गुवाहाटी8 मिनट पहलेलेखक: डी. कुमार
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जोरहाट के मरियानी शहर में रह रहे आबिद रहमान अपने मूल दस्तावेज (आधार, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, घर-जमीन के कागजात) जुटा रहे हैं। कहते हैं कि वैसे मैं 2019 में प्रकाशित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में हूं, लेकिन जब असम सरकार खुद एनआरसी की प्रक्रिया पर सवाल उठा चुकी है, इसलिए ज्यादा तनाव में हूं। कहीं हमें ‘मियां’ कहकर बाहरी न बता दे।
असम में रह रहे करीब 70 लाख ‘मियां’ (बांग्ला भाषी) मुस्लिम इसी तनाव में हैं। दरअसल, असम सरकार ने मूल असमिया मुस्लिमों को स्वदेशी (असमिया भाषी) कहते हुए उनका सामाजिक-आर्थिक सर्वे कराने का ऐलान किया है। सर्वे फरवरी अंत से शुरू हो सकता है। करीब 100 करोड़ रु. का बजट भी है। असम की कुल आबादी 3.66 करोड़ है।
इनमें 1.17 करोड़ के आसपास मुस्लिम हैं। सरकार का कहना है कि इनमें 42 लाख ही स्वदेशी हैं। गुवाहाटी हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील और विभिन्न सरकारी समितियों के सदस्य नेकिबुर जमान कहते हैं कि स्वदेशी की पहचान के लिए सभी मुस्लिमों का सर्वे होगा। सभी कागजात जांचे जाएंगे। सर्वे का फॉर्मेट तैयार है। इसमें पीढ़ियों के रिकॉर्ड का कॉलम रहेगा। स्वदेशी की पहचान कर उनके विकास के लिए स्वायत्त परिषदें बनाई जाएंगी। बाकी मुस्लिमों का क्या होगा, ये तय नहीं है।
5 समुदायों को ही असमिया माना, बाकी बांग्ला भाषी
असम सरकार ने पांच समुदायों गोरिया, मोरिया, जोलाह, देसी और सैय्यद को ही स्वदेशी माना है। इनकी बसाहट ऊपरी असम यानी चाय बागानों के आसपास है। इनका बांग्लादेश से रिश्ते का कोई इतिहास नहीं है। मोरिया पिछड़े वर्ग से हैं। देसी कोच राजवंशी आदिवासी थे, जो वर्षों पहले धर्म बदलकर मुसलमान बने, इसलिए इन्हें असमिया ही मानते हैं।
कैसे होगा सर्वे: सर्वे असम के अल्पसंख्यक और चर क्षेत्र निदेशालय को करना है। इसके डायरेक्टर सैयद ताहिदुर रहमान कहते हैं कि सर्वे पर एक एसओपी सरकार को सौंपी है। मंजूरी मिलते ही काम शुरू कर देंगे। निदेशालय ने घर-घर जाकर सर्वे करने के कुछ तौर-तरीके तैयार किए हैं। इनमें पहनावा, बोलचाल, कागजात सब जांचे जा सकते हैं। हालांकि सर्वे लोकसभा चुनाव के पहले हो पाना मुश्किल है।
11 जिलों में मुस्लिम अब हिंदुओं से ज्यादा
हाल ही में सरकार को पता चला था कि 33 में से करीब 11 जिलों में 2011 के मुकाबले मुस्लिमों की संख्या हिंदुओं से ज्यादा हो गई है। इसलिए इनकी पहचान जरूरी है।
जिला मुस्लिम आबादी
द. सालमारा 95.2%
धुबरी 79.67%
ग्वालपाड़ा 57.52%
बोंगाईगांव 50.22%
बारपेटा 70.74%
मोरीगांव 52.56%
नौगांव 55.36%
दरंग 64.34%
होजाई 53.65%
हैलाकांडी 60.31%
करीमगंज 56.36%
लंबी दाढ़ी, टोपी, लुंगी वाले लोग ‘मियां’: निचले असम या ब्रह्मपुत्र तट पर बसे करीब 70 लाख मुस्लिम बांग्ला भाषी हैं। नदी ही इनके गुजर-बसर का एकमात्र जरिया है। निचले असम में किसी भी मुस्लिम बहुल गांव में प्रवेश करते ही अधिकांश लोगों के चेहरे पर लंबी दाढ़ी, सिर पर जालीनुमा टोपी, लुंगी और कुर्ता नजर आने लगेगा। इनकी असमिया बोली में बंगाली लहजा मिलेगा।