टोरंटो4 मिनट पहले
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कनाडा में भारतीय उच्चायोग ने सुरक्षा न मिल पाने के कारण कुछ कॉन्सुलेट शिविरों को बंद करने का फैसला किया है। टोरंटो में स्थित भारतीय कॉन्सुलेट जनरल ने X पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी।
पोस्ट में कहा गया है कि कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों ने कॉन्सुलेट शिविरों को सुरक्षा देने से मना कर दिया है, इसलिए हमने शिविरों को बंद करने का फैसला लिया है।
दरअसल भारतीय कॉन्सुलेट जनरल ने 27 सितंबर को पेंशन सर्टिफिकेट्स के लिए कनाडा के अलग-अलग शहरों में 14 शिविर लगाने की घोषणा की थी। ये शिविर 2 नवंबर से 23 नवंबर के बीच विनिपेग, ब्रैम्पटन, हैलिफैक्स और ओकविल में आयोजित किए जाने थे।
लेकिन अब सुरक्षा नहीं मिल पाने की वजह से इनमें से कुछ शिविर आयोजित नहीं किए जाएंगे।
भारतीय उच्चायोग कॉन्सुलेट शिविरों के जरिए जरूरी सुविधाएं मुहैया कराता है।
क्या होता है कॉन्सुलेट कैंप? कनाडा में जितने लोगों को भारत सरकार से पेंशन मिलती है, उन्हें लाइफ सर्टिफिकेट जमा करना होता है। इसके लिए हर साल नवंबर में भारतीय उच्चायोग की तरफ से कैंप लगाए जाते हैं। जो शहर उच्चायोग से दूर हैं, वहां के लोगों की मदद के लिए धार्मिक जगहों जैसे गुरुद्वारों और मंदिरों में कैंप लगाए जाते हैं।
सर्टिफिकेट के लिए कैंप लगने से एक हफ्ते पहले अपना नाम दूतावास को देना होता है। 3 नवंबर को ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर में यही कैंप लगा था। ये मंदिर ब्रैम्पटन और आसपास के इलाके में सबसे बड़ा मंदिर है। ऐसे ही कैंप सरे और कैलगरी में भी लगाए गए थे।
खालिस्तानियों ने किया था मंदिर में लगे कैंप पर हमला, पुलिस ने साथ दिया
ब्रैम्पटन में हिन्दू सभा मंदिर में कॉन्सुलेट कैंप लगाया गया था, इस पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमला किया था
3 नवम्बर को मंदिर परिसर में लगे कॉन्सुलेट कैंप पर खालिस्तानी भीड़ ने हमला किया था। ओंटारियो की पील पुलिस खालिस्तानी हमलावरों से सुरक्षा देने में नाकाम रही थी। हमला करने वाली भीड़ में खालिस्तान समर्थकों के साथ एक पुलिस अधिकारी भी शामिल था। उसका नाम हरिंदर सोही बताया जा रहा है। सोही पील पुलिस में सार्जेंट है। उसे सस्पेंड कर दिया गया है।
ऐसे वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें पुलिसवाले हिंदू पक्ष के लोगों के साथ सख्ती कर रहे हैं। इस मामले में हमने कनाडा में सनातन मंदिर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के ट्रस्टी नरेश कुमार चावड़ा का कहना है कि घटना के लिए कनाडा गवर्नमेंट, स्टेट गवर्नमेंट और म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन, हर लेवल की अथॉरिटी जिम्मेदार है।
नरेश का कहना है कि ‘पिछले चार साल से हिंदुओं और सिखों में तनाव बढ़ता जा रहा है। हिंदू मंदिरों पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी।
घटना के अगले दिन ब्रैम्पटन म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने धार्मिक स्थलों के पास प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी। वे ऐसा पहले भी कर सकते थे। ये सब देखकर लगता है कि कनाडा में हिंदूफोबिया छाया हुआ है। हिंदुओं का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा है।’
सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जिनमें कनाडा की पुलिस मंदिर पर हमले का विरोध कर रहे लोगों को अरेस्ट कर रही है।
भारत-कनाडा के बीच तनाव की पूरी टाइमलाइन कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत के राजनयिकों पर खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या में शामिल होने के आरोप लगाए थे। इसके बाद भारत ने भी कनाडाई राजनयिकों को भारत छोड़ने का आदेश दे दिया था और अपने राजनयिकों को भी वापस बुला लिया था। इसके बाद से ही भारत और कनाडा के बीच खींचतान जारी है।
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‘उस दिन दिवाली वाला माहौल था। ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर में इंडियन कॉन्सुलेट ने कैंप लगाया था। इस कैंप में लाइफ सर्टिफिकेट पर स्टैम्प लगाई जाती है। ये सर्टिफिकेट उन लोगों के पास होते हैं, जिनकी पेंशन भारत सरकार की तरफ से आती है।’ पूरी खबर यहां पढ़ें…
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