन-कौन से एड किए हैं। मुझे तब पता चला कि ये तो वहीं हैं जिनको एड में देखा था। मैंने ऊपर वाले का शुक्रिया अदा किया। यह तो उन्होंने हमें मिलाया। उस सिलसिले को आज 14 साल हो गए हैं।
‘सिटी लाइट्स’ के बाद दोबारा कभी संयोग नहीं बन पाया साथ काम करने का?
बहुत जल्दी हम लोग साथ काम करने वाले हैं। हम लोग का प्लान चल रहा है। हम ऐसी कहानी ढूंढ भी रहे हैं। जिसमें हम लोग साथ काम कर सकें। वो अपने काम को लेकर बहुत पैशनेट हैं। एक्टिंग की भूख है उनके अंदर। इस साल तो उन्होंने वरुण शर्मा के साथ ‘वाइल्ड वाइल्ड पंजाब’ और प्रतीक गांधी के साथ बहुत खूबसूरत फिल्म ‘फुले’ की हैं। यह फिल्म सावित्रीबाई फुले की जिंदगी पर आधारित थी। बहुत अच्छा-अच्छा काम कर रही हैं।
‘स्त्री 2’ देखने के बाद उनकी क्या प्रतिक्रिया थी?
उन्होंने 2-3 बार देखी है। उन्हें फिल्म बहुत अच्छी लगी, उनको बहुत मजा आया। फिल्म देखकर खूब हंसी। लेकिन जब सरकटा आया तो सबसे ज्यादा चिल्लाई भी। वो हमेशा मेरी पहली ऑडियंस रहती हैं। जब भी कोई फिल्म करता हूं तो मेरी कोशिश रहती है कि सबसे पहले उनको फिल्म दिखाऊं। उनका फीडबैक मेरे लिए बहुत मायने रखता है। वो मेरी बहुत ऑनेस्ट क्रिटिक्स हैं।
उम्मीद के मुताबिक जब फिल्में सफल नहीं होती हैं। तो खुद इस बात की समीक्षा करते हैं कि ऐसा क्यों हुआ?
बिल्कुल करता हूं। इसके बहुत सारे कारण होते हैं। इसमें रीलीज डेट का भी एक बहुत बड़ा कारण होता है। फिल्म का प्रमोशन किस तरह से हैं। ट्रेलर लोगों तक पहुंचा की नहीं। यह सब बहुत सारी चीजें मायने रखती है। बहुत सारी फिल्में अच्छी होती हैं, लेकिन थिएटर में नहीं चलती हैं। जबकि ओटीटी में अच्छी चलती हैं।
वहां उस फिल्म के बारे में खूब बात होती हैं। तब मन में यह सवाल आता है ये लोग थिएटर में फिल्म देखने क्यों नहीं आए? जब इस बात की समीक्षा करता हूं। तब समझ में आता है कि उन्हें पता ही नहीं चला कि ऐसी कोई फिल्म थिएटर में चल रही है। कम से कम ट्रेलर लोगों तक पहुंचे फिर वो डिसाइड करें कि फिल्म देखनी है कि नहीं देखनी है।
स्त्री आगे भी आएगी?
बिल्कुल आएगी। स्त्री 3 तो आएगी ही।
आप जैसे लोग जो इंडस्ट्री में आना चाहते हैं, उन्हें क्या मैसेज देना चाहेंगे?
मैंने अपने पर्सनल अनुभव से बता सकता हूं। मैं जब इस शहर में आया तो किसी को भी नहीं जानता था। लेकिन मैं पढ़ लिखकर पूरी तैयारी के साथ आया था। मैंने थिएटर किया था। ग्रेजुएशन के बाद एफटीआई चला गया था। वहां पर दो-ढाई साल एक्टिंग की पढ़ाई की। मुंबई 2008 में आया। मैं अपनी एक्टर के रूप में भूख, अपने काम के प्रति प्यार, और सबसे ज्यादा मेहनत करने को तैयार था। यह तीन चीजें लेकर आया था। यही तीन चीज लोगों को सलाह दूंगा। बाकी आप कितने जिम कर रहे हैं, आपके संपर्क कितने लोगों से है। यह काम नहीं आता है। बाहर के जितने लोग भी आए हैं उनको ऑडिशन के माध्यम से ही काम मिलता है। यही तीन चीजें काम आती हैं। अभी लोगों के लिए बहुत मौके हैं। लेकिन आपको पूरी तैयारी के साथ आना पड़ेगा।
आप के आसपास कौन लोग हैं। यह भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। अपने आप पास ऐसे लोगों को रखिए जो आपको मोटिवेट करें। जिनसे इंस्पायर हो। आप दोस्त कैसे हैं वह भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। पार्टी बाजी और मंडली लगाने वाले दोस्तों से दूर रहना चाहिए।
आप जब इंडस्ट्री में आए तो किस तरह के दोस्त बनें?
बहुत अच्छे दोस्त हैं। जब हम बैठते हैं तो सिनेमा की बातें करते हैं। हम जिंदगी की बातें करते हैं। हम मस्ती मजाक भी करते हैं, लेकिन घटिया और फालतू जोक्स नहीं करते हैं। जितने भी दोस्त हैं बहुत ही प्योर हैं। जब हम बात करते हैं तो अच्छी परफॉर्मेंस और अच्छी सिनेमा की बातें करते हैं। एक दूसरे से आइडिया डिस्कस करते हैं कि और क्या बेहतर कर सकते हैं।
जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो कैसा महसूस होता है?
अच्छा महसूस हो रहा है। इस शहर में यही सोचकर आए थे कि कुछ अच्छा काम करेंगे।मेरे हमेशा से यही प्लान था। प्लान B कभी लाइफ में नहीं रखा था। ऊपर वाले का बहुत- बहुत शुक्रिया है। मां के आशीर्वाद और दर्शकों को बहुत धन्यवाद है। ऐसी सोच नहीं आती है कि कहां से आए और कहां पहुंचे। हमेशा वर्तमान में जीने की सोच रखी है।
मम्मी से आपका काफी लगाव रहा है, उन्होंने आपको काफी मोटीवेट भी किया है। जब आपने उनको बताया होगा कि एक्टिंग में करियर बनाना है तो सिनेमा को लेकर उनकी क्या सोच रही?
मम्मी खुद सिनेमा की बहुत बड़ी फैन थीं। हमारे पूरे परिवार के लोग सिनेमा को बहुत प्यार करते हैं। हर शनिवार को हमलोग वीसीआर में वीएचएस कैसेट लगाकर फिल्में देखते थे। मम्मी अमिताभ बच्चन की बहुत बड़ी फैन रहीं हैं। मैंने थिएटर करना शुरू किया। उसके बाद एफटीआई एक्टिंग कोर्स करने गया। मम्मी हमेशा से बहुत सपोर्टिव थीं। मैं जो भी करता उसमें वो सपोर्ट करतीं। उन्होंने हम तीनों भाई बहनों को हमेशा यह छूट दी कि लाइफ में जो भी करना है करो, लेकिन ईमानदारी से और दिल लगाकर करो।
एफटीआई से आने के बाद इंडस्ट्री के लोगों का किस तरह का रवैया होता है?
एफटीआई और इंडस्ट्री की दुनिया में बहुत अंतर होता है। एफटीआई अपने आप में बहुत प्यारा कैंपस है। वह अपने आप में एक ग्रह है। जहां बहुत प्यार से तनाव मुक्त रहते हैं। 24 घंटे सिर्फ सिनेमा के बारे में सोचते हैं। फिल्में बनाते हैं, फिल्में देखते हैं।अपनी क्लासेज अटेंड करते हैं। लेकिन जब मुंबई आते हैं तो वास्तविकता से सामना होता है। यह बहुत महंगा शहर है। यहां कोई जानता नहीं है।
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