UCO Bank Scam CBI Raid Update; Immediate Payment Service Fraud | यूको बैंक के 67 ठिकानों पर CBI का छापा: मोबाइल, हार्ड डिस्क सीज किए; IMPS में ₹850 करोड़ के घोटाले से जुड़ा है मामला


नई दिल्ली2 घंटे पहले

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CBI ने यूको बैंक से जुड़े 820 करोड़ रुपए के IMPS स्कैम केस में बुधवार को राजस्थान और महाराष्ट्र में छापेमारी की। ये छापेमारी इन दोनों राज्यों के सात शहरों में 67 स्थानों पर की गई है। इन शहरों में जोधपुर, जयपुर, जालोर, नागौर, बाड़मेर और पुणे शामिल है।

रेड के दौरान जांच एजेंसी ने 130 डॉक्यूमेंट्स, 40 मोबाइल, 2 हार्ड डिस्क और एक इंटरनेट डोंगल सीज किए हैं। केंद्रीय एजेंसी यूको बैंक में पिछले साल 10 नवंबर से 13 नवंबर के बीच हुए 8,53,049 IMPS (तत्काल भुगतान प्रणाली) ट्रांजैक्शन की जांच कर रही है।

एजेंसी इन सभी चीजों की फॉरेंसिक जांच कराएगी। CBI ने इस दौरान मौके पर तीस संदिग्धों की भी जांच की। इस मामले में दिसंबर 2023 में CBI ने 13 ठिकानों पर छापेमारी की थी।

क्या है मामला?
10 और 11 नवंबर 2023 के बीच 7 प्राइवेट बैंक के करीब 14,600 अकाउंट से IMPS ट्रांजैक्शन के जरिए यूको बैंक के 41,000 अकाउंट होल्डर के खातों में गलत तरीके से अमाउंट पोस्ट किया गया। जिसके चलते 850 करोड़ रुपए ओरिजनेटिंग बैंक से कटे बिना यूको बैंक के खातों में जमा हो गए।

इस मामले में यूको बैंक की ओर से नवंबर 2023 में शिकायत दर्ज की गई। CBI ने अपने प्रेस रिलीज में बताया कि अलग-अलग ट्रांजैक्शन चैनल के माध्यम से कई अकाउंट होल्डर्स ने पैसे निकाले।

2 करोड़ का घोटाला 850 करोड़ पहुंचा
पहले बैंक ने 1.53 करोड़ रुपए की गड़बड़ी होने का आरोप लगाया था। बैंक ने तब NSE और BSE को सूचना दी थी कि बैंक में तकनीकी खामी के चलते यह गड़बड़ी हुई थी। 16 नवंबर को NSE और BSE को लिखे लेटर में बैंक ने खाते ब्लॉक कर 820 करोड़ में से 649 करोड़ रुपए रिकवर किए थे।

ग्रामीण क्षेत्रों से आई थी ज्यादा गड़बड़ी
बैंक से करोड़ों रुपए की सबसे ज्यादा गड़बड़ी ग्रामीण क्षेत्रों में सामने आई थी। ई-मित्रों से लोगों ने रातों-रात खाते खुलवाए और फिर लाखों रुपए का लेन-देन कर ऑनलाइन दूसरे खातों में जमा करवाई थी। पहले जयपुर की साइबर थाना पुलिस और अब सीबीआई ने ऐसे खाता धारकों को चिह्नित किया और अब इनके ठिकानों पर दबिश देकर दस्तावेज जब्त किए।

यूको बैंक के ट्रांजैक्शन सिस्टम इमीडिएट पेमेंट सर्विस (IMPS) में आई तकनीकी खामी का फायदा उठाते हुए ‘ई-मित्र’ संचालकों और बैंक के कर्मचारियों ने करीब 850 करोड़ रुपए निकाल लिए थे।

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