Ban on fundamentalist party Jamaat-e-Islami lifted in Bangladesh | बांग्लादेश में कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी से बैन हटा: अंतरिम सरकार ने पलटा हसीना सरकार का फैसला; पूर्व PM पर अब तक 75 केस दर्ज


कुछ ही क्षण पहले

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जमात-ए-इस्लामी पार्टी के नेताओं ने ढाका में मीटिंग की। उन्होंने बताया कि पार्टी चुनाव लड़ने पर लगा बैन हटवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी। - Dainik Bhaskar

जमात-ए-इस्लामी पार्टी के नेताओं ने ढाका में मीटिंग की। उन्होंने बताया कि पार्टी चुनाव लड़ने पर लगा बैन हटवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी।

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार ने बुधवार को जमात-ए-इस्लामी पार्टी पर लगा बैन हटा दिया। जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की सबसे बड़ी मुस्लिम पार्टी है। शेख हसीना सरकार ने 1 अगस्त को इस पर बैन लगाया था। इस पर छात्र आंदोलन के दौरान दंगे भड़काने का आरोप लगाया गया था।

बांग्लादेश के गृह मंत्रालय ने एक नोटिस जारी कर कहा कि, जमात-ए-इस्लामी पार्टी और उसके सहयोगियों के आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के कोई सबूत नहीं है। इसलिए उन पर लगा बैन हटाया जा रहा है।

जमात-ए-इस्लामी पार्टी के चुनाव लड़ने पर 2013 से रोक लगी है।

जमात-ए-इस्लामी पार्टी के चुनाव लड़ने पर 2013 से रोक लगी है।

जमात-ए-इस्लामी पार्टी पर 2013 से चुनाव लड़ने पर रोक
जमात-ए-इस्लामी पार्टी की स्थापना 1941 में ब्रिटिश शासन काल के दौरान अविभाजित भारत में हुई थी। पार्टी ने 1971 में अलग बांग्लादेश बनने का विरोध किया था। इसने आजादी के आंदोलन के खिलाफ अभियान भी चलाए थे।

हाईकोर्ट ने 2013 में जमात-ए-इस्लामी पार्टी के घोषणा पत्र को संविधान का उल्लंघन करने वाला बताया था। 2018 में चुनाव आयोग ने जमात का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था। इसके बाद पार्टी के चुनाव लड़ने पर बैन लगा दिया गया था।

जमात के ज्यादातर सीनियर लीडर्स को 1971 के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान किए हत्याओं, किडनैपिंग, बलात्कारों और अन्य अपराधों की वजह से जेल में हैं या फांसी दी जा चुकी है।

जमात के लीडर्स पर कट्टरपंथ को बढ़ावा देने और अल्पसंख्यकों पर हमले के आरोप लगते रहे हैं। जमात-ए-इस्लामी खुद को पाकिस्तान परस्त बताती रही है। जमात पर लगा बैन भले ही अंतरिम सरकार ने हटा दिया है, मगर उसके चुनाव लड़ने पर बैन अभी भी लागू है।

जमात-ए-इस्लामी के वकील शिशिर मोनिर ने कहा कि पार्टी अगले हफ्तें चुनाव लड़ने का बैन हटवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी।

अंतरिम सरकार ने सोमवार को कट्टरपंथी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को पैरोल पर रिहा कर दिया था।

अंतरिम सरकार ने सोमवार को कट्टरपंथी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को पैरोल पर रिहा कर दिया था।

अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) के चीफ जशीमुद्दीन रहमानी को किया गया रिहा इससे पहले मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने सोमवार (26 अगस्त) को कट्टरपंथी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को पैरोल पर रिहा कर दिया था। इस गुट के संबंध आतंकी संगठन अलक़ायदा से भी जुड़ते हैं। शेख हसीना सरकार ने 2015 में अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) पर बैन लगा दिया था।

इस संगठन पर भारत में भी आतंकवाद फैलाने के आरोप लगते रहे हैं। भारत में संगठन के कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जा चुका हैय़।

जशीमुद्दीन को एक ब्लॉगर की हत्या के लिए उकसाने का मामले में 5 साल जेल की सजा हुई थी। इसी साल जनवरी में उसकी रिहाई हुई थी, मगर एक अन्य मामले में उसे जेल भेज दिया गया था।

शेख हसीना पर 75 केस दर्ज हो चुके हैं। फिलहाल वे भारत में हैं।

शेख हसीना पर 75 केस दर्ज हो चुके हैं। फिलहाल वे भारत में हैं।

शेख हसीना पर अब तक 75 केस हुए
बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर अब तक 75 केस दर्ज हो चुके हैं। बांग्ला अखबार द डेली स्टार के मुताबिक, हसीना पर मंगलवार को ढाका कोर्ट में 3 नए केस दर्ज हुए। इससे पहले, उन पर बोगुरा में हत्या का एक केस दर्ज हुआ था।

हसीना पर 63 हत्या के, 7 नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध के, 3 किडनैपिंग के और 2 अन्य मामले दर्ज हैं। उन पर छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के लिए, इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल बांग्लादेश में भी जांच जारी है।

शेख हसीना ने 2010 में इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) की स्थापना की थी। इस ट्रिब्यूनल की स्थापना 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए की गई थी।

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