Afghan women ‘banned from hearing each other’s voice’ in new Taliban rule | अफगानी महिलाओं के ​​​​​​​इबादत के वक्त तेज बोलने पर रोक: तालिबान ने कहा- तेज आवाज में कुरान नहीं पढ़ सकेंगी; मस्जिद में जाने पर भी पाबंदी


3 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
2021 में तालिबान के अफगानिस्तान में वापसी के बाद से महिलाओं के पढ़ने, काम करने और कई दूसरी चीजों पर पाबंदी लगा दी गई है। - Dainik Bhaskar

2021 में तालिबान के अफगानिस्तान में वापसी के बाद से महिलाओं के पढ़ने, काम करने और कई दूसरी चीजों पर पाबंदी लगा दी गई है।

अफगानिस्तान में तालिबान ने महिलाओं के लिए एक नया फरमान जारी किया है। अफगानी न्यूज चैनल अमू टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के लिए तेज आवाज में इबादत करने पर रोक लगा दी गई है। तालिबान के मंत्री मोहम्मद खालिद हनाफी ने यह आदेश जारी किया है।

उन्होंने कहा कि महिलाओं को कुरान की आयतें इतनी धीमी आवाज में पढ़नी होंगी कि उनके पास मौजूद दूसरी महिलाओं को यह सुनाई न दे। हनाफी ने कहा कि महिलाओं को तकबीर या अजान पढ़ने की इजाजत नहीं है तो फिर वे गाना भी नहीं गा सकतीं और न ही संगीत सुन सकती हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, हनाफी ने कहा कि महिलाओं की आवाज ‘औराह’ होती है, यानी कुछ ऐसा जिसे छिपाना जरूरी है। हमहिलाओं की आवाज सार्वजनिक तौर पर या दूसरी महिलाओं को भी सुनाई नहीं देनी चाहिए। फिलहाल यह आदेश सिर्फ कुरान पढ़ने तक ही सीमित है, लेकिन कई एक्सपर्ट्स ने आशंका जताई है कि तालिबान महिलाओं के सार्वजनिक तौर पर बोलने पर भी बैन लगा सकता है।

अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं।

अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं।

महिला हेल्थ वर्कर्स के बोलने पर भी पाबंदियां अफगानिस्तान के हेरात में काम करने वाली एक नर्स ने अमू टीवी को बताया कि महिला हेल्थकेयर वर्कर्स को सार्वजनिक जगहों पर बोलने की इजाजत नहीं है। साथ ही वे अस्पताल में का करने वाले पुरुष कर्मचारियों से भी काम से जुड़ी कोई बात नहीं कर सकती हैं।

2 महीने पहले भी अंग्रेजी अखबार द गार्जियन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि तालिबान ने महिलाओं के बोलने पर रोक लगा दी है। साथ ही उन्हें सार्वजनिक जगहों पर हमेशा अपने शरीर और चेहरे को मोटे कपड़े से ढकने का आदेश दिया गया था।

तालिबान सुप्रीमो ने कहा था- महिलाओं की आवाज से पुरुषों का मन भटक सकता है तालिबान के सुप्रीम लीडर मुल्ला हिबातुल्लाह अखुंदजादा ने नए कानूनों को मंजूरी दी थी। उन्होंने कानूनों के पीछे की वजह देते हुए कहा था कि महिलाओं की आवाज से भी पुरुषों का मन भटक सकता है। इससे बचने के लिए महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर बोलने से पहरेज करना चाहिए।

15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान की सत्ता दूसरी बार तालिबान के हाथ आई। उसी दिन से महिलाओं पर प्रतिबंध बढ़ गए थे। सबसे पहले अलग-अलग सरकारी संस्थानों में काम कर रही महिलाओं से उनकी नौकरियां छीनी गई। फिर उनकी पढ़ाई पर पाबंदियां लगाई गई। अफगानिस्तान में महिलाएं सिर्फ छठी कक्षा तक ही पढ़ाई कर सकती हैं। इसके अलावा वयस्क महिलाओं के मस्जिदों में प्रवेश पर भी पाबंदी है।

क्या है अफगानिस्तान का शरिया कानून तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद कहा था कि देश में शरिया कानून लागू होगा। दरअसल, शरिया इस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए एक लीगल सिस्टम की तरह है। कई इस्लामी देशों में इसका इस्तेमाल होता है। हालांकि, पाकिस्तान समेत ज्यादातर इस्लामी देशों में यह पूरी तरह लागू नहीं है। इसमें रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर कई तरह के बड़े मसलों पर कानून हैं।

शरिया में पारिवारिक, वित्त और व्यवसाय से जुड़े कानून शामिल हैं। शराब पीना, नशीली दवाओं का इस्तेमाल करना या तस्करी, शरिया कानून के तहत बड़े अपराधों में से एक है। यही वजह है कि इन अपराधों में कड़ी सजा के नियम हैं।

खबरें और भी हैं…



Disclaimer:* The following news is sourced directly from our news feed, and we do not exert control over its content. We cannot be held responsible for the accuracy or validity of any information presented in this news article.

Source link

Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *