वॉशिंगटन6 मिनट पहले
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80 साल के बेन कार्डिन अमेरिका के मैरीलैंड से सांसद हैं। वे 2007 से लगातार इसी सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं। (फाइल)
अमेरिकी सांसद ने रमजान के महीने में भारत में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू किए जाने पर सवाल उठाए हैं। जो बाइडेन की डेमोक्रैटिक पार्टी के सांसद बेन कार्डिन ने कहा- मैं भारत के मुस्लिम समुदाय पर इसके असर को लेकर चिंतित हूं। भारत सरकार ने कानून को रमजान के महीने में लागू किया , जो मामले को और बिगाड़ रहा है।
अमेरिकी सांसद ने आगे कहा- भारत और अमेरिका के बीच गहरे संबंध हैं। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि दोनों देशों में सहयोग मानवीय अधिकारों को लेकर साझा मूल्यों पर आधारित हो। इसमें धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।
अमेरिका ने कहा था कि उनकी सरकार CAA को लेकर चिंतित है। वहीं भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अमेरिका के बयान को गलत बताया है।
CAA पर अमेरिका ने कहा था- सभी धर्मों का आदर किया जाना चाहिए
इससे पहले पिछले हफ्ते अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने भी CAA पर बयान जारी किया था। मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था- कानून के तहत सभी धर्मों का आदर किया जाना चाहिए। यही लोकतंत्र का सिद्धांत है। इस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के बयान को गलत जानकारी पर आधारित बताया था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था- यह हमारा आंतरिक मामला है। जिन देशों को हमारे इतिहास के बारे में समझ नहीं है, उन्हें इस पर लेक्चर नहीं देना चाहिए। CAA नागरिकता छीनने वाला नहीं बल्कि नागरिकता देने वाला कानून है।
हिंदूPACT ने कहा- पाकिस्तान में हिंदूओं पर जुल्म हो रहे, लेकिन अमेरिका ने कुछ नहीं कहा
इसके अलावा हिंदू पॉलिसी रिसर्च (हिंदूPACT) और ग्लोबल हिंदू हेरिटेज फाउंडेशन ने भी CAA का समर्थन किया था। हिंदूPACT के फाउंडर अजय शाह ने कहा था- CAA भारत के किसी भी नागरिक पर कोई असर नहीं डालता है। भारत के पड़ोस में हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया जाता है और उन्हें खत्म किया जा रहा है।
अजय शाह ने आगे कहा था- अमेरिकी होने के नाते हम निराश हैं कि देश के मूल्यों और पीड़ितों के मानवाधिकारों के लिए खड़े होने के बजाय अमेरिकी सरकार इस कानून का विरोध कर रही है। BBC और UNHRC की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में हर साल 1 हजार लड़कियों को अगवा कर उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है। इसके बाद इन्हें सेक्स स्लेव बनाकर जबरदस्ती शादी कर दी जाती है।
हिंदूPACT ने कहा- इस तरह के जुर्म में पाकिस्तान की सरकार को मिलिभगत के लिए दोषी ठहराने की बजाय अमेरिका निर्दोषों की मदद करने पर भारत सरकार की आलोचना कररहा है। यह बेहद आश्चर्यजनक है। वहीं 2 दिन पहले भारत के विदेश मंत्री ने भी CAA पर अमेरिका के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था- अमेरिका ने CAA को समझे बिना टिप्पणी की
एक कॉनक्लेव में बात करते हुए जयशंकर ने कहा था- यह टिप्पणी CAA को समझे बिना की गई। कानून का मकसद भारत के विभाजन के दौरान पैदा हुई समस्याओं का हल निकालना है। मैं अमेरिका के लोकतंत्र की खामियों या उसके उसूलों पर सवाल नहीं उठा रहा हूं। मैं हमारे इतिहास के बारे में उनकी समझ पर सवाल उठा रहा हूं।
विदेश मंत्री ने आगे कहा- अगर आप दुनिया के कई हिस्सों से दिए जा रहे बयानों को सुनेंगे, तो ऐसा लगता है जैसे भारत का विभाजन कभी हुआ ही नहीं। जैसे देश में कभी इसकी वजह से कोई ऐसी समस्या नहीं थी, जिसका CAA ने हल दिया है।
CAA क्या है, इसकी 3 बड़ी बातें…
केंद्र सरकार ने 11 मार्च को सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी CAA का नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके साथ ही यह कानून देशभर में लागू हो गया। CAA को हिंदी में नागरिकता संशोधन कानून कहा जाता है। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया।
1. किसे मिलेगी नागरिकता: 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे।
2. भारतीय नागरिकों पर क्या असर: भारतीय नागरिकों से CAA का कोई सरोकार नहीं है। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। CAA या कोई कानून इसे नहीं छीन सकता।
3. आवेदन कैसे कर सकेंगे: आवेदन ऑनलाइन करना होगा। आवेदक को बताना होगा कि वे भारत कब आए। पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज न होने पर भी आवेदन कर पाएंगे। इसके तहत भारत में रहने की अवधि 5 साल से अधिक रखी गई है। बाकी विदेशियों (मुस्लिम) के लिए यह अवधि 11 साल से अधिक है।
नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के पक्ष में 125 वोट पड़े थे
11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (CAB) के पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े थे। 1 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। देशभर में भारी विरोध के बीच बिल ने दोनों सदनों से पास होने के बाद कानून की शक्ल ले ली।
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