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मुंबई1 घंटे पहले
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नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने कुछ इंडेक्स डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए एक्सपायरी डे में बदलाव का ऐलान किया है। बैंक निफ्टी का वीकली और क्वार्टरली कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी अब महीने की आखिरी बुधवार की बजाय आखिरी गुरुवार को एक्सपायर को होगी। फिन निफ्टी का मंथली कॉन्ट्रैक्ट्स अब लास्ट मंगलवार के बजाय महीने के अंतिम गुरुवार को खत्म होगा।
वहीं, मिड निफ्टी का मंथली कॉन्ट्रैक्ट्स अब अंतिम सोमवार के बजाय महीने के अंतिम गुरुवार को खत्म होगा। इसके साथ ही निफ्टी नेक्स्ट 50 का मंथली कॉन्ट्रैक्ट्स अब महीने के अंतिम शुक्रवार के बजाय अंतिम गुरुवार को खत्म होगा। यह बदलाव 1 जनवरी 2025 से लागू होंगे। हालांकि, निफ्टी के मंथली, वीकली, क्वार्टरली और हाफ-इयरली कॉन्ट्रैक्ट्स के एक्सपायरी डे में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया है।
BSE भी कॉन्ट्रैक्ट्स के एक्सपायरी डे में कर रहा बदलाव
इससे पहले गुरुवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने सेंसेक्स, बैंकेक्स और सेंसेक्स 50 इंडेक्स डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के एक्सपायरी डे में बदलाव करने का ऐलान किया था। वीकली सेंसेक्स डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स शुक्रवार की जगह अब हर हफ्ते के मंगलवार को एक्सपायर होगा। बेंचमार्क इंडेक्स के लिए मंथली कॉन्ट्रैक्ट में भी यही बदलाव होगा।
मंथली सेगमेंट में बैंकेक्स कॉन्ट्रैक्ट अब सोमवार के बजाय महीने के लास्ट मंगलवार को खत्म होगा। सेंसेक्स 50 के लिए कॉन्ट्रैक्ट महीने के अंतिम गुरुवार की जगह मंगलवार को एक्सपायर होगा। इसके अलावा सेंसेक्स का क्वार्टरली और सेमी-एनुअल कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी शुक्रवार के बजाय महीने के अंतिम मंगलवार को होगी। BSE के भी यह बदलाव 1 जनवरी 2025 से लागू होंगे।
F&O ट्रेडिंग में लॉट साइज 3 गुना बढ़ा चुका है NSE
मार्केट रेगुलेटर SEBI के आदेश के बाद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने अपने सभी पांच इंडेक्स डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के लॉट साइज को बढ़ा चुका है। निफ्टी 50 के लॉट साइज को 25 से बढ़ाकर 75 कर दिया गया है, जो 3 गुना की बढ़ोतरी है।
निफ्टी बैंक का लॉट साइज 15 से बढ़ाकर 30 कर दिया है। सेबी को उम्मीद है कि इस कदम से रिटेल निवेशकों का F&O में पार्टिसिपेशन कम होगा। 20 नवंबर 2024 से से नए लॉट साइज लागू हो चुके हैं।
2 जनवरी को नए लॉट साइज के हिसाब से पहला कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायर होगा
NSE भले ही 20 नवंबर से लॉट साइज बदलने का फैसला लागू कर चुका है, लेकिन इसके पहले के जारी कॉन्ट्रैक्ट की वजह से नए लॉट साइज के हिसाब से कॉन्ट्रैक्ट में अलग-अलग समय लगेगा। अगले साल 2 जनवरी से पहले कोई भी कॉन्ट्रैक्ट नए लॉट साइज के हिसाब से एक्सपायर नहीं हो पाएगा।
फ्यूचर्स एंड ऑप्शन क्या होता है?
फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) एक प्रकार के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हैं जो निवेशक को स्टॉक, कमोडिटी, करेंसी में कम पूंजी में बड़ी पोजीशन लेने की अनुमति देते हैं। फ्यूचर्स और ऑप्शन, एक प्रकार के डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट होते हैं, जिनकी एक तय अवधि होती है।
इस समय सीमा के अंदर इनकी कीमतों में स्टॉक की प्राइस के अनुसार बदलाव होते हैं। हर शेयर का फ्यूचर्स और ऑप्शन एक लॉट साइज में अवेलेबल होता है।
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