PM Narendra Modi Ukraine Train Journey Features Explained | Train Force One | ट्रेन से यूक्रेन जाएंगे PM मोदी: लग्जरी रेल फोर्स वन से कीव पहुंचेंगे, बाइडेन से लेकर मेलोनी तक इस ट्रेन में बैठे


2 मिनट पहले

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पीएम मोदी रेल फोर्स वन से यूक्रेन जा रहे हैं। इस ट्रेन में हर लग्जरी सुविधा मौजूद है। - Dainik Bhaskar

पीएम मोदी रेल फोर्स वन से यूक्रेन जा रहे हैं। इस ट्रेन में हर लग्जरी सुविधा मौजूद है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पोलैंड के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे हैं। वे गुरुवार रात को यूक्रेन के दौरे पर निकल जाएंगे। उनके इस दौरे की एक खास बात ये है कि वे प्लेन से नहीं बल्कि ट्रेन से यूक्रेन जाएंगे। पीएम मोदी एक विशेष ट्रेन के जरिए कीव जाएंगे।

इस स्पेशल ट्रेन का नाम ‘रेल फोर्स वन’ है। यह कोई आम ट्रेन नहीं है। इसे लग्जरी सुविधाओं और वर्ल्ड क्लास सर्विस के लिए जाना जाता है। पीएम मोदी 10 घंटे का सफर करके कीव पहुंचेंगे। इतना ही समय उन्हें लौटने में लगेंगे।

दरअसल, यूक्रेन में चल रही जंग की वजह से बड़े पैमाने पर एयरपोर्ट्स बंद हैं, सड़क से सफर जोखिम भरा हो सकता है। यही वजह है कि दुनिया के बड़े नेता जब यूक्रेन जाते हैं तो वे ट्रेन यात्रा को ही तरजीह देते हैं। इसे बाकियों की तुलना में अधिक सुरक्षित माना जाता है।

रेल फोर्स वन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से लेकर, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों, इटली पीएम जॉर्जिया मेलोनी समेत कई नेता यात्रा कर चुके हैं।

मोदी 7 घंटे की यूक्रेन यात्रा के लिए 20 घंटे इस ट्रेन में सफर करेंगे।

मोदी 7 घंटे की यूक्रेन यात्रा के लिए 20 घंटे इस ट्रेन में सफर करेंगे।

रेल वन फोर्स में सफर करते राष्ट्रपति बाइडेन। वे 20 फरवरी 2023 को पोलैंड से यूक्रेन गए थे।

रेल वन फोर्स में सफर करते राष्ट्रपति बाइडेन। वे 20 फरवरी 2023 को पोलैंड से यूक्रेन गए थे।

24 फरवरी 2024 को यूक्रेन युद्ध के 2 साल पूरे होने पर मेलोनी कीव पहुंची थीं।

24 फरवरी 2024 को यूक्रेन युद्ध के 2 साल पूरे होने पर मेलोनी कीव पहुंची थीं।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, इटली के तत्कालीन प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी, और जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज जून 2022 में एक साथ कीव पहुंचे थे।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, इटली के तत्कालीन प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी, और जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज जून 2022 में एक साथ कीव पहुंचे थे।

लग्जरी रेल वन फोर्स के कंपार्टमेंट में राष्ट्रपति बाइडेन।

लग्जरी रेल वन फोर्स के कंपार्टमेंट में राष्ट्रपति बाइडेन।

टूरिस्ट के लिए बनी थी, अब वर्ल्ड लीडर्स करते हैं इस्तेमाल
यूक्रेन जाने वाले ज्यादातर नेता, पत्रकार, राजनयिक रेल वन फोर्स से ही सफर करते हैं। ये धीमी चलने वाली लग्जरी ट्रेन है जो रात में चलती है। ये पोलैंड से 600 किमी का सफर करके कीव पहुंचती है।

यूक्रेन में एक विशाल रेल नेटवर्क है जो कि लगभग 24 हजार किमी से भी ज्यादा लंबा है। ये दुनिया में 12वां सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यूक्रेन में अलग-अलग ट्रेनें चलती हैं मगर रेल वन फोर्स सबसे खास है।

इसे क्रीमिया में टूरिस्टों के लिए खास तौर पर डिजाइन किया गया था। लेकिन रूस ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से इसका इस्तेमाल वर्ल्ड लीडर्स और वीआईपी गेस्ट को लाने-ले जाने के लिए किया जाता है।

यह ट्रेन हथियारों से लैस है। इसमें बेहद सुरक्षित कम्युनिकेशन सिस्टम है। पूरे समय हाई टेक सुरक्षाकर्मियों की टीम रहती है, जो लगातार मॉनिटरिंग करती रहती है। यही वजह है कि अभी तक इस ट्रेन की सिक्योरिटी को लेकर कभी शिकायत नहीं मिली है।

रेल फोर्स वन पहले टूरिस्ट के लिए बनाई गई थी।

रेल फोर्स वन पहले टूरिस्ट के लिए बनाई गई थी।

बेहद लग्जरी है रेल वन फोर्स, डीजल इंजन से चलती है
रेल वन फोर्स का इंटीरियर बेहद खूबसूरत है और भीतर से ये किसी आलीशान होटल का कमरा दिखता है। रेल वन फोर्स के कंपार्टमेंट लकड़ी से बने हैं। इसमें बैठने के लिए टेबल और सोफे लगे हैं। अहम बैठकों के लिए बड़ी कॉन्फ्रेंस टेबल आलीशान सोफा और यहां तक की दीवार पर टीवी भी लगी हुई है।

रेल वन फोर्स में इलेक्ट्रिक इंजन की जगह डीजल इंजन लगे हैं। हमले में पावर ग्रिड के नुकसान पहुंचने के बाद इलेक्ट्रिक ट्रेन से यात्रा में दिक्कत हो सकती थी इसलिए युद्ध शुरू होने के बाद इसे जानबूझकर ऐसा डिजाइन किया गया है। रेल वन फोर्स की सफलता का श्रेय यूक्रेन रेलवे के पूर्व CEO और अब मंत्री एलेक्जेंडर कैमिशिन को है। उन्होंने ही इसे रेल फोर्स वन नाम दिया था।

कैमिशिन (बीच में) यूक्रेन युद्ध शुरू होने के कुछ महीने पहले ही यूक्रेन रेलवे का हिस्सा बने थे।

कैमिशिन (बीच में) यूक्रेन युद्ध शुरू होने के कुछ महीने पहले ही यूक्रेन रेलवे का हिस्सा बने थे।

टाइम पर चलने के लिए जानी जाती है यूक्रेन रेलवे
कैमिशिन रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से 6 महीने पहले उक्रजालिजिनत्सिया रेलवे कंपनी के CEO बने थे। ये एक सरकारी कंपनी है। यूक्रेन रेलवे सही समय पर ट्रेनें चलने के लिए जानी जाती है। 20 फरवरी 2023 को जब बाइडेन यूक्रेन पहुंचे थे तो सुरक्षा कारणों की वजह से कुछ ट्रेनें लेट से चली थीं।

कैमिशिन ने सोशल मीडिया पर ट्वीट कर इसके लिए माफी मांगी थी। उन्होंने कहा कि आज(20 फरवरी) को सिर्फ 90% ट्रेन ही सही समय पर खुल पाईं जिसके लिए उन्हें खेद है।

उन्हें इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर अमेरिकी जनता ने बाइडेन और अमेरिकी रेलवे का खूब मजाक उड़ाया था। अमेरिका में रेल सेवा ‘एमट्रैक’ कंपनी के अधीन है और ये अपनी लेटलतीफी के लिए बदनाम है।

CNN के मुताबिक अमेरिका में मालगाड़ी का अधिक इस्तेमाल होता है। ये लंबी होती हैं और धीरे चलती हैं। इसी की वजह से यात्री ट्रेने लेट हो जाती हैं। एमट्रैक की वेबसाइट के मुताबिक 2023 में सिर्फ 20 फीसदी ट्रेनें सही समय पर अपना सफर पूरा कर पाई थीं। पूरे साल में अमेरिकी ट्रेनें 9 लाख मिनट (1.5 वर्ष से अधिक) लेट पहुंचीं।

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