नई दिल्ली3 मिनट पहले
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24 फरवरी 2020 को अहमदाबाद में आयोजित ‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम में पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प
“मेरे दोस्त डोनाल्ड ट्रम्प को ऐतिहासिक जीत पर दिल से बधाई। उम्मीद है कि हम दोनों अपने लोगों की बेहतरी और विश्व में स्थिरता और शांति के लिए आगे काम करेंगे।” अमेरिकी चुनावों में ट्रम्प की जीत तय होते ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सोशल मीडिया पर बधाई दी।
अब सवाल यह है कि ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ का नारा लेकर सत्ता में वापसी कर रहे ट्रम्प के साथ भारत के संबंध कैसे होंगे। ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से भारत पर क्या असर पड़ेगा, जानते हैं 0 पॉइंट्स में…
1. भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर राजन कुमार के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका फर्स्ट की पॉलिसी पर ही चलेंगे। विदेश नीति के मामले पर ट्रम्प की पॉलिसी साफ है, अमेरिका के हितों को प्राथमिकता देना। इस पॉलिसी का भारत के साथ व्यापार पर बड़ा असर पड़ सकता है।
दोनों देशों के बीच पिछले साल यानी 2023-24 में 128.78 बिलियन डॉलर यानी करीब 10 लाख करोड़ का कारोबार हुआ। इस दौरान भारत ने अमेरिका को 77.52 बिलियन यानी 6 लाख करोड़ रुपए का निर्यात किया था।
ट्रम्प की सत्ता में वापसी का असर भारत के निर्यात पर देखने को मिल सकता है। इसकी बड़ी वजह यह है कि ट्रम्प भारत को टैरिफ किंग यानी अमेरिकी सामान पर ज्यादा टैक्स लगाने वाला देश बताते रहे हैं।
हाल ही में ट्रम्प ने एक बयान में कहा था कि आयात शुल्क के मामले में भारत बहुत सख्त है। अगर मेरी सरकार आती है तो इस स्थिति को बदलेंगे और भारत पर टैरिफ शुल्क कम करने का दबाव बनाएंगे।
2. अमेरिका में इंडियन वर्क फोर्स
अमेरिका में करीब 51 लाख भारतीय प्रवासी रहते हैं। अमेरिका की आबादी का यह 1.5% है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में सभी प्रवासियों में भारतीय वर्कर्स की संख्या सबसे ज्यादा है। 2021 में यहां कुल प्रवासी भारतीयों में 16 साल और उससे ऊपर आयु के 72% लोग काम कर रहे थे। वहीं, अमेरिका में जन्में 62% और अन्य प्रवासियों की तादाद 66% थी।
अब ट्रम्प वापस लौटे हैं, जिन्होंने पहले ही H1-B वीजा को अमेरिकी वर्कफोर्स के लिए बेहद खराब बताया था। ट्रम्प ने पहले कार्यकाल में H1-B वीजा के नियम बदले थे। सैलरी तो अमेरिका वर्क फोर्स के बराबर लाने का प्रस्ताव रखा, लेकिन प्रवासी कामगारों पर कुछ प्रतिबंध भी लगा दिए। इसके चलते ट्रम्प के पहले कार्यकाल में H1-B वीजा एप्लीकेशन को नकारने की दर बढ़ गई थी। नियमों के चलते वीजा प्रॉसेस होने का टाइम भी बढ़ गया था।
ट्रम्प दोबारा ऐसे नियम और शर्तें लागू करते हैं तो इसका सबसे ज्यादा असर भारतीय IT सेक्टर्स, फाइनेंस और दूसरे प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा, जो कि अमेरिका में नौकरी के लिए H-1B वीजा पर निर्भर हैं।
3. मिलिट्री और सिक्योरिटी
इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड एमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET) और GE-HL जैसी डिफेंस डील ने भारत और अमेरिका के सैन्य संबंधों को मजबूत किया है। ये डील्स बाइडेन के कार्यकाल में हुई थीं। उम्मीद है कि ट्रम्प की वापसी के बाद भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंध और बेहतर हो सकते हैं।
चीन बड़ी वजह: चीन के प्रभाव को रोकने के लिए ट्रम्प के पिछले टर्म में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत, अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया के बीच QUAD गठबंधन मजबूत हुआ था। चीन को रोकने के लिए ही भारत के साथ अमेरिकी सैन्य समझौतों का ये सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है। उम्मीद है कि ट्रम्प के अगले कार्यकाल में हथियारों की खरीद, तकनीक का ट्रांसफर और जॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइज में तेजी आ सकती है।
4. पाकिस्तान, कश्मीर और बांग्लादेश
पाकिस्तान को लेकर ट्रम्प ने कहा था कि हम उनके साथ संबंधों को बढ़ाना चाहते हैं। लेकिन ट्रम्प ने साफ कहा था कि आतंकवाद को लेकर उसे जवाबदेही तय करनी होगी। चुनाव प्रचार में भी ट्रम्प ने कहा था- हम दुनिया में ताकत के जरिए शांति लाएंगे। ट्रम्प का ये स्टेटमेंट कट्टरपंथ और आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के लिए पॉजिटिव संदेश है।
कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने पर ट्रम्प ने इस मामले में दखल से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि यह भारत का आंतरिक मुद्दा है। वहीं दूसरी तरफ, कमला हैरिस ने कहा था कि “हमें कश्मीरियों को याद दिलाना होगा कि वे दुनिया में अकेले नहीं हैं। हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं। अगर हालात बदले, तो दखल देने की जरूरत पड़ेगी।”
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हुए अत्याचार की ट्रम्प ने निंदा की थी। उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश में हिंदू, क्रिश्चियन और दूसरे अल्पसंख्यकों पर हिंसा हो रही है। उन पर हमले हो रहे हैं, उन्हें लूटा जा रहा है। मैं इसकी निंदा करता हूं।
5. दुनिया पर क्या होगा असर
प्रोफेसर राजन कुमार के मुताबिक डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के साथ ही उनके सामने रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास जंग जैसी बड़ी चुनौतियां मौजूद हैं। ट्रम्प पहले ही पीस थ्रू पॉवर यानी ताकत के दम पर शांति लाने की बात कह चुके हैं। रूस-यूक्रेन जंग पर ट्रम्प पहले भी बयान देते रहे हैं। एक इंटरव्यू के दौरान ट्रम्प ने कहा था कि-
दूसरी तरफ इजराइल-हमास जंग पर ट्रम्प का रवैया थोड़ा अलग रहा है। ट्रम्प जल्द से जल्द गाजा में युद्ध को खत्म करने की बात कह चुके हैं। हालांकि ये साफ नहीं है कि वो सीजफायर के जरिए युद्ध को खत्म करना चाहते हैं या हमास को खत्म करके।
ट्रम्प ने अपने पिछले कार्यकाल में कई मौकों पर खुलकर इजराइल का समर्थन दिया था। उन्होंने तेल अवीव की जगह यरुशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने की बात कही थी। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरूशलम शिफ्ट कर दिया था। इसके अलावा ट्रम्प ने सीरिया के गोलान हाइट्स को इजराइल इलाके के रूप में मान्यता दी थी।
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