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नई दिल्ली2 घंटे पहले
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महाराष्ट्र स्पीकर राहुल नार्वेकर ने 10 जनवरी 2023 को शिंदे गुट को असली शिवसेना बताया था।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (UBT) सुप्रीमो उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। उद्धव ने महाराष्ट्र के स्पीकर राहुल नार्वेकर के उस फैसले को चैलेंज किया है, जिसमें उन्होंने शिंदे गुट को असली शिवसेना बताया है।
ठाकरे गुट की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच से कहा- मामला सोमवार को लिस्ट होनी थी, लेकिन नहीं की गई। इस पर बेंच ने कहा कि हम इसे देखेंगे।
दरअसल, शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में पार्टी से बगावत की थी। इसके बाद शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद शिंदे ने शिवसेना पर अपना दावा कर दिया। ठाकरे गुट का आरोप है कि शिंदे ने असंवैधानिक रूप से सत्ता हथिया ली और असंवैधानिक सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।
16 फरवरी 2023 को चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना मान लिया था। साथ ही शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चिह्न (तीर-कमान) को इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी। उद्धव गुट ने चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर राहुल नार्वेकर को इस पर फैसला करने को कहा था।
10 जनवरी 2024 को राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट को असली शिवसेना बताया था। इसके खिलाफ ठाकरे गुट की ओर से कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। 22 जनवरी 2024 को कोर्ट ने शिंदे समेत सभी बगावती विधायकों को नोटिस जारी किया था।
शिंदे गुट की शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने राहुल नार्वेकर के फैसले के बाद पार्टी के समर्थन में नारेबाजी की थी।
राहुल नार्वेकर के फैसले की 3 अहम बातें…
- शिंदे के पास शिवसेना के 55 में से 37 विधायक, उनका गुट ही असली शिवसेना। चुनाव आयोग ने भी यही फैसला दिया था।
- शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटाने का फैसला उद्धव का था, पार्टी का नहीं। शिवसेना संविधान के अनुसार वे अकेले किसी को पार्टी से नहीं निकाल सकते।
- शिंदे गुट की तरफ से उद्धव गुट के 14 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग खारिज। शिंदे गुट ने केवल आरोप लगाए, उनके समर्थन में सबूत नहीं दिए।
स्पीकर नार्वेकर के फैसले के आधार
शिवसेना के 1999 के संविधान को ही आधार माना गया था। स्पीकर ने कहा था- 2018 का संशोधित संविधान चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है, इसलिए वह मान्य नहीं है। 21 जून 2022 को फूट के बाद शिंदे गुट ही असली शिवसेना था। उद्धव गुट के सुनील प्रभु का व्हिप उस तारीख के बाद लागू नहीं होता, इसीलिए बतौर व्हिप भरत गोगावले की नियुक्ति सही है।