Kunal Khemu shared a funny story | कुणाल खेमू ने मजेदार किस्सा शेयर किया: बोले- वाइफ सोहा का ‘थप्पड़’ मारने का अंदाज अलग है, एक्टर ने ‘मडगांव एक्स्प्रेस’ से किया डायरेक्टोरियल डेब्यू

38 मिनट पहले

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कुणाल खेमू ने हाल ही में बतौर डायरेक्टर अपना डेब्यू किया है। उनकी फिल्म ‘मडगांव एक्स्प्रेस’ 22 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। ऐसे में एक इंटरव्यू के दौरान कुणाल ने अपनी वाइफ सोहा अली खान के बारे में एक मजेदार किस्सा शेयर किया।

फिल्म बनाते वक्त कुणाल खेमू घबराए हुए थे
कुणाल खेमू ने वाइफ का जिक्र करते हुए बताया कि जितना उन्हें सोहा पर भरोसा है, उतना ही ये भी एहसास है कि वे बेहद ब्लंट (मुंहफट) हैं। कुणाल खेमू के डायरेक्टोरियल डेब्यू के दौरान सोहा ने उन्हें काफी इनकरेज किया और उन पर विश्वास दिखाया। कुणाल बोले- वो अच्छी तरह से जानती थी कि फिल्म को लेकर मैं एक्साइटिड और नर्वस था। मैंने फिल्म बनाने का एक बड़ा बोझ उठाया हुआ था। हां, मुझे खुद पर भी पूरा भरोसा है। मैं सोहा के एहसासों को समझ सकता हूं। मैंने ‘मडगांव एक्स्प्रेस’ को जैसा बनाया है, मुझे उस पर गर्व और खुशी महसूस होती है।

सोहा अली खान का थप्पड़ मारने का अलग अंदाज है
कुणाल खेमू से पूछा गया कि क्या कभी उनकी वाइफ सोहा, कुणाल के काम का कठोर रिव्यू दे सकती हैं? इस पर कुणाल ने कहा- वह सही शब्दों का चयन करती हैं। अपने थॉट को सही तरीके से शेयर करना उसे आता है। सोहा कभी भीगा कर थप्पड़ नहीं मारती। वो मुझे बैठाती हैं, मुझे शांत करती हैं, और फिर प्यार से बताती हैं कि क्या मैं कहां गलत हूं। यह उसका मुझे थप्पड़ मारने का तरीका है (हंसते हुए)।

‘मडगांव एक्स्प्रेस’ की कहानी क्या है
यह कहानी तीन दोस्तों डोडो (दिव्येंदु) पिंकू (प्रतीक गांधी) और आयुष (अविनाश तिवारी) की है। तीनों का बचपन से गोवा घूमने का सपना है। हर बार किसी न किसी वजह से उनकी यह ट्रिप पूरी नहीं हो पाती। उम्र बढ़ने के साथ ही आयुष और पिंकू विदेश निकल जाते हैं। उन्हें वहां अच्छी नौकरी मिल जाती है। यहां रह जाता है बस डोडो। डोडो को कुछ काम नहीं मिलता। वो दिनभर घर पर बैठ कर फोटोशॉप की मदद से सेलिब्रिटीज के साथ पिक्चर एडिट करता है। अपने आप को रईस और फेमस दिखाने के लिए वो इन पिक्चर्स को सोशल मीडिया पर पोस्ट करता है।

आयुष और पिंकू को भी यही लगता है कि उनका दोस्त उन्हीं की तरह फेमस और पैसे वाला इंसान बन गया है। वो दोनों वापस भारत आने का प्लान करते हैं। डोडो उन्हें अपनी रियलिटी नहीं बताता। वो उन्हें झूठ बोलकर मडगांव एक्सप्रेस में बिठा देता है और तीनों दोस्त गोवा के लिए निकल जाते हैं।

गोवा जाने के असली कहानी शुरू होती है। तीनों गलती से ड्रग्स के पचड़े में फंस जाते हैं। गोवा के लोकल गुंडे उनके पीछे पड़ जाते हैं। यहीं उनकी मुलाकात ताशा यानी नोरा फतेही से होती है। अब तीनोंं दोस्त उन गुंडों के चंगुल से बच पाते हैं कि नहीं। क्या आयुष और पिंकू को डोडो की सच्चाई पता चल पाएगी। कहानी अंत तक इसी तरफ रुख करती है।



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