लंदन3 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
इन अदालतों पर आरोप है कि इनसे एक समान कानून का सिद्धांत कमजोर होता है। तस्वीर- रॉयटर्स
ब्रिटेन में पहली शरिया अदालत 1982 में स्थापित की गई थी, जिनकी संख्या बढ़कर अब 85 हो चुकी है। इन अदालतों का धार्मिक प्रभाव बहुत ज्यादा है। इन अदालतों की बढ़ती संख्या को लेकर दावा किया जा रहा है कि ब्रिटेन शरिया कानून का पश्चिमी कैपिटल बनता जा रहा है। द टाइम्स के मुताबिक नेशनल सेक्युलर सोसाइटी ने इस समानांतर कानूनी सिस्टम पर चिंता जाहिर की है।
ये अदालतें निकाह से लेकर पारिवारिक मामलों तक पर फैसला देती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये अदालतें मुताह यानी प्लेजर मैरिज या आनंद विवाह जैसे महिला विरोधी विचारों को भी बढ़ावा देती है।
ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की इस्लामिक शरिया काउंसिल पूर्वी लंदन के लेयटन में मौजूद है। यह एक रजिस्टर्ड चैरिटी है जो निकाह, तलाक और खुला जैसी मामलों पर सर्विस देती है।
शरिया कानून को लेकर एक मोबाइल एप भी है, जिसके जरिए इंग्लैंड और वेल्स में रहने वाले मुसलमान अपने इलाके के लिए इस्लामी कानून बना सकते हैं। इसके जरिए पुरुष यह भी चुन सकते हैं कि उनकी कितनी पत्नियां होंगी, जो 1 से लेकर 4 तक हो सकती हैं। इस मोबाइल एप को शरिया अदालत की मंजूरी भी हासिल है।
ब्रिटेन में ये शरिया अदालतें इस्लामी एक्सपर्ट्स के पैनल से बनी हुई हैं, जिनमें ज्यादातर पुरुष हैं।
ब्रिटेन की शरिया अदालतों पर आरोप लगते हैं कि इनमें ज्यादातर फैसले पुरुष ही लेते हैं। तस्वीर क्रेडिट- इस्लामिक शरिया काउंसिल ब्रिटेन
शरिया कानून क्या है? शरिया को इस्लामिक कानून भी कहा जाता है। कुरान, हदीस और पैगंबर मोहम्मद की सुन्नतों पर आधारित नैतिक और कानूनी ढांचे को ही शरिया कहा जाता है। आसान भाषा में समझें तो शरिया को इस्लामी कानूनों और तौर-तरीकों के हिसाब से जिंदगी जीने का तरीका कह सकते हैं।
इन अदालतों से महिलाओं और बच्चों के अधिकार कमजोर होते हैं
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटेन में लगभग 1 लाख इस्लामी निकाह हुए हैं, जिन्हें सिविल अथॉरिटी ने रजिस्टर्ड नहीं किया है। नेशनल सेक्युलर सोसाइटी की चीफ एग्जीक्यूटिव स्टीफन इवांस ने ऐसी अदालतों के खिलाफ चेतावनी जारी की है।
इवांस ने कहा- ये अदातलें सभी के लिए एक कानून के सिद्धांत को कमजोर करती हैं। इससे महिलाओं और बच्चों के अधिकार कमजोर होते हैं।
इवांस ने आगे कहा कि हमें यह याद रखना चाहिए कि शरिया अदालतों का वजूद सिर्फ इसलिए है क्योंकि मुस्लिम महिलाओं को इस्लामी तौर पर तलाक लेने के लिए इनकी जरूरत होती है। दूसरी तरफ मुस्लिम पुरुष इन अदालतों के बिना भी एकतरफा तलाक दे सकते हैं।
वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू के मुताबिक दुनिया के 14 देशों में शरिया कानून पूरी तरह से लागू है।
——————————————————————
यह खबर भी पढ़ें…
ब्रिटेन के प्रिंस पर चीनी जासूस से करीबी का आरोप:शाही परिवार के क्रिसमस फेस्टिवल से दूर रहेंगे एंड्रयू; पूर्व PM कैमरन का नाम भी जुड़ा
ब्रिटेन के प्रिंस एंड्रयू पर चीन के जासूस के करीबी होने का आरोप लगा है। प्रिंस एंड्रयू चीनी कारोबारी यांग टेंगबो के साथ करीबी संबंधों के चलते जांच के दायरे में हैं। यांग टेंगबों पर चीन के लिए जासूसी करने का आरोप है। यह पढ़ें पूरी खबर…
Disclaimer:* The following news is sourced directly from our news feed, and we do not exert control over its content. We cannot be held responsible for the accuracy or validity of any information presented in this news article.
Source link