नई दिल्ली11 मिनट पहले
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भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने एडटेक फर्म बायजूस के खिलाफ दिवालियेपन का मामला वापस लेने के लिए याचिका दायर की है और इस पर तत्काल सुनवाई की भी मांग की है।
अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के उस फैसले को पलट दिया था, जिसमें एड-टेक फर्म बायजूस और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के बीच 158 करोड़ रुपए के समझौते को मंजूरी दी गई थी।
इससे बायजूस की पेरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड पर दिवालियेपन की कार्रवाई का संकट दोबारा शुरू हो गया था। जुलाई में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने कंपनी के खिलाफ इनसॉल्वेंसी एंड बैकरप्सी कोड के तहत दिवालिया कार्रवाई करने की याचिका स्वीकार की थी।
31 जुलाई को बायजूस-BCCI के बीच समझौता हुआ था
इसके बाद 31 जुलाई को बायजूस-BCCI ने समझौता कर लिया था, जिसे नेशनल कंपनी लॉ एपिलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने स्वीकार कर ली था। थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड और BCCI के बीच 2019 में टीम इंडिया की जर्सी के लिए स्पॉन्सरशिप कॉन्ट्रैक्ट हुआ था। समझौते के तहत हर बायलेटरल मैच के लिए बायजूस BCCI को 4.6 करोड़ रुपए देती थी।
क्रेडिटर्स के विरोध के बाद समझौते पर SC ने रोक लगाई थी
इससे पहले 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने बायजूस को झटका देते हुए NCLAT के समझौते की अनुमति वाले फैसले पर रोक लगा दी थी और समझौता राशि को अलग खाते में रखने का आदेश दिया था।
बायजूस ग्रुप की कंपनी के कुछ लेंडर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले US बेस्ड ग्लास ट्रस्ट ने 7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील दायर की थी। इस अपील में ट्रिब्यूनल के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें बायजूस और BCCI को पेमेंट के मामले को सेटल करने की अनुमति दी गई थी।
NCLAT ने बायजूस-BCCI के समझौते को मंजूर किया था
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने 2 अगस्त को बायजूस की पेरेंट कंपनी ‘थिंक एंड लर्न’ और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी BCCI के बीच हुए समझौते को मंजूरी दी थी।
दोनों पक्षों के बीच यह समझौता 31 जुलाई को हुआ था। एडटेक स्टार्टअप BCCI को स्पॉन्सरशिप कॉन्ट्रैक्ट का बकाया 158 करोड़ रुपए देने को राजी हो गया। बायजूस को इस राशि का भुगतान 2 अगस्त और 9 अगस्त को करना था।
कंपनी का कंट्रोल फिर बायजू रवींद्रन के पास NCLAT ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के 16 जुलाई के आदेश को निलंबित कर दिया, जिसमें कंपनी पर दिवालिया कार्रवाई शुरू करने का आदेश था। हालांकि फैसले के बाद कंपनी का नियंत्रण अब बायजू रवींद्रन के पास वापस आ गया।
16 जुलाई के NCLT के आदेश के बाद बायजू रवींद्रन और कंपनी के बोर्ड से कंट्रोल ले लिया गया था। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) 2016 के मुताबिक, जिस कंपनी पर दिवालिया की कार्रवाई शुरू होती है, उसके बोर्ड से कंपनी का कंट्रोल ले लिया जाता है।
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