माले2 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
मालदीव के चीन परस्त राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु ने सभी भारतीय सैनिकों की वापसी के लिए 10 मई 2024 डेडलाइन दी है। (फाइल)
भारतीय टेक्निकल स्टाफ की पहली टीम मालदीव पहुंच गई है। ये टीम 10 मार्च को भारत लौटने वाले सैनिकों को रिप्लेस करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मालदीव के रक्षा मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी।
दरअसल, भारत और मालदीव के बीच समझौता हुआ है कि भारतीय सैनिक 10 मई तक अपने देश लौट जाएंगे और मालदीव की रेस्क्यू यूनिट को भारत का ही टेक्निकल स्टाफ ऑपरेट करेगा। इस समझौते का पहला चरण 10 मार्च तक पूरा हो जाएगा।
भारतीय सैनिकों की वापसी को लेकर दिसंबर 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु के बीच दुबई में क्लाइमेट समिट के दौरान बातचीत हुई थी।
मालदीव में 3 एविएशन प्लेटफॉर्म
मालदीव की फॉरेन मिनिस्ट्री के मुताबिक- मालदीव में भारत के तीन एविएशन प्लेटफॉर्म हैं। इसमें से एक पर मौजूद सैनिक 10 मार्च तक भारत लौटेंगे। इसके बाद दो और प्लेटफॉर्म पर मौजूद भारतीय सैनिक 10 मई तक अपने देश चले जाएंगे।
मालदीव में करीब 80 भारतीय सैनिक हैं। ये दो हेलिकॉप्टर और एक एयरक्राफ्ट का ऑपरेशन संभालते हैं। आमतौर पर इनका इस्तेमाल रेस्क्यू या सरकारी कामों में किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो मालदीव में इंडियन हेलिकॉप्टर और एयरक्राफ्ट मानवीय सहायता और मेडिकल इमरजेंसी में वहां के लोगों की मदद करते रहें। इन ऑपरेशन को संभालने के लिए ही टेक्निकल स्टाफ भेजा गया है।
मालदीव के रक्षा मंत्रालय ने कहा- भारतीय टेक्निकल स्टाफ की पहली टीम पहुंच गई है। ये देश के दक्षिणी छोर पर स्थित अड्डू में हेलीकॉप्टर का संचालन करेंगे। अड्डू में तैनात भारतीय सैनिक 10 मार्च को भारत रवाना हो जाएंगे।
मुइज्जु के प्रेसिडेंट बनने के बाद से भारत-मालदीव के बीच तनाव
भारत अपने पड़ोसी देश मालदीव को डिफेंस समेत कई दूसरे क्षेत्र में लंबे समय से सहयोग करता रहा है। नवंबर 1988 में चुनी हुई राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम की सरकार को तख्तापलट से बचाने के लिए भारतीय सेना मालदीव घुसी थी। तब से दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध हैं। लेकिन नवंबर 2023 में मुइज्जु के सत्ता संभालने के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया।
45 साल के मुइज्जु ने चुनाव में भारत समर्थक मोहम्मद सोलिह को हराया था। मुइज्जु अपनी पहली स्टेट विजिट पर चीन गए थे। इसके पहले मालदीव का हर प्रेसिडेंट पहला दौरा भारत का ही करता आया था।
मुइज्जु ने कहा था- मालदीव में सेना की मौजूदगी हमारी लोकतांत्रिक आजादी का अपमान
- पिछले महीने मुइज्जु ने कहा था कि अगर भारत अपनी सेना को नहीं हटाएगा तो यह मालदीव के लोगों की लोकतांत्रिक आजादी का अपमान होगा। यह मालदीव में लोकतंत्र के भविष्य के लिए खतरा होगा। मीडिया हाउस टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में राष्ट्रपति मुइज्जु ने भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई थी।
- उन्होंने कहा था कि ये आपसी सम्मान और विश्वास पर आधारित है। मुइज्जू ने भरोसा जताया कि मालदीव से भारत की सैन्य उपस्थिति के मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश में बिना संसद की इजाजत के दूसरे देश की सेना की उपस्थिति संविधान के खिलाफ है।
- मालदीव के विकास और क्षेत्रीय सुरक्षा में भारत की भूमिका और इंडिया फर्स्ट पॉलिसी पर राष्ट्रपति मुइज्जु ने कहा था- भारत हमारा सबसे करीबी पड़ोसी है। वो हमारे खास दोस्तों में से एक है। दोनों देशों में ऐतिहासिक तौर पर बहुत सी समानताएं रही हैं। ट्रेड, टूरिज्म और कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में हमारे रिश्ते तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। 2023 में भारत से मालदीव में सबसे ज्यादा टूरिस्ट आए।
मालदीव में 2021 में शुरू हुआ ‘इंडिया आउट’ कैम्पेन
2018 की बात है। चीन के करीबी और PPM के नेता राष्ट्रपति अब्दुल्लाह यामीन राष्ट्रपति चुनाव हार जाते हैं। बाद में उन्हें हवालेबाजी और एक अरब डॉलर के सरकारी धन का दुरुपयोग करने का दोषी पाया गया। 2019 में यामीन को पांच साल की सजा हुई। नए राष्ट्रपति बने इब्राहिम मोहम्मद सोलिह, जो ‘इंडिया फर्स्ट’ की पॉलिसी पर चलते थे।
कोरोना के चलते यामीन की जेल की सजा को नजरबंदी में बदल दिया गया। नवंबर 2021 में यामीन के खिलाफ लगे सारे आरोप खारिज कर दिए गए और 30 नवंबर को रिहा कर दिया गया। इसके बाद उनका दोबारा राजनीति में आने का रास्ता भी साफ हो गया। इसके बाद वह चुनाव प्रचार में जुट गए और अक्सर अपने भाषणों में लोगों से अपील करने लगे कि अपने घरों की दीवारों पर ‘इंडिया आउट’ लिखें।
इसके बाद ही मालदीव में विपक्षी दलों ने ‘इंडिया आउट’ अभियान शुरू कर दिया। उनकी मांग थी कि भारतीय सुरक्षा बल के जवान मालदीव छोड़ें। ‘इंडिया आउट’ ने मालदीव में भारत के इन सैनिकों की मौजूदगी की भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और उनकी उपस्थिति को देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया।
Disclaimer:* The following news is sourced directly from our news feed, and we do not exert control over its content. We cannot be held responsible for the accuracy or validity of any information presented in this news article.
Source link