6 मिनट पहले
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बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान आज 59 साल के हो चुके हैं। 3 दशकों से ज्यादा के एक्टिंग करियर में सलमान ने 85 फिल्में कीं, 74 अवॉर्ड जीते। वो चैरिटी में भी अव्वल हैं, इसके बावजूद सलमान की जिंदगी विवादों नाम रही और उन्हें बैड बॉय का तमगा दिया गया। उनकी जिंदगी में विवादों की एंट्री साल 1998 में हुई, जब उनका काले हिरण शिकार मामले में नाम आया और उन्हें जेल जाना पड़ा। मामले को 26 साल बीते, लेकिन विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। इसी साल लॉरेंग गैंग ने सलमान के घर गैलेक्सी अपार्टमेंट में गोलियां चलवाईं और कत्ल की साजिश रची।
ये मामला 1998 में कांकणी गांव से शुरू हुआ, जब कुछ गांव वालों ने गोलियां चलने की आवाजें सुनीं और सलमान को जिप्सी से भागते देखा। गांववालों का कहना था सलमान बंदूक लहराते हुए निकले थे। जबकि सलमान ने हर बार कोर्ट में बस यही कहा कि वो निर्दोष हैं। सलमान पर शिकार के तीन मामले दर्ज हुए, जिनमें से 2 में उन्हें बरी कर दिया गया, लेकिन तीसरे काले हिरण शिकार मामले में गांव वाले आज भी अपने बयान पर अड़े हुए हैं।
आज सलमान खान के 59वें जन्मदिन पर हम आपको बताने जा रहे हैं, उनकी जिंदगी के उस स्याह पन्ने की कहानी, जब उनका शिकार मामले में नाम आया। दैनिक भास्कर शिकार वाले उस कांकणी गांव पहुंचा, जहां से ये कहानी शुरू हुई। जानिए उन 3 शिकार केस की सिलसिलेवार कहानी-
कैसे शुरू हुआ विवाद?
साल 1998, 1-2 अक्टूबर की दरमियानी रात करीब 1 बजे जोधपुर से 20 किलोमीटर दूर कांकणी जंगल से गोलियां चलने की आवाज आई। 2 गांव वाले भागते हुए पहुंचे तो देखा सलमान खान अपनी सफेद जिप्सी में ड्राइविंग सीट पर बैठे थे, साथ वाली सीट पर सैफ अली खान, पीछे की सीट पर 3 एक्ट्रेसेस सोनाली बेंद्रे, तबू और नीलम थीं, सबसे पीछे 2 अन्य शख्स भी थे। 2 अन्य गांव वालों ने जिप्सी रोकने की कोशिश की तो सलमान खान बंदूक लहराते हुए भाग निकले।
हम साथ-साथ हैं फिल्म की शूटिंग के दौरान सफेद जिप्सी में सलमान खान।
2 चश्मदीद ने ये देखते ही 2 अक्टूबर की सुबह सलमान खान के खिलाफ काले हिरण का शिकार करने की शिकायत दर्ज करवाई। 9 अक्टूबर 1998 को सलमान गिरफ्तार हुए। सालों से सलमान मामले में कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं और ये मामला अब भी जोधपुर न्यायालय में विचाराधीन है।
चश्मदीद छोगाराम का बेटा बोला- पिता ने गाड़ी का नंबर नोट किया था
इस मामले को करीब से जानने के लिए दैनिक भास्कर रिपोर्टर प्रवीण सिंह जोधपुर से 20 किलोमीटर दूर कांकणी गांव पहुंचे। जहां ज्यादातर बिश्नोई समाज के लोग रहते हैं।
गांव में हम अहम चश्मदीद और शिकायतकर्ता छोगाराम के घर पहुंचे। पता चला कि छोगाराम का बीते साल निधन हो चुका है, हालांकि उनके बेटे राम निवास को उस रात की कहानी जुबानी रटी हुई है।
काले हिरण शिकार मामले के अहम चश्मदीद छोगाराम का बीते साल निधन हो चुका है।
राम निवास ने हमें बताया-
मैं उस समय 10-11 साल का था। घर से 100 मीटर की दूरी पर गोली चली थी, जिसे सुनकर पिताजी एक चाचाजी (पूनमचंद) के साथ उनके पीछे गए और जिप्सी का नंबर नोट किया। पिताजी उम्रदराज थे, तो वो फिल्में नहीं देखते थे, तो वो सारों को जानते नहीं थे। उन्होंने रात को थाने में इत्तला दी। पुलिस ने तब कोई कार्रवाई नहीं की। गांववाले ही जिप्सी की तलाश में उम्मेद भवन गए थे। वहां पता चला कि पैलेस में गाड़ियां किराए पर ली गई हैं। पास के किले में फिल्म की शूटिंग चल रही थी। वहां पता चला कि गाड़ी किसके पास थी।
छोगाराम ने बयान में कहा था- मैंने सलमान को जिप्सी चलाते देखा
छोगाराम ने शिकायत में कहा था कि वो पूनमचंद की आवाज से उठे थे। उन्होंने देखा की एक गाड़ी उनके खेतों और कांकड़ों में घुस रही थी। शिकारी गाड़ी होने के शक में वो पूनमचंद की बाइक पर पीछे बैठकर गाड़ी के पीछे गए। उन्होंने उस सफेद जिप्सी का नंबर (RJ19.1C.2201) नोट किया, जिसमें 7 लोग थे। गाड़ी सलमान चला रहे थे और साथ में सैफ बैठे थे। पीछे सीट में 3 लड़कियां थीं, जिन्हें वो उस समय पहचान नहीं सके।
उन्होंने पूनमचंद के साथ देर तक जिप्सी का पीछा किया था। कुछ दूर जाकर सलमान ने जिप्सी की रफ्तार कम कर दी और उन्हें आगे निकलने का मौका दिया। जैसे ही उन्होंने बाइक आगे की, सलमान ने यू-टर्न लेकर रफ्तार बढ़ाई और भाग निकले। 2 अन्य चश्मदीद शेशाराम और मांगीलाल ने सलमान की जिप्सी रोकने की कोशिश की, तो वो बंदूक लहराते हुए निकल गए।
कब्र से निकालकर दोबारा किया गया पोस्टमॉर्टम
शिकायत होने के बाद 2 अक्टूबर 1998 को कांकणी से दो काले हिरणों के शव बरामद किए गए। डॉ. एन.पी.नेपालिया द्वारा बनाई गई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, हिरणों की मौत का कारण शिकार नहीं था। कुछ दिनों बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया और कब्र से दोबारा हिरणों को निकालकर उनका पोस्टमॉर्टम हुआ। आमतौर पर ऐसा होता नहीं है। दूसरी रिपोर्ट में आया कि मौत गोली लगने से हुई है।
कोर्ट में क्या था सलमान का बयान?
जज ने सलमान से पूछा- -2 अक्टूबर 1998 की रात आप आरोपी जिप्सी में बैठ कांकणी सरहद गए। वहां अन्य आरोपियों के उकसाने पर गोली मारकर दो काले हिरणों का शिकार किया। ग्रामीणों के आने पर जिप्सी में बैठ भाग गए?
सलमान का जवाब- मैं यहां फिल्म की शूटिंग के लिए आया था। हमारी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी। ऐसे में बाहर निकलना भी संभव नहीं था। ऐसे में शिकार करने का सवाल ही नहीं पैदा होता।
जज ने सलमान से पूछा- कृष्ण मृगों (काले हिरणों) का पहला पोस्टमॉर्टम डॉ. नेपालिया ने किया। उसमें गड़बड़ी पाए जाने पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। इसके बाद मेडिकल बोर्ड से कराए पोस्टमॉर्टम में उनकी मौत गोली लगने से पाया गया?
सलमान का जवाब- डॉ. नेपालिया की रिपोर्ट सही थी। बाद की रिपोर्ट एकदम गलत है।
जोधपुर से हुई गिरफ्तारी के दौरान ली गई सलमान खान की तस्वीर।
सलमान खान ने कहा था- ओवरईटिंग से हुई थी हिरण की मौत
सलमान खान ने आप की अदालत में कहा था, काले हिरण की पहली पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में था कि एक हिरण की ओवरईटिंग और दूसरे का पैर टूटने और कुत्तों के खाने से मौत हुई। ये पहली पोस्टमार्टम रिपोर्ट थी। 2 अक्टूबर को डॉ नेपालिया (पशु चिकित्सक एन.पी.नेपालिया) आए। उन्होंने जानवरों को एग्जामिन किया। 2 अक्टूबर से 9 तारीख तक जब हमारी गिरफ्तारी हुई, हमें कैसे पता होता कि वो खेल रहे थे, किसने मारे हैं, कहां पड़े थे, कहां से लेकर गए होंगे। हमें तो ये भी पता नहीं था कि ऐसी कोई तहकीकात हो रही है। अगर हम शिकार खेल रहे होते, तो हम तो रोज जाते। आप हमें रंगे हाथ पकड़ सकते थे।
10-11 दिन बाद उन जानवरों का दोबारा पोस्टमॉर्टम किया गया।, वो जानवर दफनाए गए थे, उनको निकाला और पोस्टमॉर्टम हुआ, जो हालांकि कभी होता नहीं है। जब शो के होस्ट रजत शर्मा ने कहा, जानवर के केस में कभी दोबारा पोस्टमॉर्टम नहीं होता। इस पर सलमान ने कहा, आदमियों के केस में भी नहीं होता। दूसरे पोस्टमॉर्टम में था कि शायद गन शॉट हो।
ड्राइवर हरीश के बयान से दर्ज हुए 2 शिकार के केस
काले हिरण के शिकार मामले में सलमान खान के साथ रहने वाले ड्राइवर हरीश दुलानी से बात हुई तो उसने कहा कि वो उस वक्त उनके साथ नहीं था, लेकिन जो पिछले 2 शिकार उन्होंने किए, उसमें वो उनके साथ ही था।
हरीश ने पुलिस बयान में कहा-
1 अक्टूबर 1998 को दशहरे का दिन था। दोपहर करीब 1 बजे सलमान ने खुद गाड़ी चलाने को कहा और उन्हें पीछे बैठाया। सलमान ने हिरण के झुंड का पीछा करते हुए गाड़ी बंबोर के खेतों में उतारी थी। कुछ देर बाद वो लौट आए। रात करीब 11 बजकर 45 मिनट पर दुष्यंत सिंह उनके पास आया और उन्हें दूसरी गाड़ी की चाबी देकर कहा कि गाड़ी उम्मेद भवन पैलेस की पार्किंग में लगाकर सो जाओ। इस समय उसने देखा कि सफेद जिप्सी की ड्राइविंग सीट पर सलमान हैं, उनके साथ सैफ अली और पीछे की सीट में 3 एक्ट्रेस हैं। दुष्यंत सिंह भी उस गाड़ी में पीछे बैठा। सभी के रवाना होते ही हरीश होटल जाकर सो गया।
हरीश को उस रात क्या हुआ, इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन जब सलमान ने इससे पहले शिकार किए थे, वो उनके साथ ही था। हरीश ने बताया-
28 सिंतबर 1998 को सलमान ने उजिला की पहाड़ियों के पास स्थित घोड़ा फार्म के पास 2 हिरणों का शिकार किया था। मैं सलमान खान के साथ था। उन्होंने शिकार किया, फिर चाकू से खुद हिरण को हलाल किया और अपने होटल उम्मेद भवन पैलेस निकल गए। गोश्त को ड्राइवर सफेद जिप्सी में लेकर घोड़ा फार्म पहुंचे, हिरणों की खाल अलग कर टुकड़े किए गए, जिन्हें आशीर्वाद होटल लाकर पकाया गया। इसे सलमान खान तक पहुंचाया गया था।
जांच में सलमान की जिप्सी में मिले खून के धब्बे
शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस को जांच में घोड़ा फार्म में हिरण की खाल समेत अवशेष गड़े मिले थे। आशीर्वाद होटल (जहां गोश्त पकाया गया) से हिरण के टुकड़े मिले और वॉश बेसिन में खून के ट्रेसेज मिले। वहीं सलमान की सफेद जिप्सी में भी खून मिला, जिसे अहम सबूत के तौर पर पेश किया गया था।
खून मिलने पर कोर्ट में सलमान का बयान
जज ने सलमान से पूछा- आपकी जिप्सी में खून के निशान थे। जांच में वो खून चिंकारा का पाया गया।
सलमान ने कोर्ट में कहा- वो रिपोर्ट गलत और झूठी है।
सलमान ने कहा था- जिप्सी में डांस कोरियोग्राफर का खून था
आप की अदालत में सलमान खान ने बताया था, ये सब फोरेंसिक डिपार्टमेंट ने चेक किया, ऐसा कुछ था ही नहीं, हिरण के बाल और ये वो। जो गाड़ी जिप्सी लेकर गए थे, वो खुले में पड़ी हुई थी। बाद में उसकी फोरेंसिक जांच हुई। उसमें भी कुछ नहीं निकला। जब उन्होंने मुझसे पूछा कि ये खून कहां से आया तो मैंने कहा ये जानवर का खून नहीं है। ये हमारे डांस डायरेक्टर हैं मिस्टर जय बोराड़े, वो बैठे थे जिप्सी के अंदर। जब एक स्पीड ब्रेकर आया तो उन्होंने गाड़ी को कसकर पकड़ा। ऐसे में जो जिप्सी के अंदर होता है न सीट का ब्रेकर, उससे उनका अंगूठा कट गया। ये वो खून था।
ड्राइवर हरीष दुलानी के बयान के अनुसार, 26-27 सितंबर 1998 में सलमान खान ने घोड़ा फार्म से करीब 5-7 किलोमीटर दूर एक हिरण को गोली मारी और उसके मरने पर उसको हलाल कर दिया। हलाल किए गए हिरण को फार्म में ले जाकर काटा गया। उसे शिकार में साथ मौजूद ओम सिंह नाम का शख्स अपने साथ ले गया।
इस मामले में सलमान खान को 10 अप्रैल को आरोपी मानते हुए 5 साल की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में सलमान खान ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसके बाद उन्हें 25 जुलाई 2016 को बरी कर दिया गया।
ड्राइवर हरीश के बयान की पुष्टि करने दैनिक भास्कर की टीम उनके गांव कांकणी पहुंची, लेकिन गांववालों से पता चला कि बीते कई सालों से हरीश की कोई खबर नहीं है। वो गांव नहीं आता। जो उसका नंबर था वो भी अब बंद है।
साल 2007 में जोधपुर सेंट्रल जेल से बाहर आते सलमान खान।
सलमान खान बोले- मुझे सजा मिलने से जागरूकता फैली
आप की अदालत में सलमान खान ने कहा था, हर चीज का एक फायदा है। मेरे साथ ये दिक्कत हुई। मैं जेल जाता रहता हूं, लेकिन सच ये है कि अगर वो शिकार मामले में सलमान खान को जेल भेज सकते हैं, तो जितने भी लोग हैं जो शिकार खेलते हैं, उन्होंने शिकार करना बंद कर दिया है। सलमान खान को जेल में डाला है तो अब शिकार बंद हो गए हैं। अवेयरनेस आ गई है।
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